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तितली पर्यटन की नैनीताल से होगी शुरुआत, युवाओं को मिलेगा रोजगार - नैनीताल के पंगोट में होगी तितली त्यार

मार्च 2022 में नैनीताल में तितली त्यार कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है. इसको लेकर प्रदेश में तितली पर्यटन की शुरुआत होने की उम्मीद है.

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तितली पर्यटन की नैनीताल से होगी शुरुआत
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Published : Sep 21, 2021, 5:14 PM IST

Updated : Sep 21, 2021, 5:30 PM IST

नैनीताल: तितलियों को संरक्षित करने और तितली पर्यटन की शुरुआत नैनीताल से होने जा रही है. मार्च 2022 में तितली त्यार कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है. नैनीताल के पंगोट में मार्च में तितली त्यार आयोजित होने जा रहा है. त्यार की आयोजन समिति ने पंगोट क्षेत्र का भ्रमण किया. साथ ही क्षेत्र में तितलियों के संरक्षण के लिए स्थान का चिन्हीकरण किया. कभी 60 के दशक में तितली जोन का दीदार करने के लिए ब्रिटिश और देश-विदेशों से सैलानी नैनीताल आते थे.

तितली संरक्षण समिति के सदस्य मनीष कुमार ने बताया की नैनीताल का पंगोट क्षेत्र बर्ड रिर्जव क्षेत्र है. यहां हर साल हजारों की संख्या में बर्ड वॉचर नैनीताल आते हैं. क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थिति के आधार पर कहा जा रहा है कि इसके आसपास 250 प्रजातियों की तितलियां हो सकती हैं, जिनको संरक्षित करने व तितलियों को पर्यटन कारोबार से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. जिससे पर्यावरण के साथ-साथ पर्यटन के कारोबार को भी बढ़ाया जा सकता है.

तितली पर्यटन की नैनीताल से होगी शुरुआत.

प्रसिद्ध फोटो ग्राफर पदमश्री अनूप साह ने कहा कि 60 के दशक में नैनीताल सातताल, ज्योलीकोट क्षेत्र में इंग्लैड, जर्मनी समेत कई अन्य देशों के लोग तितलियों को देखने आते थे. वहीं, वर्तमान में इन क्षेत्रों के जंगलों में हो रहे निर्माणों की वजह से तितलियां विलुप्त होने लगी हैं. तितलियों के संरक्षण के लिए कदम उठाना आवश्यक है.

ये भी पढ़ें: वन गुर्जरों को हटाए जाने पर नैनीताल हाईकोर्ट सख्त, 23 अक्टूबर को अगली सुनवाई

तितली संरक्षण अध्ययनकर्ता सुमेल मदान बताते हैं कि पंगोट क्षेत्र उच्च हिमालयी क्षेत्र है. इन क्षेत्रों में जो तितलियां मिलती हैं, वो देश के अन्य भागों में नहीं मिलती. तितलियां पर्यावरण के लिए बेहद आवश्यक हैं, जो पर्यावरण में होने वाले खंतरों का पहले ही संकेत दे देती हैं. लिहाजा इनको बचाने का प्रयास किया जाना चाहिए. वहीं यहां ब्रोन्डेडजूडी प्रजाति की तितली पहली बार देखी गई है.

सुमेल ने बताया कि पंगोट क्षेत्र में टाइगर ब्राउन, स्टेरिया सटाया प्रजाति की तितलियां करीब 35 साल बाद देखने को मिली है, जो एक अच्छा संकेत है. आने वाले दिनों में वो कुछ दिनों तक क्षेत्र में बटर फ्लाई वाॅक करेंगे. ताकि कुछ अन्य प्रजाति की भी तितलियां उनको मिल सकें.

तितली संरक्षणकर्ता ललित जोशी ने बताया की पंगोट क्षेत्र पर्यटन, बर्ड वाॅचिंग के लिए देश भर में जाना जाता है. ऐसे में यहां तितली पर्यटन शुरू किया जा सकता है. जिससे आने वाले समय में स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे. साथ ही पलायन को भी रोका जा सकता है. तितली त्यार फाउंडेशन के सदस्य गौरव खुल्बे बताते हैं कि तितलियों के संरक्षण के लिए बच्चों को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है. जिससे स्कुली बच्चे तितलियों के प्रति जागरूक हो और उनका संरक्षण कर सके.

