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Sanskrit Shiksha की नियमावली जल्द होगी तैयार, खाली पदों पर प्रतिनियुक्ति से लाए जाएंगे कर्मी - उत्तराखंड लेटेस्ट न्यूज

संस्कृत शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने आज 11 मार्च को विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में संस्कृत शिक्षा की नियमावली को लेकर चर्चा की. वहीं विभाग में खाली पड़े पदों को भरने पर भी विचार किया गया.

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Published : Mar 11, 2023, 3:51 PM IST

देहरादून: प्रदेश में संस्कृत शिक्षा को प्रोत्साहित करने और संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं. इस कड़ी में संस्कृत शिक्षा विभाग की नियमावली को जल्द तैयार करने की कोशिशें की जा रही हैं. इसके अंतर्गत संस्कृत शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने अधिकारियों से बैठक के दौरान कई महत्वपूर्ण विषयों पर बातचीत की और कुछ महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश भी जारी किये.

राज्य में संस्कृत शिक्षा की अपनी नियमावली जल्द ही लागू कर दी जाएगी. वैसे तो शासन स्तर पर लंबे समय से नियमावली लंबित है, लेकिन अब संस्कृत शिक्षा मंत्री के दिशा निर्देश के बाद इसके जल्द ही जारी होने की उम्मीद की जा रही है. संस्कृत शिक्षा से जुड़े अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान इस पर चर्चा की गई. इस दौरान संस्कृत शिक्षा की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षाओं को पारदर्शी तरीके से करवाने के भी दिशा-निर्देश जारी किए गए.
पढ़ें- Road Safety Council Meeting में उठा जाम का मुद्दा, जोशीमठ से यात्रा रूट पर सरकार का फोकस

बता दें कि संस्कृत शिक्षा के अंतर्गत 8 अप्रैल से 21 अप्रैल तक बोर्ड की परीक्षाएं आहूत की जानी हैं. बैठक के दौरान फैसला लिया गया कि विभाग में खाली पदों को भरने के लिए फिलहाल स्थानांतरण और प्रतिनियुक्ति का सहारा लिया जाएगा और इसके माध्यम से खाली पदों को भरने का काम होगा. यही नहीं नए शैक्षिक सत्र के लिए संस्कृत विद्यालयों की मान्यता के लिए भी जल्द कार्यकारी आदेश जारी होगा. इसके अलावा संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए राज्य में हर जनपद में एक संस्कृत ग्राम की स्थापना किए जाने का भी फैसला लिया गया है, जिस पर जल्दी अमल करने के निर्देश जारी किए गए.
पढ़ें- Uttarakhand Board Exam: नकल विहीन परीक्षा कराना विभाग के लिए चुनौती, 25 मई से पहले घोषित होगा रिजल्ट

उधर संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड संस्कृत अकादमी द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं को बेहतर तरीके से संचालित किए जाने और इसके जरिए लोगों को संस्कृत को लेकर प्रोत्साहित करने की भी चर्चा की गई. इस दौरान फैसला लिया गया कि पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा, शास्त्री, आचार्य और हाई स्कूल इंटरमीडिएट कक्षाओं के साथ विश्वविद्यालय स्तर पर प्रथम तीन स्थान पाने वाले छात्रों को सम्मानित भी किया जाएगा. उधर शोध छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग में पंजीकृत 10 शोध छात्रों को 1 साल के लिए ₹30,000 की छात्रवृत्ति भी दी जाएगी. इसी तरह संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षण सहायता योजना के तहत 20 स्कूलों और महाविद्यालयों को भी वित्तीय अनुदान दिए जाने का फैसला लिया गया है.

