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अंतिम संस्कार में संन्यासी के शामिल होने पर जानिए क्या कहते हैं हरिद्वार के संत - सीएम योगी के पिता का निधन

सीएम योगी आदित्यनाथ लॉकडाउन के चलते पिता आनंद सिंह बिष्ट के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होंगे. वहीं, हरिद्वार के साधू-संतों ने एक संन्यासी होने के नाते अंतिम संस्कार में शामिल होने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

Haridwar saint
अंतिम संस्कार में शामिल होने को लेकर संतों की राय.
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Published : Apr 20, 2020, 5:28 PM IST

Updated : Apr 20, 2020, 7:20 PM IST

हरिद्वार: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट ने आज दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली. 89 वर्षीय आनंद सिंह बिष्ट को लंबे समय से किडनी और लीवर की समस्या थी. वहीं, लॉकडाउन के कारण सीएम योगी आदित्यनाथ पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होंगे.

अंतिम संस्कार में शामिल होने को लेकर संतों की राय.

वहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ एक संन्यासी का जीवन जीते हैं. ऐसे में हरिद्वार के साधु-संतों ने अंतिम संस्कार में शामिल होने या न होने को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

पढ़ें: यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता के निधन पर सीएम त्रिवेंद्र समेत कई नेताओं ने जताया दु:ख

हरिद्वार के साधु संतों ने कहा कि संत सनातन धर्म के अनुसार किसी भी मनुष्य को संन्यास लेने के लिए अपने जीवन काल में 16 संस्कार पूर्ण करना आवश्यक होता है. इन 16 संस्कार के पश्चात ही व्यक्ति संन्यास धर्म ग्रहण करता है.

संन्यास की कुछ पद्धतियों के सम्प्रदायों में ‍दीक्षित व्यक्ति को ही हिंदुओं का संत माना जाता है. सनातन में संन्यास परंपरा का प्रारंभ 9वीं सदी से माना जाता है. जगतगुरु शंकराचार्य ने शास्त्रानुसार नियम बनाए. जिसके अनुसार जो संन्यासी, चेतन प्रकाश और स्वरूप इन चार ब्रह्मचारियों को छोड़कर संन्यास परंपरा में आते हैं, वे भौतिक सुखों का त्याग करके ही दीक्षा को ग्रहण करते हैं.

पढ़ें: बेहद हंसमुख थे सीएम योगी के पिता, रिटायरमेंट के बाद ऐसा रहा जीवन

संतों के अनुसार संन्यासी समय पर अपनी शिखा, जनेऊ को काटकर अपना पिंड दान कर देते हैं. जिसके बाद वे सामाजिक रिश्तों का त्याग कर सभी नीतिगत कर्मों से अलग हो जाते हैं और समस्त मानव संन्यासी के लिए एक समान हो जाता है.

संन्यास परम्परा में गुरू और माता-पिता को भगवान से भी ऊपर माना गया है. जिसके अनुसार कोई संन्यासी अपने माता-पिता के अंतिम संस्कार में जा सकता है. लेकिन, उनसे कोई नाता नहीं रख सकता. साथ ही संतों ने कहा कि आदिगुरु शंकराचार्य भी अपनी माता के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे.

हरिद्वार: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट ने आज दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली. 89 वर्षीय आनंद सिंह बिष्ट को लंबे समय से किडनी और लीवर की समस्या थी. वहीं, लॉकडाउन के कारण सीएम योगी आदित्यनाथ पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होंगे.

अंतिम संस्कार में शामिल होने को लेकर संतों की राय.

वहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ एक संन्यासी का जीवन जीते हैं. ऐसे में हरिद्वार के साधु-संतों ने अंतिम संस्कार में शामिल होने या न होने को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

पढ़ें: यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता के निधन पर सीएम त्रिवेंद्र समेत कई नेताओं ने जताया दु:ख

हरिद्वार के साधु संतों ने कहा कि संत सनातन धर्म के अनुसार किसी भी मनुष्य को संन्यास लेने के लिए अपने जीवन काल में 16 संस्कार पूर्ण करना आवश्यक होता है. इन 16 संस्कार के पश्चात ही व्यक्ति संन्यास धर्म ग्रहण करता है.

संन्यास की कुछ पद्धतियों के सम्प्रदायों में ‍दीक्षित व्यक्ति को ही हिंदुओं का संत माना जाता है. सनातन में संन्यास परंपरा का प्रारंभ 9वीं सदी से माना जाता है. जगतगुरु शंकराचार्य ने शास्त्रानुसार नियम बनाए. जिसके अनुसार जो संन्यासी, चेतन प्रकाश और स्वरूप इन चार ब्रह्मचारियों को छोड़कर संन्यास परंपरा में आते हैं, वे भौतिक सुखों का त्याग करके ही दीक्षा को ग्रहण करते हैं.

पढ़ें: बेहद हंसमुख थे सीएम योगी के पिता, रिटायरमेंट के बाद ऐसा रहा जीवन

संतों के अनुसार संन्यासी समय पर अपनी शिखा, जनेऊ को काटकर अपना पिंड दान कर देते हैं. जिसके बाद वे सामाजिक रिश्तों का त्याग कर सभी नीतिगत कर्मों से अलग हो जाते हैं और समस्त मानव संन्यासी के लिए एक समान हो जाता है.

संन्यास परम्परा में गुरू और माता-पिता को भगवान से भी ऊपर माना गया है. जिसके अनुसार कोई संन्यासी अपने माता-पिता के अंतिम संस्कार में जा सकता है. लेकिन, उनसे कोई नाता नहीं रख सकता. साथ ही संतों ने कहा कि आदिगुरु शंकराचार्य भी अपनी माता के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे.

Last Updated : Apr 20, 2020, 7:20 PM IST
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