देहरादून: उत्तराखंड में वन पंचायतों की कागजी व्यवस्था को जब ईटीवी भारत ने अपनी पहली रिपोर्ट में दिखाया तो विभागीय मंत्री ने बदतर हालातों को स्वीकार किया था, लेकिन अब ईटीवी भारत वन पंचायत की सबसे बड़ी अधिकारी का राजधानी मोह दिखाने जा रहा है. देखिये ईटीवी भारत की की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..
उत्तराखंड जैसे पहाड़ी प्रदेश में वन पंचायतों के महत्व को समझते हुए 2005 में इसको लेकर नियमावली तो बनाई गई लेकिन न तो सरकारें और न ही अधिकारी वन पंचायतों की रूपरेखा को तैयार करने के हक में दिखे. शायद यही कारण था कि वन पंचायतों को आज तक स्थापित ही नहीं किया सका.
पढ़ें- लोकसेवकों से लिए अच्छी खबर, पुरस्कार के लिए कर्मी सीधे कर सकेंगे आवेदन
ईटीवी भारत अपनी पहली रिपोर्ट में वन पंचायतों को लेकर उदासीनता के आंकड़े दिखा चुका है, लेकिन इस रिपोर्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिरकार वन पंचायतों की यह हालत क्यों हुई.
दरअसल, वन पंचायतों की तैनाती को अधिकारी सजा के रूप में देखते हैं. यही कारण है कि न तो यहां अधिकारी मूल तैनाती पर अपना समय देते हैं और न ही पंचायतों को सक्रिय करने पर. यही हाल वन पंचायत की सबसे बड़ी अधिकारी प्रमुख वन संरक्षक वन पंचायत रंजना काला को लेकर भी दिखाई देता है.
बता दें कि वन पंचायत का मुख्यालय हल्द्वानी में है और प्रमुख वन संरक्षक रंजना काला की तैनाती भी मुख्यालय में ही की गई है, लेकिन मैडम ने देहरादून वन विभाग में ही कैंप कार्यालय स्थापित किया हुआ है. हैरानी इस बात को लेकर है कि रंजना काला मुख्यालय से ज्यादा राजधानी के मोह में देहरादून के कैंप कार्यालय पर ही ज्यादा समय बिताती हैं. इन बात को खुद वन मंत्री हरक सिंह रावत भी मानते है कि अधिकारी वन पंचायत के पद को सजा के तौर पर देखते हैं.
पढ़ें- सिंगापुर यूनिवर्सिटी और प्रदेश सरकार के बीच हुआ समझौता, राज्य में बढ़ेगा निवेश
उत्तराखंड में अधिकारियों के राजधानी मोह का ये पहला मामला नहीं है. त्रिवेंद्र सरकार में ऐसे कई अधिकारी हैं जो मूल तैनाती राजधानी से बाहर होने के बावजूद राजधानी में अपना ज्यादा वक्त बिताना पसंद करते हैं. ऐसे में सवाल है कि वन पंचायतों की बदतर स्थिति को ऐसे हालातों में कैसे सुधारा जाएगा? जब अधिकारी वन पंचायतों में जाने के बजाय राजधानी में आराम पसंद कमरों में बैठना पसंद करेंगे. ऐसे अधिकारियों की जानकारी सरकार को भी है और विभाग को भी, लेकिन न जाने क्यों सरकारे भी ऐसे अधिकारियों के सामने नतमस्तक दिखाई देती है.