ETV Bharat / state

उत्तराखंड के हर जिले में बनेंगे 'संस्कृत ग्राम', वेद-पुराण का भी मिलेगा ज्ञान - Education Minister Dr Dhan Singh Rawat

संस्कृत को लेकर उत्तराखंड सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार उत्तराखंड के हर जिले में 'संस्कृत ग्राम' बनाने जा रही है. संस्कृत ग्राम' में वेद-पुराणों का ज्ञान मिलेगा.

Sanskrit villages will be built in every district of Uttarakhand
उत्तराखंड के हर जिले में बनेंगे 'संस्कृत ग्राम'
author img

By

Published : Aug 5, 2022, 6:16 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य के 13 जिलों में से प्रत्येक में एक संस्कृत भाषी गांव विकसित करने का फैसला किया है. उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि इन गांवों के निवासियों को संस्कृत जैसी प्राचीन भारतीय भाषा को रोजमर्रा के बोलचाल में इस्तेमाल करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा.

बता दें संस्कृत उत्तराखंड की दूसरी आधिकारिक भाषा है. उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए इस पैमाने पर पहल की है. वहीं, दक्षित भारत में कर्नाटक में ही केवल एक संस्कृत भाषी गांव है. मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि स्थानीय लोगों को संस्कृत सिखाने के लिए चयनित गांवों में संस्कृत शिक्षकों को भेजा जाएगा.

पढ़ें-अंग्रेजों ने जिसे पहचाना, अपनों ने उसे नकारा, बांज का पेड़ कर सकता है मालामाल!

उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को संस्कृत में दक्षता हासिल करने के लिए वेद और पुराण भी सिखाए जाएंगे. 'संस्कृत ग्राम' कहे जाने के लिए इनमें से प्रत्येक गांव में प्राचीन भारतीय संस्कृति का केंद्र होगा. मंत्री रावत ने कहा कि युवा पीढ़ी को अपने पूर्वजों की भाषा बोलने में सक्षम होना चाहिए. यह पहल युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों के करीब ले जाएगी. साथ ही ये गांव देश और विदेश से आने वाले पर्यटकों को भारत की प्राचीन संस्कृति से रूबरू भी करवाएंगे.

पढ़ें- रानीखेत के पास सौनी में बना देश का पहला हिमालयन मसाला गार्डन, उगाए जा रहे 30 प्रजातियों के स्पाइस

गौरतलब है कि संस्कृत गांवों को विकसित करने का विचार पहली बार त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री काल के दौरान हुआ था, लेकिन यह योजना आगे नहीं बढ़ी. बागेश्वर और चमोली में कुछ पायलट परियोजनाओं तक ही यह प्रोजेक्ट सीमित रहा. हालांकि, धन सिंह रावत का कहना है कि इसे इस बार पूरी तरह से लागू किया जाएगा.

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य के 13 जिलों में से प्रत्येक में एक संस्कृत भाषी गांव विकसित करने का फैसला किया है. उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि इन गांवों के निवासियों को संस्कृत जैसी प्राचीन भारतीय भाषा को रोजमर्रा के बोलचाल में इस्तेमाल करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा.

बता दें संस्कृत उत्तराखंड की दूसरी आधिकारिक भाषा है. उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए इस पैमाने पर पहल की है. वहीं, दक्षित भारत में कर्नाटक में ही केवल एक संस्कृत भाषी गांव है. मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि स्थानीय लोगों को संस्कृत सिखाने के लिए चयनित गांवों में संस्कृत शिक्षकों को भेजा जाएगा.

पढ़ें-अंग्रेजों ने जिसे पहचाना, अपनों ने उसे नकारा, बांज का पेड़ कर सकता है मालामाल!

उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को संस्कृत में दक्षता हासिल करने के लिए वेद और पुराण भी सिखाए जाएंगे. 'संस्कृत ग्राम' कहे जाने के लिए इनमें से प्रत्येक गांव में प्राचीन भारतीय संस्कृति का केंद्र होगा. मंत्री रावत ने कहा कि युवा पीढ़ी को अपने पूर्वजों की भाषा बोलने में सक्षम होना चाहिए. यह पहल युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों के करीब ले जाएगी. साथ ही ये गांव देश और विदेश से आने वाले पर्यटकों को भारत की प्राचीन संस्कृति से रूबरू भी करवाएंगे.

पढ़ें- रानीखेत के पास सौनी में बना देश का पहला हिमालयन मसाला गार्डन, उगाए जा रहे 30 प्रजातियों के स्पाइस

गौरतलब है कि संस्कृत गांवों को विकसित करने का विचार पहली बार त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री काल के दौरान हुआ था, लेकिन यह योजना आगे नहीं बढ़ी. बागेश्वर और चमोली में कुछ पायलट परियोजनाओं तक ही यह प्रोजेक्ट सीमित रहा. हालांकि, धन सिंह रावत का कहना है कि इसे इस बार पूरी तरह से लागू किया जाएगा.

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.