हल्द्वानी: उत्तराखंड के दो युवकों को अफ्रीकी देश गिनी के नौसेना कर्मियों ने हिरासत में ले लिया है. हल्द्वानी के सौरभ स्वार ने बताया कि वह मुंबई की एक कंपनी के शिप में कार्यरत हैं. शिप में इनके अलावा देहरादून निवासी तनुज मेहता और भारत के अलग-अलग राज्यों के 14 भारतीयों समेत 26 लोग सवार हैं. ये लोग कच्चा तेल लेने अफ्रीकी देश गए थे. अफ्रीकी देश गिनी की नौसेना ने 14 अगस्त से इन लोगों को हिरासत में ले रखा है. सौरभ स्वार ने पीएमओ कार्यालय को ट्वीट करने सहित कंपनी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपनी रिहाई कराने में मदद की मांग की है.
हिरासत में लिए गए सौरभ ने क्या कहा: हल्द्वानी के कुंवरपुर गौलापार निवासी सौरभ स्वार ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि वो एमटी हीरोट ईडन नाम की कंपनी के शिप में कार्यरत हैं. कंपनी का जहाज सभी देशों में चलता है. उनका जहाज कच्चा तेल भरने के लिए आठ अगस्त को नाइजीरिया के एकेपीओ टर्मिनल पहुंचा था. जहाज में 26 क्रू मेंबर सवार थे.
ये है पूरा मामला: तेल भरने के लिए उनका जहाज टर्मिनल से निकला तो नाइजीरिया ने तेल चोरी का आरोप लगा दिया और गिनी की समुद्री सीमा में प्रवेश करते ही नाइजीरिया के इशारे पर गिनी की नौसेना ने जहाज को रोक लिया. जहाज में सवार सभी लोगों को हिरासत में लेते हुए पूछताछ की गई. उनके द्वारा बताया गया कि आपके द्वारा नियमों का उल्लंघन किया गया है. जिस पर उनकी कंपनी इसका जुर्माना भी भर चुकी है. नौसेना द्वारा शिप में हिरासत में रखा गया है. उनसे तीन से चार बार पूछताछ भी की जा चुकी है. वह यहां से छूटते हैं तो आगे नाइजीरिया के नौसेना कर्मी तैनात हैं जो उन्हें आगे बढ़ने से रोक सकते हैं.
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— HEROIC IDUN (@heroic_idun) November 7, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Please help us.
Save our souls as every second counts. Bring us back to India
Vessel and crew soon will be handed over to Nigeria pic.twitter.com/jJQNzr6R6O
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जहाज में फंसे भारतीयों ने ट्वीट करके मांगी मदद: सौरभ ने बताया कि पूरे मामले को भारत सरकार सहित पीएमओ कार्यालय को भी ट्वीट कर जानकारी दी गई है. करीब 3 महीने से हिरासत में रखे जाने से परेशान सौरभ ने इसकी सूचना अपने परिजनों को दी. उनकी पत्नी शोभा स्वार ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपने पति सहित अन्य भारतीयों की रिहाई की मांग की है.
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सौरभ के परिजनों ने सीएम धामी से मांगी मदद: शोभा का कहना है कि पति के विदेश में फंसने से परिवार के लोग चिंतित हैं. ऐसे में उनके पति की जल्द रिहाई कराने में मदद की जाए. सौरभ ने बताया कि सभी भारतीयों की रिहाई के लिए पीएमओ कार्यालय सहित भाजपा के बड़े नेता और मीडिया को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. जिससे कि समय रहते उनकी रिहाई हो सके.
हिरासत में लिए गए लोगों की आपबीती: गिनी में हिरासत में लिए गए लोगों ने जहाज से ही एक वीडियो साझा किया है. इस वीडियो में ये लोग मदद की गुहार लगा रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि तीन महीने से बंधक रहने के कारण उनमें से अधिकांश बीमार पड़ गए हैं. देहरादून निवासी कैप्टन तनुज मेहता ने कहा कि उन्हें पहले मलेरिया हुआ और अब वो टाइफाइड से पीड़ित हैं. यही हाल हिरासत में लिए गए अन्य कर्मचारियों का भी है.
कर्मचारियों को है इस बात का डर: गिनी में जहाज पर हिरासत में लिए गए कर्मचारियों को डर है कि गिनी से छूटने के बाद नाइजीरिया के नौसेना उन्हें हिरासत में ले सकती है. ऐसे में उनकी रिहाई और लंबी खिंच सकती है. इसलिए उन्होंने भारत सरकार और अपनी राज्यों की सरकारों से अतिशीघ्र मदद का आग्रह किया है.
जहाज पर फंसे लोगों का विवरण
उत्तराखंड - 2
केरल - 3
यूपी - 1
महाराष्ट्र - 4
तमिलनाडु - 3
आंध्र प्रदेश - 1
राजस्थान - 1
प. बंगाल - 1
10 नागरिक दूसरे देशों के भी हैं
श्रीलंका - 8
पोलिस - 1
फिलीपींस - 1
पश्चिम अफ्रीकी देश है गिनी: गिनी, आधिकारिक तौर पर गिनी गणराज्य, पश्चिम अफ़्रीका में स्थित एक देश है, जिसे पूर्व में फ्रेंच गिनी के नाम से जाना जाता था. अर्द्ध चंद्राकार आकार का यह देश पूर्व से दक्षिण की ओर फैला हुआ है, जहां इसकी पश्चिमी सीमा अंध महासागर से मिलती है. अंध महासागर के अलावा गिनी-बिसाऊ भी देश के पश्चिम में स्थित है. अंदरूनी हिस्सों में उत्तरी सीमा पर सेनेगल और उत्तर और उत्तर-पूर्व में माली स्थित है. दक्षिण पूर्व की ओर कोट द' आईवोर है, दक्षिण में लाइबेरिया और दक्षिण पश्चिम में सियेरा लियोन स्थित हैं. देश के मध्य से बहने वाली नाइजर नदी पानी के साथ-साथ जल परिवहन की सुविधा मुहैय्या कराती है.
कोनाक्री देश का सबसे बड़ा शहर और राजधानी होने के साथ-साथ राष्ट्रीय सरकार का मुख्यालय भी है. देश को कभी-कभी पड़ोसी देश गिनी-बिसाउ से अलग बताने के लिए गिनी-कोनाक्री भी कहा जाता है. गिनी में चौबीस जातीय समूहों का वास है, जिनमें से तीन सबसे बड़े और सबसे प्रभावी समूह फुला, मंदिनका और सुसु हैं.