हल्द्वानी: सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और पानी ये प्रदेश सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है. प्रदेश सरकार इन मूलभूत सुविधाओं को हर नागरिक तक पहुंचाने का दवा भी करती है, लेकिन हकीकत क्या है ये जानने के लिए पहाड़ के किसी दुरूस्त गांव में जाने की जरूरत ही नहीं है, बल्कि इसकी बानगी हल्द्वानी जिला मुख्यालय के आठ किलोमीटर दूर ही देखने को मिल जाएगी. जहां राज्य गठन के 20 साल बाद लोगों की जिदंगी एक चुनौती के साथ शुरू होती है.
हम बात कर रहे हैं नैनीताल जिले के गुलाब घाटी में बसे दानीजाला गांव की. यहां करीब 41 परिवार रहते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव के 90 प्रतिशत परिवार के लोग आजादी के पहले ब्रिटिश आर्मी और उसके बाद भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. बावजूद इसके इस गांव की तस्वीर नहीं बदली.
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उत्तराखंड को बने 20 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी दानीजाला गांव के लोग मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं. यहां ग्रामीणों को शहर जाने के लिए रोज तार पर लटके ट्रॉली के सहारे नदी को पार करना पड़ता है. इसी ट्रॉली से स्कूली बच्चों के साथ मरीज भी आते जाते हैं. इस तरीके से लोगों का नदी पार करना शौक नहीं बल्कि इनकी मजबूरी बन गई है.
जब कभी ट्रॉली खराब हो जाती है तो ग्रामीणों के साथ स्कूली बच्चे भी नदी के बीच से होकर गुजरते हैं. मानसून सीजन में स्थिति और भयावह हो जाती है क्योंकि उफनती नदी के ऊपर से जाना का मतलब जान जोखिम में डालने से कम नहीं है. ग्रामीण नदी के ऊपर झूला पुल बनाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि, जब इस बारे में नैनीताल जिलाधिकारी से बात की गई तो वे भी अपना सदियों पुराना राग अलाप रहे हैं कि जल्द दानीजाला गांव में झूला पुल बन जाएगा.
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गौला नदी के पार बसे दानीजाला गांव के लोगों की चुनौतियां राज्य बनने के 20 बाद भी बदस्तूर बरकरार है. ग्रामीणों की दुश्वारियां कब खत्म होगी ये कोई नहीं जानता. गांव के लोग न जाने जिला प्रशासन से लेकर नेताओं के चक्कर काट चुके हैं लेकिन किसी के कानों में जूं तक नहीं रेंगती.