देहरादूनः उत्तराखंड में बिजली के दामों को लेकर जहां पहले ही उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (Uttarakhand Power Corporation Limited) की तरफ से 7.72% की बढ़ोत्तरी की डिमांड अपने प्रस्ताव के जरिए नियामक आयोग से की गई थी तो वहीं अब नए प्रस्ताव में यूपीसीएल ने जनता पर और भी ज्यादा बोझ डालते हुए बिजली के दामों में 16.95% की बढ़ोत्तरी करने की मांग (UPCL sent proposal to increase electricity rates) की है.
उत्तराखंड में पिछले कुछ समय से बिजली के दाम एकाएक बढ़े हैं. बड़ी बात यह है कि न तो ऊर्जा के क्षेत्र में उत्पादन को राज्य सरकार बढ़ा पा रही है और ना ही जनता की जेब पर पड़ रहे बोझ को कम करने में सरकार कामयाब हो पाई है. इस मामले में सचिव ऊर्जा मीनाक्षी सुंदरम के दिशा निर्देश भी काम नहीं आ पाए हैं. उधर ऊर्जा प्रदेश में लोगों के लिए बिजली का खर्चा उठाना भी अब मुश्किल होता दिखने लगा है.
खास बात यह है कि यूपीसीएल पिछले दिनों महंगी बिजली खरीद के नाम पर जनता से वसूली करने का पूरा मन बना चुका है. इसके लिए जहां यूपीसीएल ने पहले नियामक आयोग को अप्रैल से करीब 7.72% बिजली के दामों में बढ़ोत्तरी की डिमांड की थी, वहीं अब नए प्रपोजल में इसे दोगुने से भी ज्यादा कर दिया है. यानी उत्तराखंड में लोगों की जेब पर महंगी बिजली का भार पड़ने की पूरी उम्मीद है. हालांकि, नियामक आयोग अभी इस मामले में विचार करने के बाद ही अंतिम फैसला लेगा. लेकिन यूपीसीएल की तरफ से दिए गए बढ़ोत्तरी के भारी-भरकम प्रपोजल के आधार पर यह तो तय है कि अब राज्य में बिजली और भी महंगी होने जा रही है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में फिर बिजली की दरें बढ़ाने की तैयारी, कांग्रेस बोली- जनता का शोषण कर रही सरकार
आपको बता दें कि उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (Uttarakhand Electricity Regulatory Commission) प्रस्ताव आने के बाद इसका अध्ययन करता है. जिसके बाद जन सुनवाई की जाती है. जिसमें लोगों द्वारा बिजली के दाम ना बढ़ाए जाने पर भी चर्चा होती है. साथ ही तमाम लोगों के सुझाव भी इस दौरान लिए जाते हैं. इसमें लोगों पर महंगी बिजली का बोझ कम से कम पड़े इसका भी ख्याल रखा जाता है.
हालांकि पहले ही यूपीसीएल को नियामक आयोग की तरफ से 6.5% सरचार्ज बढ़ोत्तरी की अनुमति दी जा चुकी है. इसके तहत सितंबर 2022 से 31 मार्च 2023 तक यूपीसीएल सरचार्ज के जरिए जनता से बिजली के दामों में कुछ बढ़ोत्तरी के साथ कमाई कर रहा है. लेकिन यूपीसीएल ने जो महंगी बिजली खरीद के चलते घाटा बताया है, वह बेहद बड़ा है और इसलिए एक बार फिर बढ़ोत्तरी की मांग की जा रही है.