देहरादून: कोरोना की दूसरी लहर (corona second wave) में उत्तराखंड को काफी पीछे धकेल दिया है. कोरोना महामारी की वजह से न सिर्फ महंगाई बढ़ी है, बल्कि बेरोजगारी (unemployment rate in uttarakhand) का ग्राफ भी बढ़ गया है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (Center for Monitoring Indian Economy) की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में बेरोजगारी की दर पिछले 2 सालों में बहुत तेजी से बढ़ी है और कुल 5 सालों की बात करें तो उत्तराखंड में बेरोजगारी की दर 1.61 से बढ़कर अब 10.99 फीसदी तक पहुंच चुकी है.
पूरे देश में कोविड-19 के दुष्परिणाम देखने को मिले हैं, जिसका असर उत्तराखंड में भी पड़ा है. कोरोना की पहली और दूसरी लहर में बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां गई है. ऐसे में काफी प्रवासी अपने घरों को लौटे थे, जिस कारण उत्तराखंड में भी बेरोजगारी का ग्राफ (unemployment rate in Uttarakhand) काफी ऊपर चला गया है.
पिछले दो सालों में बेरोजगारी ज्यादा बढ़ी
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी यानी सीएमआईई (CMII) की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016-17 में जहां उत्तराखंड में बेरोजगारी की दर (Uttarakhand unemployment rate) 1.61 थी जो अब 10.99 तक पहुंच चुकी है. पिछले दो सालों के आंकड़ों पर यदि गौर किया जाए तो साल 2018-19 तक बेरोजगारी बढ़ने की दर प्रदेश में केवल 2.79% थी, जोकि साल 2019-20 में बढ़कर 5.32 पर चली गई.
इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह उत्तराखंड में लॉकडाउन के बाद से ही बेरोजगार होकर लौट रहे प्रवासी है. पलायन आयोग के अनुसार उत्तराखंड में 70 फीसदी लोग सर्विस या फिर हॉस्पिटैलिटी के क्षेत्र में कार्यरत थे, जिन्होंने अपना रोजगार खोया है. इसी कारण से उत्तराखंड में बेरोजगारी का यह आंकड़ा आसमान छू रहा है.
उत्तराखंड में चार लाख प्रवासी घर लौटे
वैश्विक महामारी कोविड-19 के शुरुआती दिनो से लेकर अब तक उत्तराखंड में बाहरी राज्यों से बेरोजगार होकर घर लौटने का दौर जारी है. पहली दफा जब देश में 22 मार्च 2020 को लॉकडाउन लगा था तो पूरे देश में इसका प्रभाव पड़ा था. बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां गई थी. नौकरी जाने के बाद प्रवासियों ने अपने घरों को लौटना शुरू किया था. उत्तराखंड की अगर बात करें तो रोजगार के मामले में पहले स्थान पर सेना और दूसरे स्थान पर हॉस्पिटैलिटी या फिर सर्विस सेक्टर आता है. कोविड ने सबसे ज्यादा हॉस्पिटैलिटी और सर्विस सेक्टर की कमर तोड़ी है.
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पलायन आयोग ने जो सर्वे किया है, उसके अनुसार साल 2020 में मार्च से लेकर सितंबर तक 3,57,536 प्रवासी उत्तराखंड लौटे थे. इनमें सबसे ज्यादा पौड़ी, टिहरी और अल्मोड़ा जिले के प्रवासी थे. पिछले साल लौटे इन प्रवासियों में 70 फीसदी देश के अन्य राज्यों से थे. बाकी उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों में ही काम करते थे. कुछ प्रवासी विदेशों से भी लौटे थे.
पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2020 तक महामारी के कारण राज्य में लौटे प्रवासियों में से तकरीबन 29 फीसदी प्रवासियों ने दोबारा पलायन किया. इसमें से कई लोग राज्य के अंदर अन्य जनपदों में चले गए और कुछ लोग राज्य के बाहर एक बार फिर से पलायन कर गए.
दूसरी लहर में 53092 प्रवासी बेरोजगार होकर घर लौटे
कोरोना की दूसरी लहर ने जैसे ही देश में दस्तक दी तो नौकरियों के जाने का सिलसिला एक बार फिर शुरू हो गया. साल 2021 में एक अप्रैल से लेकर 5 मई से पांच मई के बीच उत्तराखंड के शहरी इलाकों से ग्रामीण इलाकों में कुल 53,092 प्रवासी घर लौटे हैं. इसमें सबसे ज्यादा 27.97% अल्मोड़ा जिले में तो वहीं उसके बाद पौड़ी जिले में 17.84%, टिहरी जिले में 15.23%, हरिद्वार जिले में 0.11%, देहरादून जिले में 0.29%, उधम सिंह नगर में 0.66% प्रवासी वापस लौटे हैं.
बाहरी राज्यों से लौटे प्रवासी
सबसे ज्यादा नौकरी और हॉस्पिटैलिटी से जुड़े लोग वापस लौटे हैं. पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2021 से 5 मई 2021 के बीच उत्तराखंड राज्य में जिन प्रवासियों द्वारा वापसी की गई है, उनमें प्राइवेट नौकरी और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में काम करने वाले सबसे ज्यादा 39.4% लोग हैं. वहीं विद्यार्थी 12.9%, गृहणी 12.1%, मजदूर 11.1%, बेरोजगार 4.4% और तकनीकी से जुड़े 3.3% प्रवासी वापस लौटे हैं.
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जल्द सुधरेंगे हालात
पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी के अनुसार कोरोना ने पूरी दुनिया में नौकरी खाई है. उत्तराखंड में बेरोजगारों की बढ़ती संख्या भी इसी का हिस्सा है. हालांकि उन्होने कहा कि उत्तराखंड में यह आंकड़े इसलिए अप्रत्याशित हैं, क्योंकि यहां पर पूरे राज्य की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी होटल इंडस्ट्री और हॉस्पिटैलिटी सर्विस सेक्टर में काम करता है.
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि हम अगर अपने देश में ही नहीं बल्कि ग्लोबल सिटी दुबई या फिर विदेशों के किसी बड़े होटल के किचन में जाएं तो आपको वहां उत्तराखंड के गढ़वाल या कुमाऊं से कोई शेफ जरूर मिलेगा. उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों का युवा या तो सेना में होगा नहीं तो होटल इंडस्ट्री में काम कर रहा है. कोरोना में होटल इंडस्ट्री सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है.
सरकार की प्राथमिकता प्रदेश की आर्थिकी
प्रदेश में बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़े सरकार के लिए भी चिंता का विषय है. उत्तराखंड सरकार के शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं कि प्रदेश में बेरोजगारी का ग्राफ बढ़ा है. सरकार लगातार हालात पर नजर बनाए हुए हैं. अब तक जहां कोविड से निपटना सरकार की पहली प्राथमिकता थी तो वहीं अब प्रदेश की आर्थिकी को संभालना सरकार की प्रमुखता होगी. निश्चित तौर पर प्रदेश की आर्थिकी लोगों के रोजगार से ही बनती है.
सुबोध उनियाल ने कहा कि सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है. उन्होने आज कैबिनेट में लिए गए फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि आज सरकार द्वारा रोजगार और आर्थिकी को बढ़ावा देने के लिए कई बड़े फैसले लिए गये हैं तो वहीं आने वाले समय में जैसे-जैसे हालात सुधरते हैं, प्रदेश में रोजगार सृजन का काम और तेज गति से होगा.