देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम पिछले कई सालों से वित्तीय घाटा झेल रहा है. जिससे उबरना परिवहन निगम के लिए साल दर साल एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है. तो वहीं, वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की दस्तक ने परिवहन निगम की कमर तोड़ दी है. ऐसे में अब परिवहन निगम के पास एक मात्र विकल्प बचा है कि निगम के कर्मचारी और अधिकारी, निगम को वित्तीय घाटे से उबारने को लेकर सामूहिक प्रयास करें. इसी सिलसिले में उप महाप्रबंधक (संचालन) आरपी भारती ने एक पत्र जारी कर निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों और कर्मचारी संगठनों से सामूहिक प्रयास की अपील की है.
पत्र में जिक्र किया गया है कि उत्तराखंड परिवहन निगम के सभी अधिकारी और कर्मचारी इस बात से वाकिफ है कि वर्तमान समय में उत्तराखंड परिवहन निगम, अत्यन्त ही कमजोर वित्तीय स्थिति के नाजुक दौर से गुजर रहा है. शेष कमी कोरोना महामाहरी ने पूरी कर दी. जिसके चलते पिछले 4-5 महीने का अधिकारियों और कर्मचारियों का वेतन लम्बित चल रहा है. इसके साथ ही सेवानिवृत्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों की ग्रेजुएटी की धनराशि सहित डीजल आदि की तमाम देयताओं का भार निरन्तर बढ़ता जा रहा है. ऐसे में निगम के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों का सामूहिक प्रयास ही निगम को इस संकट से उबार सकता है, न कि कोई चमत्कार.
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इन बिंदुओं को लेकर निगम की अपील
- सभी अधिकारी और कर्मचारी पूर्ण निष्ठा एवं लगन के साथ निर्धारित समय पर अपने ड्यूटी पर उपस्थित होकर ईमानदारी व मेहनत के साथ अपने-अपने पद के अनुरूप आवंटित कार्य को समयान्तर्गत पूर्ण करने एवं अनुशासनहीनता व अनुपस्थिति आदि अव्यवहारिक आदतों से बचने का प्रयास करें.
- चालकों/परिचालकों एवं अन्य कर्मचारियों तथा निगम में उपलब्ध संसाधनों का भरपूर सदुपयोग किया जाए तथा डिपोज में कर्मचारियों की अनुपस्थिति पर अंकुश लगाने के लिए हर सम्भव प्रयास किये जाए.
- अधिकारीगण अपने अधीनस्थ प्रवर्तन कार्मिकों को मार्गो पर वाहनों की ईमानदारी के साथ प्रभावी चेकिंग करने के लिए निर्देशित करें तथा चेकिंग की निरन्तर समीक्षा भी की जाए.
- कार्यशालाओं में बेहतर मेन्टीनेन्स एवं चेकिंग कार्य के साथ-साथ अधिकाधिक बसों को संचालन के लिए ऑनरोड करने तथा ऑफरोड को शून्य करने हेतु कार्यशाला प्रभारियों एवं तकनीकी कर्मचारियों को प्रेरित किया जाए.
- स्टेशन प्रभारी बस स्टेशनों पर बाहर घूम कर यात्रियों तथा संचालन की स्थिति पर नजर रखे और यात्रियों की उपलब्धता के अनुरूप बसों की व्यवस्था कर, यात्रियों को उनके गन्तव्य तक पहुंचाने का प्रयास करें, ताकि यात्रियों को असुविधा न हो.
- चालक/ परिचालक मार्ग पर अधिकाधिक यात्रियों को बस में बिठाने का प्रयास करें तथा बसों को निर्धारित समय-सारिणी के अनुसार ही समयबद्ध संचालित करें.
- परिचालक सभी यात्रियों को विधिवत टिकट निर्गत करते हुए यात्रियों के साथ मैत्रीपूर्ण व्यवहार करें.
- चूंकि निगम आय का अधिकांश भाग दुर्घटना क्लेम एवं डीजल की मद में व्यय हो रहा है. अतः वाहनों को निर्धारित गति से संचालित करने और एक्सीडेन्ट रोकने के लिए चालकों को प्रेरित किया जाए, ताकि दुर्घटनाओं के साथ-साथ डीजल खपत में भी कमी आये.
- स्टेशन अधीक्षक/केन्द्र प्रभारी/फोरमैन अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की समस्याओं को सुने और उनका प्राथमिकता के आधार पर समाधान करने का प्रयास करें तथा जो उनके स्तर की न हों, उच्चाधिकारी को अग्रसारित करना सुनिश्चित करें.
- कर्मचारी अपनी समस्या को लेकर सम्बन्धित लिपिक/ स्टेशन प्रभारी/ फोरमैन से कदापि न उलझे, बल्कि लिखित में अपनी समस्या अपने उच्चाधिकारी को प्रेषित करें, ताकि समस्या का त्वरित समाधान हो सके और परस्पर समन्वय बना रहे.
- अधिकारी/उपाधिकारी द्वारा प्रतिदिन अपने डिपो की मार्गवार, बसवार, चालक/ परिचालकवार डीजल औसत एवं आय की समीक्षा किया जाना नितान्त आवश्यक है. अधिकतम डीजल औसत एवं आय देने वाले चालकों /परिचालकों को प्रोत्साहित करने तथा न्यूनतम डीजल औसत एवं आय देने वाले चालकों/ परिचालकों को उक्त मदों में वृद्धि हेतु सुझाव सहित प्रेरित किया जाए.
- चूंकि निगम है तो हम सभी अधिकारी/उपाधिकारी एवं कर्मचारी हैं, उसके बाद किसी संगठन के सदस्य एवं पदाधिकारी हैं, निगम रहेगा तो हम रहेंगे और संगठन भी रहेंगे, अतः सभी संगठन पदाधिकारी/ सदस्य निगम हित में निगम मुख्यालय एवं अपने उच्चाधिकारियों के आदेशों का अनुपालन करते हुए पूर्ण मनोयोग के साथ अपना आवटित कार्य पूर्ण करने का हरसम्भव प्रयास करें, तभी निगम इस गम्भीर वित्तीय स्थिति से उबर सकता है.