अशासकीय संस्कृत विद्यालयों में कंप्यूटर और फर्नीचर जैसी चीजों को खरीदने के लिए ₹50,000 का अनुदान दिए जाने का निर्णय लिया गया है. उधर दूसरी तरफ संस्कृत शिक्षा के अंतर्गत अनुसंधान की संभावनाएं और अनुसंधान कौशल विषय पर 2 दिन का अखिल भारतीय संस्कृत सोच सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है. यह सम्मेलन 17 और 18 मार्च को हरिद्वार में आयोजित किया जाएगा, जिसमें तमाम संस्कृत के विद्वानों से लेकर छात्र भी हिस्सा ले सकेंगे.

देहरादून: प्रदेश में संस्कृत शिक्षा को प्रोत्साहित करने और संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं. इस कड़ी में संस्कृत शिक्षा विभाग की नियमावली को जल्द तैयार करने की कोशिशें की जा रही हैं. इसके अंतर्गत संस्कृत शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने अधिकारियों से बैठक के दौरान कई महत्वपूर्ण विषयों पर बातचीत की और कुछ महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश भी जारी किये.

राज्य में संस्कृत शिक्षा की अपनी नियमावली जल्द ही लागू कर दी जाएगी. वैसे तो शासन स्तर पर लंबे समय से नियमावली लंबित है, लेकिन अब संस्कृत शिक्षा मंत्री के दिशा निर्देश के बाद इसके जल्द ही जारी होने की उम्मीद की जा रही है. संस्कृत शिक्षा से जुड़े अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान इस पर चर्चा की गई. इस दौरान संस्कृत शिक्षा की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षाओं को पारदर्शी तरीके से करवाने के भी दिशा-निर्देश जारी किए गए.
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बता दें कि संस्कृत शिक्षा के अंतर्गत 8 अप्रैल से 21 अप्रैल तक बोर्ड की परीक्षाएं आहूत की जानी हैं. बैठक के दौरान फैसला लिया गया कि विभाग में खाली पदों को भरने के लिए फिलहाल स्थानांतरण और प्रतिनियुक्ति का सहारा लिया जाएगा और इसके माध्यम से खाली पदों को भरने का काम होगा. यही नहीं नए शैक्षिक सत्र के लिए संस्कृत विद्यालयों की मान्यता के लिए भी जल्द कार्यकारी आदेश जारी होगा. इसके अलावा संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए राज्य में हर जनपद में एक संस्कृत ग्राम की स्थापना किए जाने का भी फैसला लिया गया है, जिस पर जल्दी अमल करने के निर्देश जारी किए गए.
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उधर संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड संस्कृत अकादमी द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं को बेहतर तरीके से संचालित किए जाने और इसके जरिए लोगों को संस्कृत को लेकर प्रोत्साहित करने की भी चर्चा की गई. इस दौरान फैसला लिया गया कि पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा, शास्त्री, आचार्य और हाई स्कूल इंटरमीडिएट कक्षाओं के साथ विश्वविद्यालय स्तर पर प्रथम तीन स्थान पाने वाले छात्रों को सम्मानित भी किया जाएगा. उधर शोध छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग में पंजीकृत 10 शोध छात्रों को 1 साल के लिए ₹30,000 की छात्रवृत्ति भी दी जाएगी. इसी तरह संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षण सहायता योजना के तहत 20 स्कूलों और महाविद्यालयों को भी वित्तीय अनुदान दिए जाने का फैसला लिया गया है.

अशासकीय संस्कृत विद्यालयों में कंप्यूटर और फर्नीचर जैसी चीजों को खरीदने के लिए ₹50,000 का अनुदान दिए जाने का निर्णय लिया गया है. उधर दूसरी तरफ संस्कृत शिक्षा के अंतर्गत अनुसंधान की संभावनाएं और अनुसंधान कौशल विषय पर 2 दिन का अखिल भारतीय संस्कृत सोच सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है. यह सम्मेलन 17 और 18 मार्च को हरिद्वार में आयोजित किया जाएगा, जिसमें तमाम संस्कृत के विद्वानों से लेकर छात्र भी हिस्सा ले सकेंगे.

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