देहरादून: कोरोना महामारी में गंभीर रूप से संक्रमित लोगों को रिकवर करने के लिए जहां एक तरफ प्लाज्मा डोनेशन को देश में प्राथमिकता के तौर पर देखा जा रहा है, वहीं केंद्र सरकार ने प्लाज्मा थेरेपी को कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से हटा दिया है. कोरोना की पहली लहर में प्लाज्मा थेरेपी को काफी कारगार पाया गया था. लेकिन एम्स और आईसीएमआर की नई गाइडलाइन में प्लाज्मा थेरेपी को शामिल नहीं किया गया है.
प्लाज्मा थेरेपी से उत्तराखंड पुलिस ने बचाई 150 लोगों की जान
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से भले ही प्लाज्मा थेरेपी को अपनी गाइडलाइन से हटा दिया गया हो, लेकिन उत्तराखंड पुलिस ने प्लाज्मा डोनेट कर अब तक 150 लोगों की जान बचाई है. बता दें कि उत्तराखंड पुलिस विभाग में कोरोना संक्रमण से उबर चुके जवान लगातार अपने साथियों की मदद कर रहे हैं.
डीआईजी ने दी जानकारी
कोरोना मरीजों को प्लाज्मा डोनेट करने के संबंध में जानकारी देते हुए पुलिस मुख्यालय डीआईजी नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि अभी तक राज्यभर में 2,172 पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं. इतना ही नहीं इसके अलावा उनके परिजन भी काफी संख्या में संक्रमण के दायरे में आ चुके हैं.
ऐसे में कई बार इमरजेंसी की स्थिति में डॉक्टर की सलाह पर प्लाज्मा डोनेट करने की मांग आती रही है. डीआईजी नीलेश आनंद भरणे के मुताबिक उत्तराखंड पुलिस फोर्स में काफी अच्छी तादाद में प्लाज्मा की उपलब्धता है. इसको देखते हुए पुलिस आम लोगों की भी मदद कर रही है.
उत्तराखंड पुलिस को प्लाज्मा थेरेपी संबंधित नहीं मिला कोई निर्देश
प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल न करने के संबंध में फिलहाल उत्तराखंड पुलिस को किसी तरह के गाइडलाइन नहीं दिए गए हैं. ऐसे में फिलहाल प्लाज्मा डोनेट करने का सिलसिला पुलिस द्वारा जारी है.