हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में महाकुंभ के लिए जारी एसओपी को लेकर अब भी संतों में आक्रोश बना हुआ है. संतो का कहना है कि जो धब्बा मुसलमानों और अंग्रेजो के समय भी कुंभ पर नहीं लगा वह अब लगने जा रहा है. कुंभ 2021 के लिए सरकार द्वारा जारी की गई एसओपी पर संतों की एक बैठक आज राजपूत धर्मशाला में आयोजित हुई. जिसमें संतो ने सरकार से एसओपी में ढिलाई देने की बात कही. वहीं, संतो ने ऐसा न करने पर सरकार को इसका परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दे डाली है.
कुंभ 2021 में कोविड 19, को लेकर सरकार द्वारा जारी की गई एसओपी पर जहां हरिद्वार के व्यापारी विरोध कर रहे हैं, वहीं अब संत भी इसके विरोध में उतर आये हैं. महानिर्वाणी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकनन्द भारती ने कहा कि इस बार कुंभ में वो दाग लगने जा रहा है जो वर्षों तक याद किया जाएगा. उन्होंने कहा यह पहला कुंभ होगा जिसमें भजन,कीर्तन, भंडारे और अन्य धार्मिक अनुष्ठान नहीं होंगे.
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उन्होंने कहा कि ऐसा तो मुसलमानों और अंग्रेजों के समय में भी नहीं हुआ था. वहीं, प्रेस वार्ता में अटल अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर राजगुरु विश्वात्मानंद सरस्वती ने कहा कि आज जिस रजिस्ट्रेशन की बात सरकार कर रही है वह रजिस्ट्रेशन साइट पहले तो खुलने का नाम नहीं लेती. जब खुल जाती है तो उसमें रजिस्ट्रेशन करना बहुत ही मुश्किल है. हमारी शिष्यों को हरिद्वार में आने में काफी समस्या का पालन करना पड़ेगा.
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राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने यह एसओपी सिर्फ और सिर्फ जनता को परेशान करने के लिए जारी की है. उन्होंने कहा करोना काल में भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहतरीन और भव्य माघ मेला करा सकते हैं तो उत्तराखंड में तो महाकुंभ क्यों नहीं हो सकता है.
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अटल अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर राजगुरु विश्वात्मानंद सरस्वती ने कहा कि जब हम अखाड़ों के अंग हैं तो हमें मिलकर सरकार के समक्ष अपनी समस्या रखनी चाहिए. उसका समाधान ढूंढना चाहिए यदि सरकार नहीं मानती है तो बैठकर उस पर विचार किया जाएगा. वहीं, महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेशरानन्द जी महाराज ने कहा कि आज सभी व्यवस्थाओं पर विचार करने के लिए यह बैठा बुलाई गई थी, जल्द ही अगली बैठक कर निर्णय बता दिया जाएगा.