देहरादून: केंद्र सरकार के हाल ही में शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) के योग्यता प्रमाणपत्र की वैधता को बढ़ाकर सात साल से आजीवन कर दिया था. वही अब केंद्र सरकार की तर्ज पर उत्तराखंड सरकार ने इसे लागू कर दिया है. मंगलवार को उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने इसका एलान किया है.
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि केंद्र सरकार को निर्देश है कि किसी भी स्कूल में चाहे वो सरकारी हो या फिर प्राइवेड कही पर भी अन्ट्रेड शिक्षक न रखे जाए. इसीलिए उत्तराखंड सरकार के केंद्र की घोषणा के अनुसार प्रदेश में शिक्षक पात्रता परीक्षा (teacher eligibility test) के योग्यता प्रमाणपत्र की अवधि आजीवन कर दी है. जिसका लाभ प्रदेश के टीईटी पास कर चुके 40,000 से ज्यादा युवाओं को मिलेगा.
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हर 7 साल में शिक्षक अर्हता परीक्षा (टीईटी) पास करने की जरूरत नहीं होगी
बता दें कि स्कूलों में शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिये किसी व्यक्ति की पात्रता के संबंध में शिक्षक पात्रता परीक्षा का योग्यता प्रमाणपत्र एक जरूरी पात्रता है. यह व्यवस्था पूरे देश भर में लागू होगी. इससे पहले, हालांकि टीईटी पास प्रमाण पत्र की वैधता 7 साल के लिए थी लेकिन उम्मीदवार द्वारा सर्टिफिकेट प्राप्त करने के अटेम्प्ट की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं था. अब एक बार टीईटी पास करने पर यह जीवन भर के लिए मान्य रहेगा. अब शिक्षक बनने के लिए युवाओं को हर सात साल में शिक्षक अर्हता परीक्षा (टीईटी) पास करने की जरूरत नहीं होगी.
क्यों जरूरी है टीईटी प्रमाण पत्र ?
शिक्षक बनने के इच्छुक किसी युवा को प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक बनना है तो इसके लिए संबंधित युवक को टीईटी (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) अनिवार्य रूप से पास करना ही होगा. टीईटी प्रमाण पत्र हासिल करने के बाद ही यह युवक किसी शिक्षक भर्ती प्रतियोगिता का हिस्सा बन सकता है.