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पंचायत चुनाव: फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है सरकार, लेकिन ये मुश्किलें आएंगी सामने

बीजेपी के लिए हाईकोर्ट का यह फ़ैसला झटके की तरह आया है. ऐसे में अचानक आए इस फैसले के कानूनी पहलू देखने होंगे. फ़ैसले का अध्ययन करने के बाद ही सरकार आगे की रणनीति पर फ़ैसला करेगी.

पंचायत चुनाव
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Published : Sep 19, 2019, 11:28 PM IST

Updated : Sep 20, 2019, 12:06 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले के बाद जहां कांग्रेस खुश नजर आ रही है तो वहीं सूत्रों की मानें तो सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है. हालांकि, राज्य सरकार अगर हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करती है तो ऐसे में कई समीकरण निकलकर सामने रहे है, जिसका असर सीधे तौर चुनावों पर पड़ सकता है. क्योंकि 20 सितंबर से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है. ऐसे में सरकार के पास बहुत कम समय बचा है.

प्रदेश के पंचायत राज संशोधित नियमावली पर नैनीताल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को बड़ा झटका दिया है. पंचायत राज संशोधन नियमावली के खिलाफ दायर की गयी याचिका पर नैनीताल हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. जिसके अनुसार 25 जुलाई 2019 से पहले जिन उम्मीदवारों के दो से अधिक बच्चे हैं, वह उम्मीदवार भी पंचायत चुनाव लड़ पाएंगे. वहीं अब राज्य सरकार हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ, सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है.

पढ़ें- अब दो से ज्यादा बच्चे वाले भी लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव, हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश पर लगाई रोक

जारी हो चुकी है अधिसूचना
पंचायत चुनाव के मद्देनजर राज्य निर्वाचन आयोग ने 13 सितंबर को अधिसूचना जारी कर चुनाव की तिथियों का एलान कर दिया था. जिसके अनुसार प्रदेश भर में तीन चरणों में चुनाव कराए जाने हैं. यही नहीं राज्य निर्वाचन आयुक्त ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार ही चुनाव संपन्न कराए जाएंगे. इसके साथ ही हाई कोर्ट के फैसले से चुनाव की तिथियों को बदला नहीं जाएगा. ऐसे में 20 सितंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है. लिहाजा राज्य सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए बेहद कम समय बचा है.

30 नवंबर तक चुनाव कराने की बाध्यता
15 जुलाई 2019 को ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद यूं तो शासन ने 6 महीने के लिए प्रशासक बैठा दिए थे, लेकिन वहीं चुनाव में हो रही देरी के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को फटकार लगाते हुए 30 नवंबर 2019 तक हर हाल में पंचायत चुनाव सम्पन्न कराने के आदेश दिए थे. अब ऐसे में अगर राज्य सरकार हाई कोर्ट के इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाती है तो कहीं न कहीं हाई कोर्ट के 30 नवंबर तक चुनाव संपन्न कराने का फैसला भी आड़े आ सकता है.

पढ़ें- त्तराखंडः पंचायत चुनाव को लेकर सभी तैयारियां पूरी, जानें किस दिन कहां होंगे मतदान?

प्रत्याशियों की फाइनल लिस्ट
शुक्रवार यानी 20 सितंबर से शुरू हो रही नामांकन प्रक्रिया को देखते हुए प्रदेश की मुख्य पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपने-अपने समर्थित दावेदारों की सूची लगभग फाइनल कर ली है. हालांकि, बीजेपी ने गुरुवार देर रात को जिला पंचायत के लिए समर्थित दावेदारों की सूची जारी कर दी है. वहीं, कांग्रेस ने भी समर्थित प्रत्याशियों की लिस्ट लगभग फाइनल कर ली है, जो कभी भी जारी हो सकती है. ऐसे में अगर राज्य सरकार अगर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाती है तो चुनाव में खड़े होने वाले इच्छुक उम्मीदवारों के बीच घमासान होना लाजमी है.

देहरादून: उत्तराखंड के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले के बाद जहां कांग्रेस खुश नजर आ रही है तो वहीं सूत्रों की मानें तो सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है. हालांकि, राज्य सरकार अगर हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करती है तो ऐसे में कई समीकरण निकलकर सामने रहे है, जिसका असर सीधे तौर चुनावों पर पड़ सकता है. क्योंकि 20 सितंबर से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है. ऐसे में सरकार के पास बहुत कम समय बचा है.

प्रदेश के पंचायत राज संशोधित नियमावली पर नैनीताल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को बड़ा झटका दिया है. पंचायत राज संशोधन नियमावली के खिलाफ दायर की गयी याचिका पर नैनीताल हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. जिसके अनुसार 25 जुलाई 2019 से पहले जिन उम्मीदवारों के दो से अधिक बच्चे हैं, वह उम्मीदवार भी पंचायत चुनाव लड़ पाएंगे. वहीं अब राज्य सरकार हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ, सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है.

पढ़ें- अब दो से ज्यादा बच्चे वाले भी लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव, हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश पर लगाई रोक

जारी हो चुकी है अधिसूचना
पंचायत चुनाव के मद्देनजर राज्य निर्वाचन आयोग ने 13 सितंबर को अधिसूचना जारी कर चुनाव की तिथियों का एलान कर दिया था. जिसके अनुसार प्रदेश भर में तीन चरणों में चुनाव कराए जाने हैं. यही नहीं राज्य निर्वाचन आयुक्त ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार ही चुनाव संपन्न कराए जाएंगे. इसके साथ ही हाई कोर्ट के फैसले से चुनाव की तिथियों को बदला नहीं जाएगा. ऐसे में 20 सितंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है. लिहाजा राज्य सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए बेहद कम समय बचा है.

