हल्द्वानी: उत्तराखंड की बदहाल सड़क और स्वास्थ्य व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है. सड़क और स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर हमेशा से सरकारों पर सवाल खड़े होते रहे हैं. उत्तराखंड के कई ऐसे गांव हैं, जहां आजादी के बाद आज तक गांव तक सड़क नहीं बनी. आज भी गांव के लोग कई किलोमीटर पैदल चलकर और घोड़े खच्चर पर सवार होकर सड़क मार्ग तक पहुंचते हैं.
ऐसा ही एक गांव नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर से लगे अनोठी सुफाकोट का है, जहां आज तक डेढ़ किलोमीटर सड़क नहीं बन पाई. ग्रामीणों को सड़क मार्ग तक जाने के लिए पैदल या घोड़े खच्चर का सहारा लेना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि सड़क मार्ग से केवल तीन किलोमीटर दूर अनोठी सुफाकोट गांव की दूरी है. सड़क के लिए पिछले कई दशकों से लड़ाई लड़ते आ रहे हैं. लेकिन डेढ़ किलोमीटर सड़क तो बनाई गई, जिसके बाद मार्ग निर्माण अधूरे में छोड़ दिया गया. डेढ़ किलोमीटर मार्ग को बने दस साल के करीब हो गया है. जबकि गांव में कई परिवार निवास करते हैं.
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ग्रामीणों का कहना है कि वो कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके हैं. इसके बावजूद गांव सड़क मार्ग से नहीं जुड़ पाया है.चुनाव के समय वोट मांगने समय सांसद और विधायक अपने प्रतिनिधि तो भेज देते हैं, लेकिन जीतने के बाद कोई प्रतिनिधि गांव नहीं आता है. अनोठी सुफाकोट क्षेत्र फल पट्टी वाला क्षेत्र है, जहां सेब और नाशपाती की काफी पैदावार होती है. सड़क नहीं होने के चलते ग्रामीणों को अपनी पैदावार को सड़क मार्ग तक पहुंचाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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जिसके चलते मजबूरन पैदावार को औने पौने दामों में बेचना पड़ता है. सड़क तक पैदावार को पहुंचाने के लिए घोड़े खच्चर का सहारा लेना पड़ता है. जिसके चलते फसल की ढुलाई में लागत अधिक लगती है और मंडियों में दाम अच्छे नहीं मिल पाते हैं. यहां तक कि कोई ग्रामीण बीमार होता है तो उसको घोड़े खच्चर में बिठाकर सड़क तक पहुंचाया जाता है.