देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लग सकता है. राजनीतिक हलकों में ये चर्चा आम है कि धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे विधायक संजीव आर्य आज दिल्ली में कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं. इतना ही नहीं रायपुर सीट से विधायक उमेश शर्मा काऊ भी कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. वहीं, नरेंद्र नगर से पूर्व विधायक ओम गोपाल भी कांग्रेस में हो सकते हैं. जबकि, सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत भी कांग्रेस के संपर्क में हैं.
बता दें कि बाजपुर से विधायक यशपाल आर्य अभी धामी सरकार में परिवहन और समाज कल्याण मंत्री हैं और उनके बेटे संजीव आर्य नैनीताल विधानसभा सीट से विधायक हैं. बताया जा रहा है कि यशपाल आर्या अपने समर्थकों के साथ दिल्ली पहुंच चुके हैं. यशपाल पिछले काफी दिनों से कांग्रेस में आने के लिए तैयारियां कर रहे थे. जानकारी के मुताबिक यशपाल आर्य कांग्रेस हाईकमान के सामने पिछले दिनों विधानसभा चुनाव में 6 टिकटों के लिए मांग की थी, जिस पर सहमति नहीं बन पाई थी.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, यशपाल आर्य द्वारा मांगी गई 4 सीटों पर सम्मति बनी है, जिसमें नैनीताल से उनके पुत्र संजीव आर्य और हल्द्वानी विधानसभा सीट वह स्वयं खुद चुनाव लड़ सकते हैं, जबकि एक सीट लालकुआं विधानसभा और एक कालाढूंगी विधानसभा के अपने करीबियों के लिए मांग की थी. माना जा रहा है कि इस पर कांग्रेस हाईकमान ने सहमति जता दी है, जिसके यशपाल आर्य ने कांग्रेस ज्वाइन करने का मन बनाया है.
बीजेपी में दो कांग्रेसी व एक निदर्लयी MLA हुए शामिल: उत्तराखंड में पिछले कुछ महीनों से दल-बदल का खेल चरम है. गढ़वाल मंडल से कांग्रेस विधायक राजकुमार व प्रीतम सिंह पवार के बाद कुमाऊं मंडल से निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा ने भाजपा का दामन थाम लिया है. भाजपा जहां तमाम विधायकों को अपने पाले में कर राज्य में सियासी माहौल को अपने पक्ष में करने में जुटी है. वहीं कांग्रेस ने भी अंदरूनी स्तर पर भाजपा के बड़े नेताओं को अपने पाले में करने के लिए तैयारी शुरू कर दी है. राज्य के इस तरह के सियासी हालात से आने वाले समय में चुनाव बेहद दिलचस्प हो जाएंगे.
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कांग्रेस 9 बागी विधायकों ने धामा था बीजेपी का दामन: साल 2017 विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा समेत कांग्रेस के 9 बागी विधायकों ने बीजेपी का दामन थामा था. ऐसे में उत्तराखंड बीजेपी में 2022 चुनाव से पहले चल रही सियासी उथल-पुथल के बाद उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री और एक विधायक घर वापसी कर सकते हैं.