हल्द्वानी: रक्षाबंधन के दिन भी प्रदेश की आशा वर्कर अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन में डटी रहीं. आशा वर्करों का कहना है कि उन्होंने इस बार प्रदेश सरकार से आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है. लेकिन सरकार किसी तरह की वार्ता या सुलह-समझौते के मूड में नहीं है.
12 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही आशा वर्करों का कहना है कि वो पिछले 20 सालों से बिना मानदेय के काम कर रही हैं. प्रदेश सरकार की ओर से उनको केवल कमीशन ही दी जा रही है. कोरोना काल में आशा वर्करों ने फ्रंटलाइन वर्कर की भूमिका निभाते हुए अपनी जान को जोखिम में डालकर काम किया. लेकिन सरकार की ओर से उनको कोई उचित मानदेय नहीं दिया जा रहा है. आशा वर्ककरों की मांग है कि उनका वेतन न्यूनतम 21,000 रुपए और राज्य सरकार कर्मचारी का दर्जा दिया जाना चाहिए.
वहीं, महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य का कहना है कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं. वैसे-वैसे लोग धरना-प्रदर्शन करते जा रहे हैं. रेखा आर्य ने कहा कि प्रदेश सरकार आशा वर्करों के साथ खड़ी है.
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आशा वर्करों का कहना है कि वो जच्चा-बच्चा से लेकर पोलियो ड्रॉप और कोरोना काल में अपनी ड्यूटी दे रही हैं. लेकिन इसके लिए उनको कोई अतिरिक्त मानदेय नहीं मिल रहा है. आशा वर्करों ने कहा कि आज रक्षाबंधन का त्यौहार है और उन्हें भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के बजाय सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन करना करना पड़ रहा है. वहीं, मंत्री रेखा आर्य का कहना है कि चुनाव नजदीक है, ऐसे में प्रदेश सरकार आशा बहनों के हक में कोई ठोस निर्णय जरूर लेगी.