रूड़की: कहते हैं जब इंसान सभी जगहों से उम्मीद हार जाता है तो वह अपनी फरियाद लेकर ईश्वर, अल्लाह और गॉड की शरण में जाता है. उसे उम्मीद होती है कि संकट की घड़ी में उसे भगवान ही उबार सकते है. ऐसा ही कुछ रुड़की में भी देखने को मिल रहा है. जहां दो 5 साल के मासूम शायना और रॉयान खान ने कोरोना वायरस की खात्मे के लिए रमजान के महीने में रोजा रखा है. दोनों मासूम अल्लाह की इबादत कर रहे हैं. ये दोनों मासूम दिन रात अल्लाह से कोरोना खात्मे की दुआ मांग रहे है. वहीं लोगों का मानना है कि बच्चों की दिल से निकली दुआ अल्लाह भी कबूल करेंगे
रहमतों और बरकतों का रमजान माह में रुड़की के देव इन्क्लेव डिफेंस कॉलोनी में रहने वाले पांच साल के दो जुड़वा भाई-बहन रोजा रखकर कोरोना खात्मे की दुआ मांग रहे हैं. वहीं इन बच्चों की मासूमियत पर हर कोई प्यार लुटा रहा है. सभी चाहते हैं कि ईश्वर, अल्लाह, भगवान इन दोनों बच्चों की दुआ जल्द कुबूल करे. बच्चों ने अपने माता पिता से जिद की और रोजा रखा. दोनों मासूम बच्चों ने पहले सहरी खाई और फिर रोज़े की नीयत करके पूरे दिन भूखा-प्यासा रहकर रोजा मुकम्मल किया. बच्चों का कहना है कि उन्होंने ये रोजा इस लिए रखा है ताकि देश से कोरोना का खात्मा हो.
बच्चों के माता पिता ने बताया कि उनके जुड़वा बेटा और बेटी आने वाली 5 मई को पांच साल के हो जाएंगे, बच्चो ने पहले रोज़ा रखने की ज़िद की और ठीक सहरी के समय उठ गए और पूरे परिवार ने एकसाथ सहरी खाई, इसके बाद माता पिता को लग रहा था कि बच्चे बीच मे ही शायद रोज़ा तोड़ देंगे, लेकिन दोनों बच्चो ने हिम्मत दिखाते हुए पूरे दिन का रोज़ा मुकम्मल किया और पूरे परिवार के साथ रोज़ा इफ्तार किया. बच्चों ने बड़े मासूम अंदाज में बताया कि उन्होंने रोज़ा इस लिए रखा है ताकि हमारे देश से कोरोना वायरस का खात्मा हो, इसके लिए बच्चो ने अल्लाह से दुआ भी मांगी.
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रुड़की के देव इन्क्लेव डिफेंस कॉलोनी के रहने वाले राशिद और शबा के बच्चों को परिवार और दोस्तों से मुबारकबाद मिल रही है. माता पिता बच्चों पर गर्व कर रहे है. इस गर्मी में जहां बड़े भी रोज़ा रखते हुए सोचने पर मजबूर हो जाते हैं. वहीं, इन मासूमों ने रोज़ा रखकर बड़ों के लिए एक नसीहत पेश की है. ऐसे में इन नन्हें बच्चों का हौसला काबिल-ए-तारीफ है. बच्चे ने बताया कि रमजान के पाक महीने का रोजा रखकर काफी अच्छा लग रहा है. पूरी शिद्दत से खुदा की इबादत की हैं और देश से कोरोना खत्म हो इसके लिए भी अल्लाह से दुआ मांगी है.
ऐसा माना जाता है कि छोटे बच्चे भगवान का रूप होते हैं. मासूम दिल से निकली दुआ कभी खाली नहीं जाती. लॉकडाउन में स्कूल व ट्यूशन की छुट्टियां होने से बच्चों की शरारतें बेशक बढ़ गई हैं, लेकिन उनकी मासूमियत वही है. बड़े अपने रोजगार और ज़रूरी कामों को लेकर जहां लॉकडाउन खत्म होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, तो वहीं बच्चों के दिलो-दिमाग पर भी यह बात छाई हुई है कि कब लॉकडाउन खत्म हो और कब हम लोग सैर सपाटे को जाएं.