देहरादून: फॉरेस्ट गार्ड भर्ती फर्जीवाड़ा मामला 3 साल बाद भी जांच तक ही सीमित है. मामले में मुख्य वन संरक्षक को नए सिरे से जांच करने के निर्देश दिए गए हैं, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई करने की बात कही जा रही है. जबकि मामले की विभागीय स्तर पर पहले ही जांच हो चुकी है.
दरअसल, विगत 3 साल पहले वन विभाग द्वारा फॉरेस्ट गार्ड भर्ती प्रक्रिया की थी. जिसमें अभ्यर्थियों के चयन के बाद कुल 21 लोगों को फॉरेस्ट गार्ड के तौर पर नियुक्ति दी गई थी. हालांकि जल्द ही मामले में शिकायतें आने के बाद विभाग की ओर से अभ्यर्थियों के चयन को निरस्त कर दिया गया था. बता दें कि फॉरेस्ट गार्ड भर्ती प्रकरण में आरोप था कि कई अभ्यर्थियों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरियां हासिल की है.
जिसके बाद मामले की जांच हुई तो कुछ मामले पकड़ में भी आ गए. इसके बाद फौरन इस प्रक्रिया में चयनित अभ्यर्थियों के चयन को निरस्त कर दिया गया था. जिसके बाद अभ्यार्थियों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था. कोर्ट के आदेश के बाद विभागीय स्तर पर समिति को जांच सौंपी गई. कमेटी की जांच पूरी हुई तो पाया गया कि चयन प्रक्रिया में गड़बड़ियां की गई थी.
जिसमें विभागीय अधिकारियों की संलिप्ता भी सामने आई थी. हालांकि उसके बाद मामले में कोई अग्रिम कार्रवाई नहीं हो सकी. ऐसे में एक बार फिर फॉरेस्ट गार्ड भर्ती मामले को नए सिरे से जांच ने के आदेश दिए गए हैं. प्रमुख सचिव वन आनंद वर्धन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. फॉरेस्ट गार्ड भर्ती प्रकरण की मुख्य वन संरक्षक द्वारा अब नए सिरे से जांच की जाएगी.
जिसके बाद ही आगे की कार्रवाई किए जाने की बात कही जा रही है. हालांकि विभागीय स्तर पर जांच के आदेश आने के बाद आप एक बार फिर नई जांच रिपोर्ट पर सबकी नजरें टिकी हुई है.