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'टेक होम राशन योजना' पर संकट, सरकार के इस कदम से सैकड़ों महिलाओं का छीन जाएगा रोजगार - डोईवाला में महिलाओं का आंदोलन

धामी सरकार 'टेक होम राशन स्कीम' का काम काज निजी हाथों में सौंपने जा रही है. ऐसे में टेक होम राशन से जुड़े काम को महिलाओं से छीना जा रहा है. इसके साथ ही पिछले 8 सालों से टेक होम राशन से जुड़ी हजारों महिलाएं बेरोजगार होने की कगार पर पहुंच गई हैं. वहीं, अब महिलाएं उग्र आंदोलन की राह में उतरने की तैयारी में जुट गई है.

Take Home Ration scheme
महिलाओं से छीन रहा रोजगार
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Published : Dec 22, 2022, 8:09 PM IST

Updated : Dec 22, 2022, 9:39 PM IST

डोईवालाः महिला एवं बाल विकास परियोजना के तहत टेक होम राशन से जुड़ीं उत्तराखंड की सैकडों महिलाओं के लिए नया साल बुरी खबर लेकर आ रहा है. उत्तराखंड सरकार ने नए साल से इस योजना को स्वयं सहायता समूह की महिलाओं (Women Self help Group) से वापस लेने का निर्णय लिया है. जिससे सैकड़ों महिलाएं बेरोजगार हो गई हैं.

महिलाओं का कहना कि पूरे उत्तराखंड में हजारों महिलाएं टेक होम राशन के जरिए अपना परिवार चला रही हैं. डोईवाला ब्लॉक में ही करीब 8 हजार महिलाएं समूह के जरिए जुड़कर टेक होम राशन का कार्य कर रही हैं. इसी से ही अपना घर परिवार चला रही हैं, लेकिन नए साल से उत्तराखंड सरकार ने समूह की महिलाओं से टेक होम राशन का कार्य वापस ले लिया है. जिससे पिछले 8 सालों से इस योजना से जुड़ी महिलाएं घर पर बैठने को मजबूर हो गई हैं.

टेक होम राशन योजना (Take Home Ration scheme) से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि 8 सालों से जिस रोजगार से महिलाएं अपने परिवार का भरण पोषण कर रहीं रही थीं, वो रोजगार अब उनसे छीना जा रहा है. सरकार नए साल में महिलाओं को तोहफे की जगह उनसे रोजगार छीन रही है. उत्तराखंड की सैकड़ों महिलाओं को अब मजबूरन सड़कों पर उतरना पड़ रहा है.
ये भी पढ़ेंः टेक होम राशन योजना पर कांग्रेस मुखर, कहा-योजना बंद कर सरकार महिलाओं का छिनना चाहती है रोजगार

महिलाओं का कहना कि उन्होंने दुकानदारों से लाखों रुपए का राशन उधार ले रखा है, लेकिन सरकार की ओर से इस योजना को कंपनी को दिए जाने पर हजारों महिलाएं कर्ज के बोझ तले दब गई हैं. समूह से जुड़ी उनका आरोप है कि जहां उत्तराखंड की सरकार महिलाओं को रोजगार देने की बात कर रही है तो वहीं समूह से जुड़े सैकड़ों महिलाओं से रोजगार छीना जा रहा है. वहीं, अब महिलाओं ने आगामी 25 दिसंबर से पूरे प्रदेश में आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

क्या है टेक होम राशन योजना: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में 2014 में टेक होम राशन के नाम से एक योजना शुरू की गई थी. इस योजना को महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से संचालित किया जाता है. टेक होम राशन योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों से नवजात शिशुओं, कन्या और अन्य कई योजनाओं के तहत पात्रों को राशन का वितरण किया जाता है.

इस राशन की सप्लाई विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से कराई जाती है. इस व्यवस्था के तहत स्वयं सहायता समूहों की जुड़ी महिलाएं राशन की खरीद बाजार से करती हैं और इसकी पैकिंग के लिए बैग, लिफाफे आदि समूह में काम करने वाली महिलाएं खुद से तैयार कर लेती हैं. उन्हें इस काम के बदले विभाग से भुगतान कर दिया जाता है. बताया जा रहा है कि इस योजना से राज्य में करीब 40 हजार महिलाएं जुड़ी हुई हैं.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड की 40 हजार महिलाएं हो जाएंगी बेरोजगार, सरकार के इस कदम से हाहाकार

क्या है विवाद का कारण? दरअसल बीते 8 अप्रैल को महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग ने एक विज्ञापन जारी करके टेक होम राशन के लिए ई-निविदा मांगी थी. दावा है कि यह टेंडर करीब साढ़े पांच सौ करोड़ रुपए का है. यह काम निजी हाथों में जाता है, तो स्वयं सहायता समूहों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा. महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी ऋषिकेश की महिलाएं भी इस बदलाव के लिए विरोध में हैं.
ये भी पढ़ेंः टेक होम राशन पर सियासी रार, रेखा बोलीं- दाज्यू न देखें मुंगेरीलाल के हसीन सपने

इतना ही नहीं मामले को लेकर गीता मौर्य और श्यामा देवी ने तीलू रौतेली पुरस्कार तक वापस कर दिया था. बता दें कि महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कुछ नया करने वाली महिलाओं को उत्तराखंड सरकार हर साल तीलू रौतेली अवॉर्ड देती है. इस साल 22 महिलाओं को तीलू रौतेली अवॉर्ड दिया गया.

