ETV Bharat / state

निर्जला एकादशी आज, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

author img

By

Published : Jun 21, 2021, 1:03 AM IST

आज निर्जला एकादशी है. निर्जला एकादशी सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण होती है. इस दिन जलदान, घटदान और वस्त्र दान करने से विशेष फल मिलता है.

nirjala ekadashi 2021
nirjala ekadashi 2021

हल्द्वानी: हिंदू धर्म ग्रन्थों के मुताबिक निर्जला एकादशी सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण होती है. इस दिन भक्त जल की एक बूंद ग्रहण किये बिना पूरा दिन व्रत रहता है. ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस बार निर्जला एकादशी 21 जून सोमवार को होगी. साल में आने वाली 24 एकादशी व्रतों में निर्जला एकादशी को सर्वोत्तम माना गया है. ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चन्द्र जोशी के अनुसार जो व्यक्ति साल में एक भी एकादशी व्रत न कर सकें, वे केवल निर्जला एकादशी व्रत को करने समस्त व्रतों का फल प्राप्त कर सकता है.

निर्जला एकादशी का पौराणिक महत्व

महाभारत में भगवान कृष्ण ने इस व्रत का विधान महाबली भीमसेन को बताया था. इस बिना जल ग्रहण किये इस व्रत को किया जाता है. दो प्रकार की विधि है. एक सूर्योदय से सूर्यास्त तक दूसरा सूर्योदय से दूसरे दिन सूर्योदय तक बिना जल के रहना. एकादशी व्रत को व्रतों का राजा माना गया है. एकादशी को जलदान, घटदान और वस्त्र दान करने से विशेष फल मिलता है. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक कोरोना से पीड़ित व्यक्तियों की सेवा करने का यह उत्तम अवसर है.

निर्जला एकादशी, शुभ मुहूर्त और महत्व.

पढ़ें- हरिद्वार में सूक्ष्म रूप से मनाया जा रहा गंगा दशहरा पर्व

एकादशी का व्रत तप व संयम का प्रतीक है. साथ ही आहार पर नियन्त्रण करना तथा उपवास द्वारा उपासना का श्रेष्ठ व कठोर तरीका भी है. हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी होती है. एकादशी तिथि 20 जून शाम 4 बजकर 20 मिनट से 21 जून दोपहर 1 बजकर 31 मिनट तक रहेगी, जबकि व्रत का पारायण 22 जून सुबह किया जाएगा.

एकादशी व्रत का पारायण

एकादशी व्रत का पारायण व्रत के अगले दिन किया जाता है. मान्यता है कि व्रत का पारायण सूर्योदय के बाद करना चाहिए. व्रत का पारायण द्वादशी की तिथि समाप्त होने से पहले करना ही श्रेष्ठ होता है. द्वादशी की तिथि अगर सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाए, तो व्रत का पारायण सूर्योदय के बाद करना चाहिए.

हल्द्वानी: हिंदू धर्म ग्रन्थों के मुताबिक निर्जला एकादशी सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण होती है. इस दिन भक्त जल की एक बूंद ग्रहण किये बिना पूरा दिन व्रत रहता है. ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस बार निर्जला एकादशी 21 जून सोमवार को होगी. साल में आने वाली 24 एकादशी व्रतों में निर्जला एकादशी को सर्वोत्तम माना गया है. ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चन्द्र जोशी के अनुसार जो व्यक्ति साल में एक भी एकादशी व्रत न कर सकें, वे केवल निर्जला एकादशी व्रत को करने समस्त व्रतों का फल प्राप्त कर सकता है.

निर्जला एकादशी का पौराणिक महत्व

महाभारत में भगवान कृष्ण ने इस व्रत का विधान महाबली भीमसेन को बताया था. इस बिना जल ग्रहण किये इस व्रत को किया जाता है. दो प्रकार की विधि है. एक सूर्योदय से सूर्यास्त तक दूसरा सूर्योदय से दूसरे दिन सूर्योदय तक बिना जल के रहना. एकादशी व्रत को व्रतों का राजा माना गया है. एकादशी को जलदान, घटदान और वस्त्र दान करने से विशेष फल मिलता है. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक कोरोना से पीड़ित व्यक्तियों की सेवा करने का यह उत्तम अवसर है.

निर्जला एकादशी, शुभ मुहूर्त और महत्व.

पढ़ें- हरिद्वार में सूक्ष्म रूप से मनाया जा रहा गंगा दशहरा पर्व

एकादशी का व्रत तप व संयम का प्रतीक है. साथ ही आहार पर नियन्त्रण करना तथा उपवास द्वारा उपासना का श्रेष्ठ व कठोर तरीका भी है. हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी होती है. एकादशी तिथि 20 जून शाम 4 बजकर 20 मिनट से 21 जून दोपहर 1 बजकर 31 मिनट तक रहेगी, जबकि व्रत का पारायण 22 जून सुबह किया जाएगा.

एकादशी व्रत का पारायण

एकादशी व्रत का पारायण व्रत के अगले दिन किया जाता है. मान्यता है कि व्रत का पारायण सूर्योदय के बाद करना चाहिए. व्रत का पारायण द्वादशी की तिथि समाप्त होने से पहले करना ही श्रेष्ठ होता है. द्वादशी की तिथि अगर सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाए, तो व्रत का पारायण सूर्योदय के बाद करना चाहिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.