ETV Bharat / state

कुमाऊं से सबसे बड़े अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी, 173 पदों पर सिर्फ 90 डॉक्टर तैनात - सुशीला तिवारी अस्पताल में डॉक्टरों का भारी टोटा

कुमाऊं मंडल के सबसे बड़े अस्पताल राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं सुशीला तिवारी अस्पताल में डॉक्टरों का भारी टोटा है. आलम ये है कि अस्पताल में 173 पदों पर मात्र 90 डॉक्टर ही तैनात हैं. वहीं, पिछले महीने 100 पदों पर डॉक्टरों की भर्ती निकाली गई थी. जिसमें मात्र 11 डॉक्टरों ने ही ज्वाइन किया.

haldwani
हल्द्वानी
author img

By

Published : Aug 14, 2022, 2:37 PM IST

Updated : Aug 14, 2022, 3:23 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त करने के बड़े-बड़े दावे तो कर रही है. लेकिन पहाड़ हो या मैदान उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था कभी भी दम तोड़ देती है. आलम यह है कि डॉक्टर पहाड़ चढ़ने के लिए तैयार नहीं हैं. इस पहाड़ के ज्यादातर अस्पताल रेफर सेंटर (Uttarakhand mountain hospital became referral center) बनकर रह गए हैं. बात कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल (Sushila Tiwari Hospital) की करें तो यहां अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी है. इस कारण मरीजों को निजी अस्पताल की शरण लेनी पड़ रही है.

हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में आने वाले मरीज और तीमारदार अस्पताल की बदहाल व्यवस्था से परेशान हैं. यहां तक कि अस्पताल के प्राचार्य डॉक्टर अरुण जोशी भी मान रहे हैं कि सुशीला तिवारी अस्पताल में डॉक्टर की भारी कमी है. इसके चलते मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है. यहां तक कि अस्पताल से रोजाना डॉक्टर इस्तीफा देकर जा रहे हैं.

कुमाऊं से सबसे बड़े अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी.

173 पदों पर 90 डॉक्टर तैनातः राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं सुशील तिवारी अस्पताल की बात करें तो प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और सीनियर रेजिडेंस के 173 पद हैं. इसके सापेक्ष मात्र 90 पदों पर डॉक्टर तैनात हैं. सुशीला तिवारी अस्पताल में करीब 24 विभाग का संचालन किया जा रहा है लेकिन विभागों की स्थिति यह है कि यहां पर डॉक्टर नहीं है.

मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसरों की भारी कमीः वहीं, मेडिकल कॉलेज में 24 प्रोफेसर के जगह 18 प्रोफेसर ही तैनात हैं. 40 एसोसिएट प्रोफेसर की जगह पर 15, जबकि 68 असिस्टेंट प्रोफेसर के जगह पर 21 और 40 सीनियर रेजिडेंट के जगह पर 11 सीनियर रेजिडेंट तैनात हैं. अस्पताल प्रशासन शासन से लगातार डॉक्टरों की डिमांड कर रहा है. बताया जा रहा है कि अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों की भी भारी कमी है. डॉक्टरों की भर्तियां नहीं होने से मेडिकल कॉलेज के कई विभागों की मान्यता पर ही संकट मंडरा रहा है.

मरीजों का कहना है कि वह दूर दूर से इलाज के लिए अस्पताल पहुंचते हैं. लेकिन डॉक्टरों की व्यवस्थाएं ठीक नहीं होने के चलते मरीजों को निराश होकर प्राइवेट हॉस्पिटल में जाना पड़ रहा है. दूसरी तरफ रेडियोलॉजी विभाग में कई महीनों के बाद डॉक्टर की तैनाती की गई है. इस दौरान विभाग को बंद रखा गया था. वहीं, कार्डियोलॉजी विभाग में डॉक्टर नहीं है. इस कारण मरीजों को निजी अस्पताल में जाना पड़ रहा है.

मात्र 11 डॉक्टरों ने किया ज्वॉइनः हल्द्वानी राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी के मुताबिक अस्पताल में करीब 400 सीनियर, जूनियर सहित अन्य पदों पर डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं. लेकिन उसके सापेक्ष 50 से 60% ही डॉक्टर अस्पताल में तैनात हैं. उन्होंने बताया कि एक माह पहले ही 100 डॉक्टरों की भर्तियां निकाली गई थी. इसके सापेक्ष में मात्र 11 डॉक्टरों ने ही ज्वॉइन किया.

