देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना की दूसरी लहर जानलेवा साबित हो गई है. ये हाल तब है जब स्वास्थ्य विभाग खुद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की निगरानी में है. प्रदेश में स्वास्थ्य सचिव, पुलिस मुख्यालय और तमाम बड़े विभागों के मुख्यालय मौजूद हैं. सीएम द्वारा सभी मंत्रियों को मंत्रालय बांट दिए गए थे. कोई भी घटना किसी विभाग से संबंधित होती है तो मंत्री द्वारा तत्काल फैसला लिया जाता है. लेकिन स्वास्थ्य विभाग को सीएम ने खुद अपने पास रखा है. इससे साफ देखा जा सकता है कि उत्तराखंड में कोरोना का संक्रमण बढ़ता जा रहा है और सीएम हाथ में हाथ धरे बैठे हैं.
कोरोना महामारी के इस दौर में सरकार की कितनी तैयारी रही है. सिस्टम किस तरह से काम कर रहा है. यह सब कोरोना के कारण हो रही मौतों को देखते हुए साफ पता चलता है. बता दें कि, उत्तराखंड में अबतक कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 1,62,562 पहुंच चुका है. जबकि प्रदेश में अबतक 2,309 कोरोना संक्रमितों की मौत हो चुकी है. पिछले 24 घंटे में राजधानी देहरादून में सबसे ज्यादा 2,218 केस मिले हैं, जबकि हरिद्वार में 1024 पॉजिटिव मिले हैं.
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से लेकर उनके तमाम सचिव और मंत्री हर जिले के जिलाधिकारी अब तक यही बात कर रहे हैं कि उत्तराखंड में कोरोना की स्थिति ऑल इज वेल है. लेकिन लगातार जिस तरह से मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं, उससे शायद ही सरकार और उनके मंत्रियों, विभागों के अधिकारियों की बात पर यकीन किया जा सकता है. अस्पतालों के बेडों की कमी है. वहीं, ऑक्सीजन के लिए खुद मरीजों के परिजनों को दर-दर भटकना पड़ रहा है. कई अस्पतालों में बेड्स और ऑक्सीजन की किल्लत की शिकायत है. कोविड के प्रकोप के कारण अस्पतालों की व्यवस्था बिगड़ती जा रही है. लेकिन अधिकारियों को मरीजों से कोई मतलब नहीं है.
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लोग दबी जुबान कहने लगे हैं कि राज्य सरकार प्रदेश की जनता को गुमराह करने का काम कर रही है. हरिद्वार, देहरादून, उधम सिंह नगर, नैनीताल के तमाम अस्पतालों में मरीजों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. इससे मरीजों के साथ-साथ परिजन भी परेशान हैं.