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विश्व गौरैया दिवस: विलुप्त हो रही नन्ही चिड़िया, आधुनिक जीवनशैली बनीं घातक - इंसानी जीवन शैली बना विलुप्ती की वजह

आज विश्व गौरैया दिवस है. विलुप्त हो रही गौरैया को बचाने के लिए हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है.

World sparrow day
विश्व गौरैया दिवस
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Published : Mar 20, 2021, 3:57 PM IST

Updated : Mar 20, 2021, 6:52 PM IST

हल्द्वानी: विलुप्त हो रही गौरैया पक्षी को बचाने के लिए हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है. साल 2010 से हर साल गौरैया दिवस मनाते हुए लोग गौरैया को बचाने के लिए संकल्प लेते हैं. लेकिन ये नन्ही सी पक्षी धीरे-धीरे विलुप्ति के कगार पर है. इनके विलुप्ती का कारण इंसान की बदलती जीवन शैली है. जानें इन पक्षियों के विलुप्ति का कारण...

World sparrow day
विश्व गौरैया दिवस

आज विश्व गौरैया दिवस मनाया जा रहा है. गौरैया दिवस मनाने का उद्देश्य इसका संरक्षण और संवर्धन करने का है. लेकिन पिछले दो दशकों से खासकर शहरी क्षेत्र से गौरैया विलुप्त होती नजर आ रही है. अक्सर घर के मुंडेर पर और आंगन में गौरैया को दाना चुगने आपने देखा होगा. लेकिन बढ़ते शहरीकरण, रसायनिक प्रदूषण और रेडिएशन के चलते हमारे और आपके बीच से यह सुंदर सी चिड़ियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है.

विलुप्त हो रही नन्ही चिड़िया.

ये भी पढ़ें: चारधाम यात्रा के दौरान अब श्रद्धालुओं की गाइड बनेगी पुलिस

घरों के आसपास चहचहाने वाली गौरैया के विलुप्ती का मुख्य कारण इंसान की बदलती दिनचर्या है. जानकारों की मानें तो आने वाले कुछ सालों में गौरैया खत्म होने की कगार पर है. इस मामले में शोध कर चुके पशु चिकित्सक और शोधकर्ता डॉ. रमेश कुमार प्रजापति का कहना है कि शहरों में लगातार हो रहे प्रदूषण, अनाजों में रासायनिक दवाइयों के इस्तेमाल और रेडिएशन के वजह से गौरैया पर इसका बुरा असर पड़ा है. डॉ. रमेश कुमार प्रजापति का कहना है कि पिछले 10 सालों में गौरैया की संख्या में 60 से 70 फीसदी की गिरावट आई है. अगर जल्द इस विलुप्त हो रहे पक्षियों को संरक्षित और संरक्षण करने का काम नहीं किया गया तो एक दिन यह पक्षी नजर नहीं आएंगे.

World sparrow day
विश्व गौरैया दिवस

शोधकर्ता डॉ. रमेश कुमार के मुताबिक, मोबाइल टावर से निकलने वाले विकिरण, रासायनिक अनाज गौरैया के प्रजनन और अंडे देने की क्षमता में बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. फसलों में किस नाश्ता के इस्तेमाल से ऐसे कीड़े नष्ट हो जाते हैं जिन्हें गौरैया अपने बच्चों को खिलाती है.

ये भी पढ़ें: पूर्णागिरि धाम ट्रस्ट बनाने की कवायद, प्रशासन ने गठित की टीम

इसके अलावा रसायन से तैयार किए गए अनाज को खाने से गौरैया में गॉट नाम की बीमारी हो जाती है. जिससे गौरैया की किडनी डैमेज हो जाते हैं और गौरैया के मृत्यु का कारण बनता है. शहरों के बाद अब ग्रामीण इलाकों में भी गौरैया विलुप्ति की कगार पर है. जिसका मुख्य कारण लगातार कंक्रीट के मकान है ऐसे में अगर जल्द इनके संरक्षण के उपाय नहीं किए गए तो सुंदर चिड़िया हम सब देखने को तरस जाएंगे.

World sparrow day
बेरीनाग में गौरेया संरक्षण की अनोखी पहल.

