देहरादून: उत्तराखंड सरकार प्रदेश में रह रही गर्भवती महिलाओं और धात्रियों के लिए तमाम तरह की योजनाओं को संचालित कर रही है. इसमें मुख्य रूप से महिलाओं के गर्भधारण के बाद और प्रसवकाल के बाद भी राज्य सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से पोषाहार उपलब्ध कराती है. यही नहीं, 6 महीने से लेकर 3 साल तक के बच्चों को भी पोषाहार आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से दिए जाते रहे हैं. लेकिन 5 महीने से लाभार्थियों को पोषक आहार उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. आखिर क्या है वजह, प्रदेश में क्या है लाभार्थियों की स्थिति, आइए जानते हैं.
गर्भवती और बच्चों को 5 महीने से नहीं मिला पोषाहार: आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से लाभार्थियों को दिए जाने वाले पोषक आहार पिछले 5 महीने से नहीं दिए जा रहे हैं. 3 नवंबर 2022 से ही इन सभी लाभार्थियों को राशन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इसके चलते गरीब परिवारों के बच्चे पोषाहार के लिए तरस रहे हैं. दरअसल, बच्चों के लिए पोषाहार काफी जरूरी है. यही वजह है कि राज्य सरकार इस बात की कोशिश कर रही है कि बच्चों को पोषाहार मिलता रहे, ताकि बच्चा किसी बीमारी की गिरफ्त में ना आ जाए. लेकिन विभाग की स्थिति ऐसी हो गई है कि इन लाभार्थियों को पोषक आहार लंबे समय से नहीं मिल रहा है.
उत्तराखंड में इतने हैं पोषाहार के उत्तराधिकारी: उत्तराखंड राज्य में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की ओर से 14,505 आंगनबाड़ी केंद्र और 5120 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं. इन्हीं के माध्यम से रजिस्टर्ड गर्भवती महिलाओं, धात्रियों और बच्चों को पोषाहार उपलब्ध कराया जाता है. हालांकि, फरवरी महीने के आंकड़े के अनुसार राज्य में पंजीकृत छह माह से तीन साल के 448,684 बच्चे, 82,622 गर्भवती महिलाएं और 92,613 धात्री महिलाए हैं. हालांकि, ये आंकड़ा हमेशा बदलता रहता है. इन सभी महिलाओं को आंगनबाड़ी केंद्रों से पोषाहार पिछले कई महीनों से नहीं मिला है.
बदल गई टेक होम राशन पॉलिसी: वहीं, ज्यादा जानकारी देते हुए विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि उत्तराखंड राज्य में आंगनबाड़ी केंद्रों से मिलने वाली टेक होम राशन की व्यवस्था को बदल दिया गया है. अब आंगनबाड़ी केंद्रों से लाभार्थियों को रेडी टू ईट (Ready to Eat) के रूप में खाद्यान्न का वितरण किया जाएगा. दरअसल, भारत सरकार ने टेक होम राशन की सुविधा को बंद करते हुए फंड पर भी रोक लगा दी है. लिहाजा राज्य सरकार के अनुरोध पर अब केंद्र सरकार ने प्रोडक्टिव फॉर्म में फूड देने पर सहमति जताई है. इसके तहत अब जल्द ही चावल, गेहूं समेत अन्य राशन वितरित किए जाएंगे.
- जिलेवार लाभार्थियों की सूची-
देहरादून जिले में 6 माह से 3 वर्ष के 69,016 बच्चे, 13,028 गर्भवती महिलाएं और 14,837 धात्री महिलाएं हैं. - हरिद्वार जिले में 6 माह से 3 वर्ष के 112,945 बच्चे 22,019 गर्भवती महिलाएं और 23,151 धात्री महिलाएं हैं.
- नैनीताल जिले में 6 माह से 3 वर्ष के 41,384 बच्चे 7,167 गर्भवती महिलाएं और 8,207 धात्री महिलाएं हैं.
- टिहरी जिले में 6 माह से 3 वर्ष के 25,102 बच्चे 4,572 गर्भवती महिलाएं और 5,504 धात्री महिलाएं हैं.
- उधमसिंह नगर जिले में 6 माह से 3 वर्ष के 92,921 बच्चे 18,251 गर्भवती महिलाएं और 19,788 धात्री महिलाएं हैं.
- उत्तरकाशी जिले में 6 माह से 3 वर्ष के 13,964 बच्चे 2,973 गर्भवती महिलाएं और 3,042 धात्री महिलाएं हैं.
- बागेश्वर जिले में छह माह से तीन साल के 8,579 बच्चे, 1,267 गर्भवती महिलाएं और 1,610 धात्री महिलाएं पंजीकृत हैं.
- अल्मोड़ा जिले में छह माह से तीन साल के 16,857 बच्चे, 2,894 गर्भवती महिलाएं और 3,643 धात्री महिलाए पंजीकृत हैं.
- चमोली जिले में 6 माह से 3 वर्ष के 13,745 बच्चे 2,272 गर्भवती महिलाएं और 2,665 धात्री महिलाएं हैं.
- चंपावत जिले में 6 माह से 3 वर्ष के 11,030 बच्चे 1,816 गर्भवती महिलाएं और 2,098 धात्री महिलाएं हैं.
- पौड़ी जिले में 6 माह से 3 वर्ष के 19,276 बच्चे 2,717 गर्भवती महिलाएं और 3,751 धात्री महिलाएं हैं.
- पिथौरागढ़ जिले में 6 माह से 3 वर्ष के 14,711 बच्चे 2,202 गर्भवती महिलाएं और 2,563 धात्री महिलाएं हैं.
- रुद्रप्रयाग जिले में 6 माह से 3 वर्ष के 9,154 बच्चे 1,444 गर्भवती महिलाएं और 1,754 धात्री महिलाएं हैं