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हिमाचल के पूर्व सीएम दिवंगत वीरभद्र सिंह के पैतृक गांव पहुंचे प्रीतम, पत्नी-बेटे से की मुलाकात - वीरभद्र सिंह सिंह का निधन

सोमवार को उत्तराखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के पैतृक गांव रामपुर बुशहर पहुंचे. इस दौरान प्रीतम ने उनकी धर्मपत्नी रानी प्रतिभा सिंह और उनके पुत्र विक्रमादित्य से मुलाकात की.

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कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह
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Published : Jul 19, 2021, 7:22 PM IST

Updated : Jul 19, 2021, 8:41 PM IST

देहरादून: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह सोमवार को हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के पैतृक गांव शिमला के रामपुर बुशहर पहुंचे और दिवंगत वीरभद्र सिंह के आवास पर उनकी धर्मपत्नी रानी प्रतिभा सिंह और उनके पुत्र विक्रमादित्य से मुलाकात की. इस दौरान प्रीतम सिंह ने वीरभद्र सिंह के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए अपनी गहरी सांत्वना व्यक्त की.

इससे पहले प्रीतम सिंह ने त्यूणी पहुंचकर क्षेत्र का भ्रमण किया और स्थानीय कार्यकर्ताओं से मुलाकात की. इसके बाद आराकोट में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करते हुए रोहडू होते हुए हिमाचल प्रदेश पहुंचे. बता दें, हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह का लंबी बीमारी के कारण 8 जुलाई को आईजीएमसी शिमला में निधन हो गया था. 9 जुलाई को उनका शव गृहक्षेत्र पद्म पैलेस रामपुर लाया गया था. 10 जुलाई को वीरभद्र सिंह को अंतिम विदाई दी गई थी.

पढ़ें- कांग्रेस का मिशन उत्तराखंड: नेता प्रतिपक्ष और PCC चीफ पर होगा जल्द फैसला

वीरभद्र सिंह को 6 जुलाई को दोपहर रामपुर से उपचार के लिए शिमला स्थित आईजीएमसी में भर्ती कराया गया. वीरभद्र सिंह को सांस लेने में दिक्कत बढ़ने पर IGMC में भर्ती कराया गया था. आईजीएमसी से जुड़े डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कुछ समय से वीरभद्र सिंह सर्दी-खांसी से पीड़ित थे, इस वजह से इन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही थी.

हालांकि वीरभद्र सिंह, पिछले करीब 2 महीने से अस्पताल में भर्ती थे. उन्होंने दो बार कोरोना को मात दी थी. पिछले 2 दिनों से उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था. लंबी बीमारी के कारण 8 जुलाई को आईजीएमसी शिमला में निधन हो गया था.

28 साल की उम्र में बने थे सांसदः वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 को बुशहर के दिवंगत राजा सर पदम सिंह के यहां सराहन में हुआ. उन्होंने शिमला के बिशप कॉटन स्कूल और दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से पढ़ाई की. सिंह की उम्र महज 28 साल थी जब वह पहली बार सांसद बने. 20 साल बाद वह 1983 में 48 साल की उम्र में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. आठ अप्रैल 1983 से पांच मार्च 1990 तक, तीन दिसंबर 1993 से 23 मार्च 1998 तक, छह मार्च 2003 से 29 दिसंबर 2007 तक और फिर 25 दिसंबर 2012 से 26 दिसंबर 2017 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे.

ये भी पढ़ेंः हरिद्वार: वीरभद्र सिंह की अस्थियां गंगा में विसर्जित, विक्रमादित्य के चचेरे भाई रिपु धवन ने पूरी की रस्में

जीवनभर राज्य और केंद्र राजनीति में रहे सक्रियः सिंह का जन्मदिन उनके समर्थक हर साल होली लॉज में धूमधाम के साथ मनाते थे, लेकिन एक पखवाड़े पहले ही उनके आखिरी जन्मदिन को बहुत सादगी से मनाया गया. उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह और बेटे विक्रमादित्य सिंह ने उनके पैतृक आवास पर सादगी से जन्मदिन मनाया. नौ बार के विधायक और पांच बार के सांसद वीरभद्र सिंह जीवनभर राज्य और केंद्र राजनीति में सक्रिय रहे. वह दिसंबर 2017 से सोलन जिले में अर्की विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.

राजनीतिक सफरः वीरभद्र सिंह 1998 से मार्च 2003 तक विपक्ष के नेता भी रहे. दिसंबर 2017 में सोलन ज़िले के अर्की विधानसभा से 13वीं विधानसभा के लिए फिर से चुने गए. अक्टूबर 1983 (उपचुनाव) में राज्य विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए. 1985 में जुब्बल-कोटखई निर्वाचन क्षेत्र से पुन: निर्वाचित हुए. 1990, 1993, 1998, 2003 और 2007 में वह रोहरू से जीते व 2012 में शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए. 1962 में तीसरी लोकसभा में निर्वाचित हुए फिर 1967 में महासु निर्वाचन क्षेत्र से चौथी लोकसभा में पुन: निर्वाचित हुए. 1971 में पांचवी, 1980 में सातवीं और मई 2009 में मंडी संसदीय क्षेत्र से 15वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. 1977, 1979, 1980 और 26 अगस्त 2012 से दिसंबर 2012 तक हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे.