बेरीनाग में गौरेया संरक्षण की अनोखी पहल

विश्व गौरेया दिवस के मौके पर नगर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर पक्षी प्रेमी प्रकाश बोरा ने कहा कि वर्तमान में गौरेया की संख्या बहुत कम हो रही है. जिसको बचाने के लिए सभी को एकजुट होकर आगे आना चाहिए. तभी गैरेया को बचाया जा सकता है. इससे पूर्व उन्होंने दर्जनों लोगों गौरेया के रहने के लिए बॉक्स वितरीत किये.

हल्द्वानी: विलुप्त हो रही गौरैया पक्षी को बचाने के लिए हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है. साल 2010 से हर साल गौरैया दिवस मनाते हुए लोग गौरैया को बचाने के लिए संकल्प लेते हैं. लेकिन ये नन्ही सी पक्षी धीरे-धीरे विलुप्ति के कगार पर है. इनके विलुप्ती का कारण इंसान की बदलती जीवन शैली है. जानें इन पक्षियों के विलुप्ति का कारण...

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विश्व गौरैया दिवस

आज विश्व गौरैया दिवस मनाया जा रहा है. गौरैया दिवस मनाने का उद्देश्य इसका संरक्षण और संवर्धन करने का है. लेकिन पिछले दो दशकों से खासकर शहरी क्षेत्र से गौरैया विलुप्त होती नजर आ रही है. अक्सर घर के मुंडेर पर और आंगन में गौरैया को दाना चुगने आपने देखा होगा. लेकिन बढ़ते शहरीकरण, रसायनिक प्रदूषण और रेडिएशन के चलते हमारे और आपके बीच से यह सुंदर सी चिड़ियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है.

विलुप्त हो रही नन्ही चिड़िया.

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घरों के आसपास चहचहाने वाली गौरैया के विलुप्ती का मुख्य कारण इंसान की बदलती दिनचर्या है. जानकारों की मानें तो आने वाले कुछ सालों में गौरैया खत्म होने की कगार पर है. इस मामले में शोध कर चुके पशु चिकित्सक और शोधकर्ता डॉ. रमेश कुमार प्रजापति का कहना है कि शहरों में लगातार हो रहे प्रदूषण, अनाजों में रासायनिक दवाइयों के इस्तेमाल और रेडिएशन के वजह से गौरैया पर इसका बुरा असर पड़ा है. डॉ. रमेश कुमार प्रजापति का कहना है कि पिछले 10 सालों में गौरैया की संख्या में 60 से 70 फीसदी की गिरावट आई है. अगर जल्द इस विलुप्त हो रहे पक्षियों को संरक्षित और संरक्षण करने का काम नहीं किया गया तो एक दिन यह पक्षी नजर नहीं आएंगे.

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विश्व गौरैया दिवस

शोधकर्ता डॉ. रमेश कुमार के मुताबिक, मोबाइल टावर से निकलने वाले विकिरण, रासायनिक अनाज गौरैया के प्रजनन और अंडे देने की क्षमता में बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. फसलों में किस नाश्ता के इस्तेमाल से ऐसे कीड़े नष्ट हो जाते हैं जिन्हें गौरैया अपने बच्चों को खिलाती है.

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इसके अलावा रसायन से तैयार किए गए अनाज को खाने से गौरैया में गॉट नाम की बीमारी हो जाती है. जिससे गौरैया की किडनी डैमेज हो जाते हैं और गौरैया के मृत्यु का कारण बनता है. शहरों के बाद अब ग्रामीण इलाकों में भी गौरैया विलुप्ति की कगार पर है. जिसका मुख्य कारण लगातार कंक्रीट के मकान है ऐसे में अगर जल्द इनके संरक्षण के उपाय नहीं किए गए तो सुंदर चिड़िया हम सब देखने को तरस जाएंगे.

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बेरीनाग में गौरेया संरक्षण की अनोखी पहल.

बेरीनाग में गौरेया संरक्षण की अनोखी पहल

विश्व गौरेया दिवस के मौके पर नगर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर पक्षी प्रेमी प्रकाश बोरा ने कहा कि वर्तमान में गौरेया की संख्या बहुत कम हो रही है. जिसको बचाने के लिए सभी को एकजुट होकर आगे आना चाहिए. तभी गैरेया को बचाया जा सकता है. इससे पूर्व उन्होंने दर्जनों लोगों गौरेया के रहने के लिए बॉक्स वितरीत किये.

Last Updated : Mar 20, 2021, 6:52 PM IST
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