डोईवालाः महिला एवं बाल विकास परियोजना के तहत टेक होम राशन से जुड़ीं उत्तराखंड की सैकडों महिलाओं के लिए नया साल बुरी खबर लेकर आ रहा है. उत्तराखंड सरकार ने नए साल से इस योजना को स्वयं सहायता समूह की महिलाओं (Women Self help Group) से वापस लेने का निर्णय लिया है. जिससे सैकड़ों महिलाएं बेरोजगार हो गई हैं.

महिलाओं का कहना कि पूरे उत्तराखंड में हजारों महिलाएं टेक होम राशन के जरिए अपना परिवार चला रही हैं. डोईवाला ब्लॉक में ही करीब 8 हजार महिलाएं समूह के जरिए जुड़कर टेक होम राशन का कार्य कर रही हैं. इसी से ही अपना घर परिवार चला रही हैं, लेकिन नए साल से उत्तराखंड सरकार ने समूह की महिलाओं से टेक होम राशन का कार्य वापस ले लिया है. जिससे पिछले 8 सालों से इस योजना से जुड़ी महिलाएं घर पर बैठने को मजबूर हो गई हैं.

टेक होम राशन योजना (Take Home Ration scheme) से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि 8 सालों से जिस रोजगार से महिलाएं अपने परिवार का भरण पोषण कर रहीं रही थीं, वो रोजगार अब उनसे छीना जा रहा है. सरकार नए साल में महिलाओं को तोहफे की जगह उनसे रोजगार छीन रही है. उत्तराखंड की सैकड़ों महिलाओं को अब मजबूरन सड़कों पर उतरना पड़ रहा है.
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महिलाओं का कहना कि उन्होंने दुकानदारों से लाखों रुपए का राशन उधार ले रखा है, लेकिन सरकार की ओर से इस योजना को कंपनी को दिए जाने पर हजारों महिलाएं कर्ज के बोझ तले दब गई हैं. समूह से जुड़ी उनका आरोप है कि जहां उत्तराखंड की सरकार महिलाओं को रोजगार देने की बात कर रही है तो वहीं समूह से जुड़े सैकड़ों महिलाओं से रोजगार छीना जा रहा है. वहीं, अब महिलाओं ने आगामी 25 दिसंबर से पूरे प्रदेश में आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

क्या है टेक होम राशन योजना: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में 2014 में टेक होम राशन के नाम से एक योजना शुरू की गई थी. इस योजना को महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से संचालित किया जाता है. टेक होम राशन योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों से नवजात शिशुओं, कन्या और अन्य कई योजनाओं के तहत पात्रों को राशन का वितरण किया जाता है.

इस राशन की सप्लाई विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से कराई जाती है. इस व्यवस्था के तहत स्वयं सहायता समूहों की जुड़ी महिलाएं राशन की खरीद बाजार से करती हैं और इसकी पैकिंग के लिए बैग, लिफाफे आदि समूह में काम करने वाली महिलाएं खुद से तैयार कर लेती हैं. उन्हें इस काम के बदले विभाग से भुगतान कर दिया जाता है. बताया जा रहा है कि इस योजना से राज्य में करीब 40 हजार महिलाएं जुड़ी हुई हैं.
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क्या है विवाद का कारण? दरअसल बीते 8 अप्रैल को महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग ने एक विज्ञापन जारी करके टेक होम राशन के लिए ई-निविदा मांगी थी. दावा है कि यह टेंडर करीब साढ़े पांच सौ करोड़ रुपए का है. यह काम निजी हाथों में जाता है, तो स्वयं सहायता समूहों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा. महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी ऋषिकेश की महिलाएं भी इस बदलाव के लिए विरोध में हैं.
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इतना ही नहीं मामले को लेकर गीता मौर्य और श्यामा देवी ने तीलू रौतेली पुरस्कार तक वापस कर दिया था. बता दें कि महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कुछ नया करने वाली महिलाओं को उत्तराखंड सरकार हर साल तीलू रौतेली अवॉर्ड देती है. इस साल 22 महिलाओं को तीलू रौतेली अवॉर्ड दिया गया.

Last Updated : Dec 22, 2022, 9:39 PM IST
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