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छात्रवृत्ति घोटाला: हाईकोर्ट ने एसआईटी पर अपनाया कड़ा रुख, 11 अगस्त को पेश होने का दिया आदेश

प्रदेश में हुए 200 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रहे एसआईटी पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है. एसआईटी के दोनों जांच अधिकारियों को कोर्ट ने वास्तविक जांच रिपोर्ट के साथ पेश होने के आदेश दिए हैं.

छात्रवृत्ति घोटाले मामले पर बोलते याचिकाकर्ता के अधिवक्ता.
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Published : Aug 29, 2019, 9:23 PM IST

नैनीताल: प्रदेश के सबसे बड़े छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है. कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए इस मामले की जांच कर रहे एसआईटी के दोनों जांच अधिकारी आईजी संजय गुंज्याल और टीसी मंजूनाथ को 11 अगस्त को नैनीताल हाईकोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने कहा है कि दोनों जांच अधिकारी अब तक मामले में की गई वास्तविक जांच रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करेंगे.

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बता दें कि गुरुवार को छात्रवृत्ति घोटाला मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया गया कि अब तक मामले में प्रभाव के कारण कोई कार्रवाई नहीं की गई है. जिसके बाद कड़ा रुख अपनाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने जांच अधिकारियों को रिपोर्ट के साथ कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं.

छात्रवृत्ति घोटाले मामले पर बोलते याचिकाकर्ता के अधिवक्ता.

दरअसल, देहरादून निवासी राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने कहा है कि समाज कल्याण विभाग ने साल 2003 से अब तक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों की छात्रवृत्ति नहीं दिया है. जिससे स्पष्ट होता है कि साल 2003 से अब तक विभाग की ओर से करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया है.

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वहीं, साल 2017 में इसपर जांच के लिए पूर्व सीएम हरीश रावत ने एसआईटी गठित कर तीन माह में जांच पूरा करने का आदेश दिया था. इस पर आगे की कार्रवाई नहीं हो सकी, साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मामले में सीबीआई जांच की जानी चाहिए.

नैनीताल: प्रदेश के सबसे बड़े छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है. कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए इस मामले की जांच कर रहे एसआईटी के दोनों जांच अधिकारी आईजी संजय गुंज्याल और टीसी मंजूनाथ को 11 अगस्त को नैनीताल हाईकोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने कहा है कि दोनों जांच अधिकारी अब तक मामले में की गई वास्तविक जांच रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करेंगे.

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बता दें कि गुरुवार को छात्रवृत्ति घोटाला मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया गया कि अब तक मामले में प्रभाव के कारण कोई कार्रवाई नहीं की गई है. जिसके बाद कड़ा रुख अपनाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने जांच अधिकारियों को रिपोर्ट के साथ कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं.

छात्रवृत्ति घोटाले मामले पर बोलते याचिकाकर्ता के अधिवक्ता.

दरअसल, देहरादून निवासी राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने कहा है कि समाज कल्याण विभाग ने साल 2003 से अब तक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों की छात्रवृत्ति नहीं दिया है. जिससे स्पष्ट होता है कि साल 2003 से अब तक विभाग की ओर से करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया है.

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वहीं, साल 2017 में इसपर जांच के लिए पूर्व सीएम हरीश रावत ने एसआईटी गठित कर तीन माह में जांच पूरा करने का आदेश दिया था. इस पर आगे की कार्रवाई नहीं हो सकी, साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मामले में सीबीआई जांच की जानी चाहिए.

Intro:Summary

प्रदेश के बहुचर्चित 200 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले मामले में नहीं तो आल हाई कोर्ट ने घोटाले की जांच कर रहे जांच अधिकारियों को कोर्ट में पेश होने के लिए आदेश।

Intro

प्रदेश के सबसे बड़े छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रहे एसआईटी के दोनों जांच अधिकारी आईजी संजय गुंज्याल और टीसी मंजूनाथ को 11 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से नैनीताल हाई कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं,, साथ ही कोर्ट ने कहा कि दोनों जांच अधिकारी अब तक मामले में की गई वास्तविक जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।
आज मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि अब तक मामले में किसी भी अधिकारी पर उनके प्रभाव के कारण कोई कार्रवाई नहीं की गई है जिसके बाद मामले में सख्त रुख अपनाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने जांच अधिकारियों को रिपोर्ट के साथ कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं।


Body:आपको बता दें कि देहरादून निवासी राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा 2003 से अब तक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों का छात्रवृत्ति का पैसा नहीं दिया है जिससे स्पष्ट होता है कि 2003 से अब तक विभाग द्वारा करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया है।


Conclusion:जबकि 2017 में इसकी जांच के लिए पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा एसआईटी गठित की गई थी और 3 माह में जांच पूरी करने को कहा था परंतु इस पर आगे की कार्रवाई नहीं हो सकी, साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मामले में सीबीआई जांच की जानी चाहिए,,,
आज मामले को गंभीरता से सुनते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने घोटाले की जांच कर रहे दोनों जांच अधिकारियों को विस्तृत और वास्तविक जांच रिपोर्ट के साथ कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए हैं।

बाईट- एम सी पंत अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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