30 नवंबर तक चुनाव कराने की बाध्यता
15 जुलाई 2019 को ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद यूं तो शासन ने 6 महीने के लिए प्रशासक बैठा दिए थे, लेकिन वहीं चुनाव में हो रही देरी के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को फटकार लगाते हुए 30 नवंबर 2019 तक हर हाल में पंचायत चुनाव सम्पन्न कराने के आदेश दिए थे. अब ऐसे में अगर राज्य सरकार हाई कोर्ट के इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाती है तो कहीं न कहीं हाई कोर्ट के 30 नवंबर तक चुनाव संपन्न कराने का फैसला भी आड़े आ सकता है.

पढ़ें- त्तराखंडः पंचायत चुनाव को लेकर सभी तैयारियां पूरी, जानें किस दिन कहां होंगे मतदान?

प्रत्याशियों की फाइनल लिस्ट
शुक्रवार यानी 20 सितंबर से शुरू हो रही नामांकन प्रक्रिया को देखते हुए प्रदेश की मुख्य पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपने-अपने समर्थित दावेदारों की सूची लगभग फाइनल कर ली है. हालांकि, बीजेपी ने गुरुवार देर रात को जिला पंचायत के लिए समर्थित दावेदारों की सूची जारी कर दी है. वहीं, कांग्रेस ने भी समर्थित प्रत्याशियों की लिस्ट लगभग फाइनल कर ली है, जो कभी भी जारी हो सकती है. ऐसे में अगर राज्य सरकार अगर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाती है तो चुनाव में खड़े होने वाले इच्छुक उम्मीदवारों के बीच घमासान होना लाजमी है.

Intro:सूत्रों की माने तो राज्य सरकार नैनीताल हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी मे है। हालांकि जहां एक और 20 सितंबर से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है तो वही यह भी जा रहा है की शुक्रवार को राज्य सरकार हाईकोर्ट इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेगी। हालांकि राज्य सरकार, अगर हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करती है तो ऐसे में कई समीकरण निकलकर सामने रहे है। देखिए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट....




Body:प्रदेश के पंचायत राज संशोधित नियमावली पर नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बड़ा झटका दिया है। पंचायत राज संसोधन नियमावली के खिलाफ दायर की गयी याचिका पर नैनीताल हाइकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है, जिसके अनुसार 25 जुलाई 2019 से पहले जिन उम्मीदवारों के दो से अधिक बच्चे हैं, वह उम्मीदवार भी पंचायत चुनाव लड़ पाएंगे। तो वही अब राज्य सरकार, हाइकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ, सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है।


पंचायत चुनाव की जारी हो चुकी है अधिसूचना....

पंचायत चुनाव के मद्देनजर राज्य निर्वाचन आयोग ने 13 सितंबर को अधिसूचना जारी कर चुनाव की तिथियों का ऐलान कर दिया था जिसके अनुसार प्रदेश भर में तीन चरणों में चुनाव कराए जाने हैं। यही नहीं राज्य निर्वाचन आयुक्त ने यह भी स्पष्ट कर दिया है की हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार ही चुनाव संपन्न कराए जाएंगे इसके साथ ही हाईकोर्ट के फैसले से चुनाव की तिथियों को बदला नहीं जाएगा। ऐसे में 20 सितंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है लिहाजा राज्य सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए बेहद कम समय बचा है।


30 नवंबर तक चुनाव कराने की बाध्यता......

15 जुलाई 2019 को ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद यू तो शासन ने 6 महीने के लिए प्रशासक बैठा दिए थे। लेकिन वही चुनाव में हो रही देरी के खिलाफ दायक की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को फटकार लगाते हुए 30 नवंबर 2019 तक हर हाल में पंचायत चुनाव सम्पन्न कराने के आदेश दिए थे। अब ऐसे में अगर राज्य सरकार, हाईकोर्ट कि इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाती है तो कहीं ना कहीं हाई कोर्ट के 30 नवंबर तक चुनाव संपन्न कराने का फैसला भी आड़े आ सकता है।


पार्टियों ने समर्थित दावेदारों की लिस्ट कर ली है फाइनल....

शुक्रवार यानी 20 सितंबर से शुरू हो रही नामांकन प्रक्रिया को देखते हुए प्रदेश की मुख्य पार्टियां भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपने-अपने समर्थित दावेदारों की सूची लगभग फाइनल कर ली है। हालांकि भाजपा ने गुरुवार देर रात को जिला पंचायत के लिए समर्थित दावेदारों की सूची जारी कर दी है। तो वहीं कांग्रेस ने भी समर्थित प्रत्याशियों की लिस्ट लगभग फाइनल कर ली है। और किसी भी समय कांग्रेस अपने समर्थित उम्मीदवारो की लिस्ट जारी कर सकती है। ऐसे में अगर राज्य सरकार, सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाती है तो ऐसे में चुनाव में खड़े होने वाले इच्छुक उम्मीदवारों के बीच घमासान होना लाजमी है।




Conclusion:
Last Updated : Sep 20, 2019, 12:06 AM IST
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