कोटद्वार: उत्तराखंड के कोटद्वार में बीते दिनों बादल फटने की घटना सामने आई थी. इससे कोटद्वार में बड़ा नुकसान हुआ था. लेकिन इस घटना के कई दिन बाद भी आपदा पीड़ितों को राहत नहीं मिली है. उनका कहना है कि जल सैलाब के बाद उनके घरों में दरारें आ गई हैं. इस वजह से वो किराए के घरों में रहने को मजबूर हैं. लेकिन सरकार ने उनकी कोई सुध नहीं ली. ग्रामीण अब विस्थापन की मांग कर रहे हैं.
कोटद्वार तहसील के अन्तर्गत द्वारीखाल ब्लॉक के ग्राम पंचायत तिमली के तोक गांव नौबड़ी पट्टी डबरालस्यू -2 में 13 अगस्त की देर रात बादल फटने से मकानों में चौड़ी-चौड़ी दरारें पड़ गई हैं. ये दरारें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव के हालत भी जोशीमठ जैसे ही होते जा रहे हैं. नौबड़ी गांव में करीब 15 परिवार रहते हैं, जिसमें करीब चार से पांच घरों में दरार पड़नी शुरू हो गई हैं.
पढ़ें- उफान पर है सुसुआ नदी, बुल्लावाला डोईवाला पुल की एप्रोच वॉल बही, ब्रिज पर खतरा मंडराया
ग्रामीणों ने बताया कि इन हालात में उन्होंने अपना आशियाना छोड़ दिया है और घरों को खाली कर देवीखेत बाजार में किराये के मकान में रह रहे हैं. पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य मनोज गुसाईं ने बताया कि नौबड़ी गांव में बादल फटने से जोशीमठ जैसे हालात बने हुए हैं.
लोगों के घरों व खेतों में मोटी मोटी दरार बनी हुई हैं. मौसम साफ होते ही चटक धूप खिलने पर दरारें और भयावह बन रही हैं. गांव वाले सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनको जल्द विस्थापित किया जाए. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि आपदा की जानकारी देने के लिए जब वो पटवारी चौकी गए तो राजस्व उप निरीक्षक ने आपदा प्रार्थना पत्र के एवज में आपदा प्रभावितों से 500-500 रुपये की मांग की.
पढ़ें- ऋषिकेश के आसपास 100 रिसॉर्ट्स की बुकिंग 31 अगस्त तक कैंसिल करने का नोटिस, मोहनचट्टी हादसे से लिया सबक
ग्रामीणों के आरोपों पर ईटीवी भारत ने जब फोन पर कोटद्वार उप जिलाधिकारी सोहन सिंह सैनी से बात की तो उन्होंने कहा कि नौबड़ी गांव आपदा प्रभावित से राजस्व उपनिरीक्षक पौखाल द्वारा आपदा प्रार्थना पत्र के नाम पर 500-500 रुपये लिये जाने की जांच की जायेगी. लगातार तहसील क्षेत्र से शिकायत मिल रही है कि राजस्व उप निरीक्षक द्वारा आपदा राहत में लोगों को सहयोग नहीं किया जा रहा है. तत्काल अधिनस्थ सभी कर्मचारियों की आपदा बैठक बुलाई गई है.