देहरादून: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह सोमवार को हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के पैतृक गांव शिमला के रामपुर बुशहर पहुंचे और दिवंगत वीरभद्र सिंह के आवास पर उनकी धर्मपत्नी रानी प्रतिभा सिंह और उनके पुत्र विक्रमादित्य से मुलाकात की. इस दौरान प्रीतम सिंह ने वीरभद्र सिंह के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए अपनी गहरी सांत्वना व्यक्त की.

इससे पहले प्रीतम सिंह ने त्यूणी पहुंचकर क्षेत्र का भ्रमण किया और स्थानीय कार्यकर्ताओं से मुलाकात की. इसके बाद आराकोट में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करते हुए रोहडू होते हुए हिमाचल प्रदेश पहुंचे. बता दें, हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह का लंबी बीमारी के कारण 8 जुलाई को आईजीएमसी शिमला में निधन हो गया था. 9 जुलाई को उनका शव गृहक्षेत्र पद्म पैलेस रामपुर लाया गया था. 10 जुलाई को वीरभद्र सिंह को अंतिम विदाई दी गई थी.

पढ़ें- कांग्रेस का मिशन उत्तराखंड: नेता प्रतिपक्ष और PCC चीफ पर होगा जल्द फैसला

वीरभद्र सिंह को 6 जुलाई को दोपहर रामपुर से उपचार के लिए शिमला स्थित आईजीएमसी में भर्ती कराया गया. वीरभद्र सिंह को सांस लेने में दिक्कत बढ़ने पर IGMC में भर्ती कराया गया था. आईजीएमसी से जुड़े डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कुछ समय से वीरभद्र सिंह सर्दी-खांसी से पीड़ित थे, इस वजह से इन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही थी.

हालांकि वीरभद्र सिंह, पिछले करीब 2 महीने से अस्पताल में भर्ती थे. उन्होंने दो बार कोरोना को मात दी थी. पिछले 2 दिनों से उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था. लंबी बीमारी के कारण 8 जुलाई को आईजीएमसी शिमला में निधन हो गया था.

28 साल की उम्र में बने थे सांसदः वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 को बुशहर के दिवंगत राजा सर पदम सिंह के यहां सराहन में हुआ. उन्होंने शिमला के बिशप कॉटन स्कूल और दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से पढ़ाई की. सिंह की उम्र महज 28 साल थी जब वह पहली बार सांसद बने. 20 साल बाद वह 1983 में 48 साल की उम्र में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. आठ अप्रैल 1983 से पांच मार्च 1990 तक, तीन दिसंबर 1993 से 23 मार्च 1998 तक, छह मार्च 2003 से 29 दिसंबर 2007 तक और फिर 25 दिसंबर 2012 से 26 दिसंबर 2017 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे.

ये भी पढ़ेंः हरिद्वार: वीरभद्र सिंह की अस्थियां गंगा में विसर्जित, विक्रमादित्य के चचेरे भाई रिपु धवन ने पूरी की रस्में

जीवनभर राज्य और केंद्र राजनीति में रहे सक्रियः सिंह का जन्मदिन उनके समर्थक हर साल होली लॉज में धूमधाम के साथ मनाते थे, लेकिन एक पखवाड़े पहले ही उनके आखिरी जन्मदिन को बहुत सादगी से मनाया गया. उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह और बेटे विक्रमादित्य सिंह ने उनके पैतृक आवास पर सादगी से जन्मदिन मनाया. नौ बार के विधायक और पांच बार के सांसद वीरभद्र सिंह जीवनभर राज्य और केंद्र राजनीति में सक्रिय रहे. वह दिसंबर 2017 से सोलन जिले में अर्की विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.

राजनीतिक सफरः वीरभद्र सिंह 1998 से मार्च 2003 तक विपक्ष के नेता भी रहे. दिसंबर 2017 में सोलन ज़िले के अर्की विधानसभा से 13वीं विधानसभा के लिए फिर से चुने गए. अक्टूबर 1983 (उपचुनाव) में राज्य विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए. 1985 में जुब्बल-कोटखई निर्वाचन क्षेत्र से पुन: निर्वाचित हुए. 1990, 1993, 1998, 2003 और 2007 में वह रोहरू से जीते व 2012 में शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए. 1962 में तीसरी लोकसभा में निर्वाचित हुए फिर 1967 में महासु निर्वाचन क्षेत्र से चौथी लोकसभा में पुन: निर्वाचित हुए. 1971 में पांचवी, 1980 में सातवीं और मई 2009 में मंडी संसदीय क्षेत्र से 15वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. 1977, 1979, 1980 और 26 अगस्त 2012 से दिसंबर 2012 तक हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे.

Last Updated : Jul 19, 2021, 8:41 PM IST
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