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कांवड़ यात्रा: ढाई साल बाद वीरान पड़े बाजारों में लौटी रौनक, व्यापारी खुश

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Published : Feb 22, 2022, 5:01 PM IST

उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ मेले के लिए हरी झंडी दे दी है. ऐसे में कांवड़िए 20 फरवरी से हरिद्वार पहुंचने शुरू हो गए हैं, जिससे ढाई साल से सूने पड़े बाजारों में एक बार फिर रौनक लौट आई है.

Uttarakhand Kanwar Yatra
उत्तराखंड कांवड़ यात्रा

हरिद्वार: कोरोना संक्रमण की घटती रफ्तार के बाद उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा (Uttarakhand Kanwar Yatra) को हरी झंडी दे दी है. कांवड़ यात्रा को हरी झंडी मिलने से हरिद्वार के व्यापारियों के चेहरे खिल गए हैं. वहीं, कांवड़ियों के पहुंचने से हरिद्वार की बाजारों में एक बार फिर रौनक लौट आई है. धर्मनगरी इन दिनों बम-बम भोले के जयकारों से गुंजायमान है.

20 फरवरी से शुरू हुए कांवड़ मेले के लिए उत्तराखंड सरकार ने कोरोना की गाइडलाइन तैयार की है लेकिन इसका पालन होता नजर नहीं आ रहा है. बीते ढाई साल से सूने पड़े बाजार इन दिनों कांवड़ियों के आने से गुलजार हो गई है. हरिद्वार की अपर रोड, मोती बाजार और हरकी पैड़ी के आसपास के बाजार में कांवड़ का सामान व कांवड़ियों की धूम देखने को मिल रही है. कांवड़िए हरकी पैड़ी से गंगाजल भरकर अपने गंतव्यों को रवाना हो रहे हैं.

ढाई साल बाद वीरान पड़े बाजारों में लौटी रौनक

फाल्गुन मास की कांवड़ यात्रा में पश्चिमी उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाग व राजस्थान ओर ओर से काफी कम संख्या में कांवड़िए हरिद्वार पहुंचते हैं लेकिन इस दौरान बिजनौर और लखनऊ की तरफ से काफी संख्या में कांवड़िए हरिद्वार गंगाजल लेने आते हैं. खास बात यह है कि कांवड़िए सावन में डीजे व बड़ी-बड़ी कांवड़ के साथ हरिद्वार गंगाजल लेने आते हैं, जबकि फाल्गुन मास में आने वाले कांवड़िए शांतिपूर्ण ढंग से कांवड़ लेने आते हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड के लिए हादसों के लिहाज से आज का दिन अशुभ, जानिए क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य

25 फरवरी से बढ़ेगी भीड़: भले अभी भी कांवड़िए हरिद्वार गंगाजल भरने पहुंच रहे हैं, लेकिन उम्मीद है कि आगामी 25 फरवरी से भारी संख्या में कांवड़िए गंगा जल भरने हरिद्वार पहुंचेंगे, जिसकी तयारी प्रशासन ने कर ली है.

हरिद्वार: कोरोना संक्रमण की घटती रफ्तार के बाद उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा (Uttarakhand Kanwar Yatra) को हरी झंडी दे दी है. कांवड़ यात्रा को हरी झंडी मिलने से हरिद्वार के व्यापारियों के चेहरे खिल गए हैं. वहीं, कांवड़ियों के पहुंचने से हरिद्वार की बाजारों में एक बार फिर रौनक लौट आई है. धर्मनगरी इन दिनों बम-बम भोले के जयकारों से गुंजायमान है.

20 फरवरी से शुरू हुए कांवड़ मेले के लिए उत्तराखंड सरकार ने कोरोना की गाइडलाइन तैयार की है लेकिन इसका पालन होता नजर नहीं आ रहा है. बीते ढाई साल से सूने पड़े बाजार इन दिनों कांवड़ियों के आने से गुलजार हो गई है. हरिद्वार की अपर रोड, मोती बाजार और हरकी पैड़ी के आसपास के बाजार में कांवड़ का सामान व कांवड़ियों की धूम देखने को मिल रही है. कांवड़िए हरकी पैड़ी से गंगाजल भरकर अपने गंतव्यों को रवाना हो रहे हैं.

ढाई साल बाद वीरान पड़े बाजारों में लौटी रौनक

फाल्गुन मास की कांवड़ यात्रा में पश्चिमी उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाग व राजस्थान ओर ओर से काफी कम संख्या में कांवड़िए हरिद्वार पहुंचते हैं लेकिन इस दौरान बिजनौर और लखनऊ की तरफ से काफी संख्या में कांवड़िए हरिद्वार गंगाजल लेने आते हैं. खास बात यह है कि कांवड़िए सावन में डीजे व बड़ी-बड़ी कांवड़ के साथ हरिद्वार गंगाजल लेने आते हैं, जबकि फाल्गुन मास में आने वाले कांवड़िए शांतिपूर्ण ढंग से कांवड़ लेने आते हैं.

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25 फरवरी से बढ़ेगी भीड़: भले अभी भी कांवड़िए हरिद्वार गंगाजल भरने पहुंच रहे हैं, लेकिन उम्मीद है कि आगामी 25 फरवरी से भारी संख्या में कांवड़िए गंगा जल भरने हरिद्वार पहुंचेंगे, जिसकी तयारी प्रशासन ने कर ली है.

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