डॉक्टर अरुण जोशी के मुताबिक, सुशीला तिवारी अस्पताल में अधिकतर डॉक्टर बाहरी राज्यों से आते हैं. लेकिन डॉक्टरों को उत्तराखंड के अस्पतालों में अच्छी सैलरी और सुविधा नहीं मिलने के कारण लंबे समय तक तैनात नहीं रह पाते हैं. यही कारण है कि अस्पताल में डॉक्टर की कमी है. इसके अलावा कुछ महीने पहले ही सुशीला तिवारी अस्पताल से भारी संख्या में डॉक्टरों का ट्रांसफर अल्मोड़ा और श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में किया गया है.

हल्द्वानी: उत्तराखंड सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त करने के बड़े-बड़े दावे तो कर रही है. लेकिन पहाड़ हो या मैदान उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था कभी भी दम तोड़ देती है. आलम यह है कि डॉक्टर पहाड़ चढ़ने के लिए तैयार नहीं हैं. इस पहाड़ के ज्यादातर अस्पताल रेफर सेंटर (Uttarakhand mountain hospital became referral center) बनकर रह गए हैं. बात कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल (Sushila Tiwari Hospital) की करें तो यहां अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी है. इस कारण मरीजों को निजी अस्पताल की शरण लेनी पड़ रही है.

हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में आने वाले मरीज और तीमारदार अस्पताल की बदहाल व्यवस्था से परेशान हैं. यहां तक कि अस्पताल के प्राचार्य डॉक्टर अरुण जोशी भी मान रहे हैं कि सुशीला तिवारी अस्पताल में डॉक्टर की भारी कमी है. इसके चलते मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है. यहां तक कि अस्पताल से रोजाना डॉक्टर इस्तीफा देकर जा रहे हैं.

कुमाऊं से सबसे बड़े अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी.

173 पदों पर 90 डॉक्टर तैनातः राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं सुशील तिवारी अस्पताल की बात करें तो प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और सीनियर रेजिडेंस के 173 पद हैं. इसके सापेक्ष मात्र 90 पदों पर डॉक्टर तैनात हैं. सुशीला तिवारी अस्पताल में करीब 24 विभाग का संचालन किया जा रहा है लेकिन विभागों की स्थिति यह है कि यहां पर डॉक्टर नहीं है.

मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसरों की भारी कमीः वहीं, मेडिकल कॉलेज में 24 प्रोफेसर के जगह 18 प्रोफेसर ही तैनात हैं. 40 एसोसिएट प्रोफेसर की जगह पर 15, जबकि 68 असिस्टेंट प्रोफेसर के जगह पर 21 और 40 सीनियर रेजिडेंट के जगह पर 11 सीनियर रेजिडेंट तैनात हैं. अस्पताल प्रशासन शासन से लगातार डॉक्टरों की डिमांड कर रहा है. बताया जा रहा है कि अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों की भी भारी कमी है. डॉक्टरों की भर्तियां नहीं होने से मेडिकल कॉलेज के कई विभागों की मान्यता पर ही संकट मंडरा रहा है.

मरीजों का कहना है कि वह दूर दूर से इलाज के लिए अस्पताल पहुंचते हैं. लेकिन डॉक्टरों की व्यवस्थाएं ठीक नहीं होने के चलते मरीजों को निराश होकर प्राइवेट हॉस्पिटल में जाना पड़ रहा है. दूसरी तरफ रेडियोलॉजी विभाग में कई महीनों के बाद डॉक्टर की तैनाती की गई है. इस दौरान विभाग को बंद रखा गया था. वहीं, कार्डियोलॉजी विभाग में डॉक्टर नहीं है. इस कारण मरीजों को निजी अस्पताल में जाना पड़ रहा है.

मात्र 11 डॉक्टरों ने किया ज्वॉइनः हल्द्वानी राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी के मुताबिक अस्पताल में करीब 400 सीनियर, जूनियर सहित अन्य पदों पर डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं. लेकिन उसके सापेक्ष 50 से 60% ही डॉक्टर अस्पताल में तैनात हैं. उन्होंने बताया कि एक माह पहले ही 100 डॉक्टरों की भर्तियां निकाली गई थी. इसके सापेक्ष में मात्र 11 डॉक्टरों ने ही ज्वॉइन किया.

डॉक्टर अरुण जोशी के मुताबिक, सुशीला तिवारी अस्पताल में अधिकतर डॉक्टर बाहरी राज्यों से आते हैं. लेकिन डॉक्टरों को उत्तराखंड के अस्पतालों में अच्छी सैलरी और सुविधा नहीं मिलने के कारण लंबे समय तक तैनात नहीं रह पाते हैं. यही कारण है कि अस्पताल में डॉक्टर की कमी है. इसके अलावा कुछ महीने पहले ही सुशीला तिवारी अस्पताल से भारी संख्या में डॉक्टरों का ट्रांसफर अल्मोड़ा और श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में किया गया है.

Last Updated : Aug 14, 2022, 3:23 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.