नैनीतालः भिकियासैंण से मर्चूला तक बन रही सड़क निर्माण के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि 30 नवंबर तक सड़क निर्माण से हुए मलबे को नदी से हटा लें. वहीं, कोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी आदेश दिए हैं कि जिस जगह सड़क बन रही थी उस जगह नदी में रिटर्निंग वॉल भी बनाएं.
मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मामले में सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि रिटर्निंग वॉल बनाने के दौरान किसी भी वन्यजीव, मछलियों को खतरा न हो और नदी का प्रवाह पूर्व की तरह से बहे.
बता दें कि हल्द्वानी निवासी गुरविंदर सिंह चड्डा ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि भिकियासैंण से मर्चुला तक सड़क बनाई जा रही है जिसका मलबा रामगंगा नदी में डाला जा रहा है जिससे पानी का प्रभाव रुक गया है.
साथ ही नदी रामनगर के कॉर्बेट पार्क से होकर गुजरती है और पार्क में जानवर इसी नदी का पानी पीते हैं. वहीं, इस नदी में मगरमच्छ और घड़ियाल प्रजाति के जानवर भी रहते हैं और पानी का प्रभाव रुक जाने से जानवरों पर खतरा मंडरा रहा है.
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मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को नदी से मलबा हटाने के आदेश दिए हैं. याचिकाकर्ता का कहना है कि सड़क निर्माण के मामले पर ठेकेदार द्वारा चयनित डंपिंग जोन में मलबा न डालकर रामगंगा नदी में डाला जा रहा है. जिससे आने वाले समय में नदी किनारे बसे गांवों में केदारनाथ जैसी आपदा आ सकती है.