ETV Bharat / state

कुमाऊं विश्वविद्यालय में जुटे देश-विदेश के वैज्ञानिकों ने ग्राफिन पर की चर्चा, पॉलिथीन के खतरे पर किया मंथन - उत्तराखंड समाचार

नैनो प्रौद्योगिकी विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में कई देशों के जाने माने प्रोफेसर और वैज्ञानिक प्रतिभाग कर रहे हैं. सेमिनार में विश्व में लगातार बढ़ रही पॉलिथीन की समस्या से निपटने के लिए ग्राफिन तैयार करने पर चर्चा की जा रही है.

अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में
author img

By

Published : May 26, 2019, 4:59 PM IST

नैनीतालः कुमाऊं विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग की ओर से नैनो प्रौद्योगिकी विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में कई देशों के जाने माने प्रोफेसर और वैज्ञानिक प्रतिभाग कर रहे हैं. सेमिनार में विश्व में लगातार बढ़ रही पॉलिथीन की समस्या से निपटने के लिए ग्राफिन तैयार करने पर चर्चा की जा रही है. जिससे आने वाले भविष्य को पॉलिथीन के खतरे से बचाया सके.

नैनो प्रौद्योगिकी विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में जानकारी देते प्रोफेसर.

क्या है ग्राफीन?
ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी के शोधार्थी आंद्रे सीम और कांसटेंटिन नोवोसेलोव ने साल 2004 में एक खोज से विज्ञान जगत में तहलका मचा दिया था. इन दोनों ने कार्बन के नैनो रूप यानी ग्राफीन की खोज की थी. ये पदार्थ काफी कारगर माना जा रहा है. इसके इस्तेमाल से मानव जीवन के लिये इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का इस्तेमाल बेहद सरल और किफायती हो जाएगा. नैनो टेक्नोलॉजी की मदद से खोजे गये ग्राफीन का प्रयोग जेट विमानों के ईंधन से लेकर सड़क निर्माण, दवाइयों को बनाने के लिए किया जाएगा.

ये भी पढ़ेंः ऋषिकेश-बदरीनाथ राजमार्ग पर हुआ हादसा, तीन लोगों की मौत


वहीं, इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में इस्तेमाल से न केवल उनकी क्षमता बढ़ाई जा सकती है, बल्कि बिजली का भी कम से कम प्रयोग हो सकेगा. भारत अभी ग्राफीन के इस्तेमाल से दूर था, लेकिन अब भारत में भी कई स्थानों पर ग्राफीन की लैब लगाई गई है. इन लैब में कई प्रकार के प्रदार्थ भी बनाए जा रहे हैं. जिनसे पेट्रोलियम पदार्थ, दवायें समेत अन्य महत्वपूर्ण पदार्थों का निर्माण किया जाने लगा है.

नैनीतालः कुमाऊं विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग की ओर से नैनो प्रौद्योगिकी विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में कई देशों के जाने माने प्रोफेसर और वैज्ञानिक प्रतिभाग कर रहे हैं. सेमिनार में विश्व में लगातार बढ़ रही पॉलिथीन की समस्या से निपटने के लिए ग्राफिन तैयार करने पर चर्चा की जा रही है. जिससे आने वाले भविष्य को पॉलिथीन के खतरे से बचाया सके.

नैनो प्रौद्योगिकी विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में जानकारी देते प्रोफेसर.

क्या है ग्राफीन?
ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी के शोधार्थी आंद्रे सीम और कांसटेंटिन नोवोसेलोव ने साल 2004 में एक खोज से विज्ञान जगत में तहलका मचा दिया था. इन दोनों ने कार्बन के नैनो रूप यानी ग्राफीन की खोज की थी. ये पदार्थ काफी कारगर माना जा रहा है. इसके इस्तेमाल से मानव जीवन के लिये इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का इस्तेमाल बेहद सरल और किफायती हो जाएगा. नैनो टेक्नोलॉजी की मदद से खोजे गये ग्राफीन का प्रयोग जेट विमानों के ईंधन से लेकर सड़क निर्माण, दवाइयों को बनाने के लिए किया जाएगा.

ये भी पढ़ेंः ऋषिकेश-बदरीनाथ राजमार्ग पर हुआ हादसा, तीन लोगों की मौत


वहीं, इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में इस्तेमाल से न केवल उनकी क्षमता बढ़ाई जा सकती है, बल्कि बिजली का भी कम से कम प्रयोग हो सकेगा. भारत अभी ग्राफीन के इस्तेमाल से दूर था, लेकिन अब भारत में भी कई स्थानों पर ग्राफीन की लैब लगाई गई है. इन लैब में कई प्रकार के प्रदार्थ भी बनाए जा रहे हैं. जिनसे पेट्रोलियम पदार्थ, दवायें समेत अन्य महत्वपूर्ण पदार्थों का निर्माण किया जाने लगा है.

Intro:स्लग - सेमिनार ग्राफिन

रिपोर्ट- गौरव जोशी

स्थान - नैनीताल

एंकर - कुमाउ विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग की ओर नैनो प्रौधोगिकी विषय में तीन दिवसीय अंतरराष्टीय सेमिनार आयोजित किया जा रहा हैं,, जिसमें कई देशो के जाने माने प्रोफेसर और वैज्ञानिक प्रतिभाग कर रहे है,,, सेमिनार में विश्व में लगतार बढ रही पोलीथीन की समस्या से निपटने के लिए ग्राफिन तैयार करने पर चर्चा कर रहे है, ताकी आने वाले भविष्य को पोलोथीन के खतरे से बचाया सके।




Body:वीओ- आईए ग्राफीन है क्या एक नजर इस पर -

      ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटि के शोधार्थी आंद्रे सीम और काॅन्सटेंटिन नोवोसेलोव ने 2004 में उस वक्त विज्ञान जगत में तहलका मचा दिया जब इन दोनों ने कार्बन के नैनो रूप यानी ग्राफीन की खोज की,,, ये पदार्थ इतना कारगर है कि इसके उपयोग से मानव जीवन के लिये इलैक्ट्राॅनिक वस्तुओं का इस्तेमाल बेहद सरल और किफायती हो जाएगा,,, नैनो टैक्नाॅलाजी की मदद से खोजे गये ग्राफीन का प्रयोग जेट विमानों के ईधन से लेकर सडक निमार्ण, दवा बनाने के लिए करा जाएगा,,,




Conclusion:वही इलैक्ट्रानिक उत्पादों में इस्तेमाल से न केवल उनकी क्षमता बढ़ाई जा सकती है बल्कि बिजली का भी कम से कम प्रयोग हो सकेगा,,, भारत अभी ग्राफीन के इस्तेमाल से दूर नजर था, लेकिन अब भारत में भी कई स्थानो पर ग्राफीन की प्रयोग शालाए लगाई गई है और इन प्रयोगशालाओ में कई प्रकार के प्रदार्थ भी बनने लगे है जिनसे प्रेट्रोलीयम प्रदार्थ, दवाए समेंत अन्य महत्वपुर्ण प्रदार्थो का निमार्ण करा जाने लगा है,,,


बाईट- प्रोफेसर  नंद गोपाल साहू नैनो टैक्नोलाजी और नैनो साइंस
बाईट- प्रेाफेसर  आनंद बल्लभ मेलकानी, विभागध्यक्ष रसायन विज्ञान
बाईट- अक्षत साह, छात्र ब्रिटेनं


ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.