नैनीताल: तितलियों को संरक्षित करने और तितली पर्यटन की शुरुआत नैनीताल से होने जा रही है. मार्च 2022 में तितली त्यार कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है. नैनीताल के पंगोट में मार्च में तितली त्यार आयोजित होने जा रहा है. त्यार की आयोजन समिति ने पंगोट क्षेत्र का भ्रमण किया. साथ ही क्षेत्र में तितलियों के संरक्षण के लिए स्थान का चिन्हीकरण किया. कभी 60 के दशक में तितली जोन का दीदार करने के लिए ब्रिटिश और देश-विदेशों से सैलानी नैनीताल आते थे.

तितली संरक्षण समिति के सदस्य मनीष कुमार ने बताया की नैनीताल का पंगोट क्षेत्र बर्ड रिर्जव क्षेत्र है. यहां हर साल हजारों की संख्या में बर्ड वॉचर नैनीताल आते हैं. क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थिति के आधार पर कहा जा रहा है कि इसके आसपास 250 प्रजातियों की तितलियां हो सकती हैं, जिनको संरक्षित करने व तितलियों को पर्यटन कारोबार से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. जिससे पर्यावरण के साथ-साथ पर्यटन के कारोबार को भी बढ़ाया जा सकता है.

तितली पर्यटन की नैनीताल से होगी शुरुआत.

प्रसिद्ध फोटो ग्राफर पदमश्री अनूप साह ने कहा कि 60 के दशक में नैनीताल सातताल, ज्योलीकोट क्षेत्र में इंग्लैड, जर्मनी समेत कई अन्य देशों के लोग तितलियों को देखने आते थे. वहीं, वर्तमान में इन क्षेत्रों के जंगलों में हो रहे निर्माणों की वजह से तितलियां विलुप्त होने लगी हैं. तितलियों के संरक्षण के लिए कदम उठाना आवश्यक है.

ये भी पढ़ें: वन गुर्जरों को हटाए जाने पर नैनीताल हाईकोर्ट सख्त, 23 अक्टूबर को अगली सुनवाई

तितली संरक्षण अध्ययनकर्ता सुमेल मदान बताते हैं कि पंगोट क्षेत्र उच्च हिमालयी क्षेत्र है. इन क्षेत्रों में जो तितलियां मिलती हैं, वो देश के अन्य भागों में नहीं मिलती. तितलियां पर्यावरण के लिए बेहद आवश्यक हैं, जो पर्यावरण में होने वाले खंतरों का पहले ही संकेत दे देती हैं. लिहाजा इनको बचाने का प्रयास किया जाना चाहिए. वहीं यहां ब्रोन्डेडजूडी प्रजाति की तितली पहली बार देखी गई है.

सुमेल ने बताया कि पंगोट क्षेत्र में टाइगर ब्राउन, स्टेरिया सटाया प्रजाति की तितलियां करीब 35 साल बाद देखने को मिली है, जो एक अच्छा संकेत है. आने वाले दिनों में वो कुछ दिनों तक क्षेत्र में बटर फ्लाई वाॅक करेंगे. ताकि कुछ अन्य प्रजाति की भी तितलियां उनको मिल सकें.

तितली संरक्षणकर्ता ललित जोशी ने बताया की पंगोट क्षेत्र पर्यटन, बर्ड वाॅचिंग के लिए देश भर में जाना जाता है. ऐसे में यहां तितली पर्यटन शुरू किया जा सकता है. जिससे आने वाले समय में स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे. साथ ही पलायन को भी रोका जा सकता है. तितली त्यार फाउंडेशन के सदस्य गौरव खुल्बे बताते हैं कि तितलियों के संरक्षण के लिए बच्चों को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है. जिससे स्कुली बच्चे तितलियों के प्रति जागरूक हो और उनका संरक्षण कर सके.

Last Updated : Sep 21, 2021, 5:30 PM IST
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