नैनीताल: कोरोना की तीसरी लहर (corona third wave) से लड़ने के लिए उत्तराखंड सरकार ने जो तैयारियां की हैं, उससे नैनीताल हाईकोर्ट (nainital high court) नाखुश है. नैनीताल हाईकोर्ट (nainital high court) के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी (health secretary amit negi) को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.
बता दें कि पिछली सुनवाई के आदेश के क्रम में बुधवार 23 जून को स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने अपना जवाब कोर्ट में पेश किया था. जिस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की. कोर्ट ने कहा कि-
पेश किया गया शपथ पत्र तर्कहीन है. राज्य सरकार द्वारा कोरोना काल में हुई मौतों की ऑडिट रिपोर्ट भी भ्रमित करने वाली है. क्योंकि अधिकांश मृत्यु या तो हृदय गति रुकने से हुई हैं, या अन्य कारणों से. कोर्ट ने कहा कि कोरोना (corona) की दूसरी लहर के दौरान कितने लोगों की मौत हुई है, इसकी भी सरकार ने कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी है. कोर्ट ने कहा कि सरकार द्वारा कराई गई डेथ ऑडिट रिपोर्ट में बड़ी गड़बड़ी है, जिसे कोर्ट स्वीकार नहीं करती है. लिहाजा स्वास्थ्य सचिव पूरे मामले पर अपना विस्तृत जवाब दोबारा पेश करें.
पढ़ें- हरिद्वार पुस्तकालय घोटाले में HC ने सरकार और मदन कौशिक समेत कईयों को भेजा नोटिस
वहीं उत्तराखंड में अब तक ब्लैक फंगस की दवा उपलब्ध न होने और कोरोना की तीसरी लहर के लिए उचित व्यवस्था ना होने के मामले पर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने नाराजगी व्यक्त की. कोर्ट ने मुख्य सचिव ओम प्रकाश को फटकार लगाते हुए सभी व्यवस्था दुरुस्त करने को कहा है. कोर्ट ने प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव से पूछा है कि उत्तराखंड के सभी जिला अस्पतालों में कितने चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं? कितने वेंटिलेटर हैं? कितना स्टाफ है? पीएचसी और सीएचसी में ब्लैक फंगस और तीसरी लहर के लिए क्या व्यवस्था की गई है? सभी पीएचसी और सीएचसी में कितनी एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है?
इसके अलावा कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि-
अब तक छोटे बच्चों के लिए कितने वॉर्ड तैयार किए गए हैं? हाईकोर्ट द्वारा बनाई गई हाई पावर कमेटी ने जो संस्तुति थी, उनका पालन किया जा रहा है या नहीं? अगर तीसरी लहर के दौरान डॉक्टरों की उत्तराखंड में कमी होती है तो सुरक्षा बल और सेना आदि के डॉक्टरों की सेवा लेने पर भी राज्य सरकार अभी से विचार करे.
वहीं कोर्ट ने प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव और अपर सचिव पर्यटन को अगली सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा हाईकोर्ट में पेश होकर अपना जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने उत्तराखंड में 1 जुलाई से शुरू होने जा रही चारधाम यात्रा के मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि उत्तराखंड सरकार 1 जुलाई से प्रदेश में चारधाम यात्रा शुरू करवाने जा रही है. चारधाम यात्रा में देश-विदेश से लाखों की संख्या में भक्त आएंगे, लेकिन राज्य सरकार की व्यवस्थाओं को देखकर नहीं लगता की उत्तराखंड चारधाम जैसी बड़ी यात्रा के लिए तैयार है.
पढ़ें- Corona fake test scam: HC से मैक्स कॉरपोरेट को अंतरिम राहत, नहीं होगी गिरफ्तारी
कोर्ट ने राज्य सरकार से कैबिनेट के माध्यम से चारधाम यात्रा (chardham yatra) को स्थगित करने पर विचार करने और यात्रा को लेकर जवाब कोर्ट में पेश करने को कहा है. कोर्ट का कहना है कि ऐसा न होने की स्थिति में उत्तराखंड में एक बार फिर से हरिद्वार कुंभ की जैसी अवस्थाएं देखने को मिलेंगी और हो सकता है कि इस बार कोरोना की स्थिति पहले से ज्यादा भयावह हो. क्योंकि एक तरफ कोरोना की तीसरी लहर है तो दूसरी तरफ डेल्टा वेरिएंट लिहाजा राज्य सरकार को बच्चों की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए इस तरफ ध्यान देना होगा.