नैनीतालः अगर मन में कुछ कर गुजरने का हौसला हो, तो बड़ी से बड़ी बाधाएं पार हो जाती हैं. ऐसा ही कुछ सपना हल्द्वानी के दृष्टिबाधित (दिव्यांग) छात्र-छात्राओं ने देखा है. नैनीताल में दृष्टिहीन छात्र छात्राओं ने मैराथन में प्रतिभाग कर यह जता दिया कि वे भी किसी से कम नहीं और वे भी सामान्य बच्चों जैसे हैं. वे सामान्य बच्चों की तरह हर कार्य कर सकते हैं. जिनके बुलंद हौसलों को देख हर कोई हैरान रह गया.
नैनीताल में हल्द्वानी से आए 20 दृष्टिबाधित (दिव्यांग) छात्र- छात्राओं ने ओपन मैराथन में प्रतिभाग कर जता दिया कि वह किसी से कम नहीं हैं और समाज में सामान्य बच्चों की तरह सभी काम कर सकते हैं और कंधे से कंधा मिलाकर चल सकते हैं.
नैनीताल दृष्टिबाधित छात्राओं का कहना है कि भले ही कुदरत ने उन्हें आम बच्चों की तरह नहीं बनाया लेकिन वह आम बच्चों से कहीं ज्यादा बढ़कर हैं और उनसे ज्यादा बेहतर काम कर सकते हैं
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बता दें कि नैनीताल में मानसून मैराथन में दृष्टिबाधित छात्रों ने प्रतिभाग करके यह तो साबित कर दिया कि वे किसी से कम नहीं हैं. वहीं इस दौरान छात्रों का कहना है कि उनको टीचर, डॉक्टर समेत इंजीनियर बनना हैं. उन्होंने आगे कहा कि वे केवल शारीरिक रूप से अक्षम है न कि मानसिक रूप से इसे वे साबित करना चाहते हैं.
इस दौरान छात्राओं का कहना है कि वह समाज में अपने दम पर कुछ करना चाहती हैं और दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहती. जिसके लिए वे दिन और रात मेहनत कर रहीं हैं. साथ ही वे अपने पैरों में खड़ा होकर साबित करना चाहती हैं कि वह किसी से कम नहीं हैं.