नैनीतालः हरिद्वार महाकुंभ में होने वाली भीड़ को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए एक बार फिर से राज्य सरकार को विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. कुंभ मेले को लेकर अब हाई कोर्ट भी सख्त हो चला है. कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव से केंद्र सरकार द्वारा कुंभ मेले के लिए जारी एसओपी को बिंदुवार हाईकोर्ट में पेश करने के आदेश दे दिए हैं. कोर्ट ने मेलाधिकारी से भी पूछा है कि जो भक्त कुम्भ मेले में आ रहे हैं, उनके रुकने की व्यवस्था किस प्रकार से होगी और स्नान के बाद अल्प विश्राम कपड़े आदि बदलने के लिए क्या व्यवस्था की गई है.
इस दौरान प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव द्वारा कोर्ट को बताया गया कि डीआरडीओ द्वारा कुंभ मेला क्षेत्र में 1000 बेड के अस्पताल को हरिद्वार में संचालित किया जाएगा. जिसके लिए राज्य सरकार स्टाफ की पूर्ण व्यवस्था करेगी. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से बताया गया कि अगर जरूरत पड़ी तो सेना के डॉक्टरों को भी कुंभ मेले क्षेत्र में भेजा जाएगा. वहीं हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कुंभ मेला अधिकारी से पूछा है कि क्या सरकार द्वारा केंद्रीय कर्मचारियों के साथ-साथ आसपास के राज्यों के स्वास्थ्य कर्मियों से भी मदद ली जा सकती है या नहीं?
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मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मेलाधिकारी दीपक रावत से पूछा है कि वो कुंभ मेला क्षेत्र में अब तक कितने काम हुए हैं और बचे हुए निर्माण कार्यों को कब तक पूरा कर लिया जायेगा? इसकी रिपोर्ट शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करें.
बता दें कि हल्द्वानी निवासी दुष्यंत मिनाली और देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने प्रदेश के बदहाल क्वारन्टीन सेंटरों व कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने की मांग की गई थी, जिसके बाद से ये जनहित याचिका पर सुनवाई जारी है.