देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा (uttarakhand assembly) से बर्खास्त किये गए अपर निजी सचिव भूपेंद्र सिंह बिष्ट व अन्य ने अपने सेवा समाप्ति के आदेश को माननीय उच्च न्यायालय ( Nainital high court) में चुनौती दी है. वहीं, आज हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए विधानसभा अध्यक्ष और विधानसभा उपसचिव को इस मामले में 14 अक्टूबर तक जवाब पेश करने के आदेश दिये हैं. ऐसे में अब इस मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी.
शनिवार को न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी (Justice Manoj Kumar Tiwari) की एकलपीठ में अपर निजी सचिव पद से बर्खास्त हुए भूपेंद्र सिंह बिष्ट व अन्य की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि नया राज्य बनने के बाद विधानसभा में निर्धारित प्रक्रिया अपनाकर रिक्त पदों के सापेक्ष अपर निजी सचिव पदों पर तदर्थ नियुक्तयां की गई. तब गैरसैण में विधानसभा सत्र आयोजित होना था और उन्हें उपनल के माध्यम से नियुक्ति दी गई. जिसके बाद 20 दिसंबर 2016 को उन्हें तदर्थ नियुक्ति मिली.
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वहीं, याचिका में कहा गया है कि 2014 तक हुई तदर्थ रूप से नियुक्त कर्मचारियों को चार वर्ष से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई. किन्तु उन्हें 6 वर्ष के बाद भी स्थायी नहीं किया गया और अब उन्हें बिना कारण बताये ही उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं. ऐसे में पूर्व में उच्च न्यायलय व सर्वोच्च न्यायलय ने उनके पक्ष में निर्णय दिया था.
याचिका में यह भी कहा गया है कि विधानसभा में सरकार की नियमावली लागू नहीं होती है और वहां 6 माह की तदर्थ सेवा के बाद नियमित किये जाने का प्रावधान है. लिहाजा, उन्होंने कोर्ट से अपनी सेवा बहाली व नियमितीकरण की मांग की है. हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं की तरफ से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत व रविंद्र बिष्ट ने की. जबकि, विधानसभा ने अपना पक्ष रखने के लिये विजय भट्ट को अधिकृत किया है. ऐसे में अब कोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष और विधानसभा उपसचिव को 14 अक्टूबर तक जवाब पेश करने के आदेश दिये हैं.