नैनीतालः उत्तर भारत में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है. मौसम विभाग के अनुसार अगले 3 दिनों तक ठंड से कोई राहत नहीं मिलने वाली है. दिल्ली में न्यूनतम तापमान 5.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. मौसम विभाग ने उत्तर भारत में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. वहीं, पहाड़ों की बात करें तो पहाड़ों में ठंड का प्रकोप काफी ज्यादा है. लोग गर्म कपड़े और अलाव का सहारा लेकर ठंड से बचने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन उत्तराखंड के नैनीताल में अलाव ने गर्भ में पल रहे गर्भस्थ शिशु की जान ले ली. (pregnant baby died due to poisonous gas)
नैनीताल के तल्लीताल क्षेत्र में ठंड से बचने के लिए एक दंपति ने रात को अपने घर के कमरे में अंगीठी जलाई और सो गए. अंगीठी के धुएं से दोनों दंपति बेहोश हो गए. इसके बाद स्थानीय लोग गंभीर अवस्था में दंपति को बीडी पांडे अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां उपचार के दौरान 8 माह की गर्भवती की कोख में पल रहे गर्भस्थ शिशु की जहरीली गैस लगने से मौत हो गई.
ये भी पढ़ेंः अल्मोड़ा में मिड-डे-मील के दौरान बच्चों के साथ भेदभाव, अलग बैठाकर परोसा गया भोजन
जानकारी देते हुए बीडी पांडे अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ एलएमएस रावत ने बताया बीते शनिवार को स्थानीय लोग ललित और दीपिका को गैस लगने के बाद बेहोशी की अवस्था में अस्पताल लेकर पहुंचे थे. जहां डॉक्टरों ने दंपति का प्राथमिक उपचार किया. उपचार के दौरान महिला के गर्भ में पल रहे गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई. महिला को 24 घंटे स्वास्थ्य परीक्षण व निगरानी के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया है. जल्द ही महिला को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा. जबकि महिला के पति को उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है.
उत्तराखंड ने मैदानी इलाकों खास कर उधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले के कुछ भागों में घना कोहरा छा रहा है. दोनों ही जिलों में कहीं-कहीं शीत दिवस रहने की स्थिति की संभावना मौसम विभाग ने जताई है.
कैसे जान ले लेती है कोयले की गैस: जब ठंड के दिनों में आग सेंकने के लिए कोयले जलाए जाते हैं तो ये कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस रिलीज करते हैं. कार्बन मोनोऑक्साइड एक ज़हरीली गैस है. ऐसी किसी जगह पर जहां कोयला या लकड़ी जल रही हो और वेंटिलेशन का कोई माध्यम न हो तो सांस लेने के दौरान हम कार्बन मोनोऑक्साइड और ऑक्सीजन दोनों अंदर लेते हैं.
हीमोग्लोबिन में मिलकर क्या करती है कार्बन मोनोऑक्साइड: कार्बन मोनोऑक्साइड हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन में बदल जाती है. दरअसल, खून में मौजूद आरबीसी, ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन मोनोऑक्साइड से पहले जुड़ती है. अगर आप किसी ऐसी जगह पर हैं जहां ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन मोनोऑक्साइड बहुत अधिक है तो धीरे-धीरे खून में ऑक्सीजन की जगह कार्बन मोनोऑक्साइड आ जाती है.
इससे शरीर के कई अहम अंगों को ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है. इससे हाईपोक्सिया की स्थिति बन जाती है, जिससे ऊतक (टिशू) नष्ट होने लगते हैं और मौत की आशंका बढ़ जाती है. नैनीताल में गर्भस्थ शिशु की मौत के मामले में भी यही हुआ होगा ऐसी आशंका है.