देहरादून: उत्तराखंड सरकार हमेशा प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा करती है, लेकिन उसके मंत्री खुद प्रदेश के सरकारी हॉस्पिटलों की सेवा लेने से कतराते हैं. प्रदेश सरकार के बड़े मंत्री उत्तराखंड के सरकारी हॉस्पिटलों ने इलाज कराने के बजाय दिल्ली जैसे महानगरों के हॉस्पिटलों में अपना इलाज करना पंसद करते हैं. इसका ताजा उत्तराखंड कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के तौर पर देखा जा सकता है.
उत्तराखंड की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को कोई और नहीं, बल्कि यहां के नेता ही आइना दिखा रहे हैं. रेखा आर्य ऐसी कोई पहली नेता नहीं हैं, जो बेहतर इलाज के लिए प्रदेश से बाहर गई हैं. इससे पहले कई और नेताओं के नाम इस भी लिस्ट में शामिल हैं. उत्तराखंड में किसी मंत्री या बड़े नेता को जुखाम तक हो जाता है तो वह अपना इलाज करवाने के लिए सीधे देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट से फ्लाइट पकड़ता और दिल्ली पहुंच जाता है. दिल्ली में ही ये नेता एम्स, मैक्स और वेदांता जैसे हॉस्पिटलों में अपना इलाज कराते हैं.
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कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने भी अपनी रसौली का ऑपरेशन दिल्ली के प्राइवेट मैक्स हॉस्पिटल में कराया. ये सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है कि यदि सरकार के मंत्री और यहां के बड़े नेता ही अपने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसा नहीं करेंगे तो आम आदमी की तो बात ही छोड़ दीजिए. मंत्रियों के इलाज के लिए दूसरे प्रदेशों में जाने का मतलब तो यही दिखाता है कि प्रदेश में सरकारी हॉस्पिटलों की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है, जितना सरकार दावा करती है. कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने सोशल मीडिया पोस्ट कर खुद बताया कि दिल्ली के मैक्स अस्पताल में उनका रसौली का ऑपरेशन सफल रहा. अब वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं.
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दूसरा सवाल ये है कि मंत्री और पैसे वाले लोग तो बेहतर इलाज के लिए दिल्ली के प्राइवेट हॉस्पिटलों में जा सकते हैं, लेकिन वो आम आदमी क्या करे, जिसके पास पैसा ही नहीं है. उसे तो इलाज के लिए उत्तराखंड के उस सिस्टम से ही दो-चार होना पड़ेगा. इसी वजह से कई बार उसे अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है.