मसूरी/देहरादून: मसूरी से देहरादून जा रही उत्तराखंड रोडवेज की एक बस बीते रोज (रविवार, 2 अप्रैल) दुर्घटनाग्रस्त होकर खाई में गिर गई थी. हादसे में एक मां और बेटी की मौत हो गई तो वहीं 38 लोग घायल हैं. अब इस सड़क हादसे की असल वजह सामने आ रही हैं. प्रथम दृष्टया जो ड्राइवर की लापरवाही को हादसे की सबसे बड़ी वजह बताया जा रहा है. यात्रियों ने डिस्चार्ज होने के बाद जो हकीकत बताई है उसके बाद यह बात साफ हुई है कि ड्राइवर कभी पीछे देखने तो कभी गुटखा खाने के चक्कर में लापरवाही कर रहा था. इतना ही नहीं, ढलान पर भी ड्राइवर गाड़ी की गति को काफी तेज किए हुए था.
2 रूपये के गुटका खाने के चक्कर में खाई में गिरा बैठा बस: स्कूलों की छुट्टियां पड़ने के बाद लगातार सैलानी मसूरी में घूमने आ रहे हैं. यही कारण है कि आए दिन मसूरी में आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. लेकिन पर्यटकों से पैसा कमाने के चक्कर में कई प्राइवेट वाहन और खुद रोडवेज बसें भी लापरवाही कर रहे हैं. इसका जीता जागता उदाहरण ये हादसा भी है.
बताया जा रहा है कि 35 सीटर बस में कंडक्टर ने 40 सवारियों को बिठाया हुआ था. इतना ही नहीं, जो लोग बस में सवार थे उनका कहना है कि बार-बार मना करने के बावजूद भी ड्राइवर तेज गति में न केवल गाड़ी चला रहा था बल्कि उतनी ही तेज आवाज में गाड़ी में बैठकर गाने भी सुन रहा था. गाड़ी में सवार कई महिलाएं और कई पुरुष बार-बार उससे ही आग्रह कर रहे थे कि गाने के आवाज धीमी कर ले ताकि आसपास से गुजरने वाले वाहनों के हॉर्न की आवाज भी उसको सुनाई दे.
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इतना ही नहीं, ड्राइवर बार-बार गुटखा निकालकर खा रहा है. ढलान आने पर ही वो चलती हुई गाड़ी में गुटका खाने की कोशिश कर रहा था. इस वजह से उसे बार-बार अपनी गर्दन को ऊपर करना पड़ रहा था. मसूरी से जब यह बस निकली उस वक्त लगभग दिन के 12 बज रहे थे. बस 5 किलोमीटर ही नीचे उतरी थी कि तभी शेरगढ़ के समीप दुर्घटनाग्रस्त हो गई. हैरानी की बात ये रही कि जैसे ही ड्राइवर ने बस से नियंत्रण खोया वैसे ही अपनी जान बचाने के लिए वो खिड़की से कूद गया.
कुछ देर पहले पत्थर पर चढ़ा दी थी बस: लापरवाही का आलम इतना ही नहीं था, बल्कि हादसे से कुछ देर पहले भी चालक ने बस का एक पहिया बड़े पत्थर के ऊपर चढ़ा दिया था, जिसके बाद काफी यात्री घबरा गए थे और ड्राइवर से धीरे गति से गाड़ी चलाने का आग्रह कर रहे थे. उसके बावजूद भी ड्राइवर ने किसी की नहीं सुनी. प्रथम दृष्टया ये जानकारी निकलकर सामने आई है कि अनुबंधित बस चालक रोबिन सिंह छुटमलपुर सहारनपुर (यूपी) का रहने वाला है. उसके पास पहाड़ पर गाड़ी चलाने का अनुभव नहीं है. बावजूद इसके उसे परिवहन निगम ने पहाड़ पर बस लेकर भेज दिया.
यात्रियों की आपबीती: इस हादसे के दौरान कई ऐसे लोग भी बस में सवार थे जो अपने छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल की छुट्टियों के बाद घुमाने के लिए मसूरी लेकर आए थे. कई ऐसे लोग भी थे जो शादी के बाद हनीमून मनाने के लिए आए थे. मुरादाबाद यूपी के रहने वाले मंगू की 24 मार्च को ही शादी हुई थी और इसपर उनकी नवविवाहित पत्नी शिवानी की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है. मंगू और शिवानी मसूरी घूमने के बाद देहरादून वापसी कर रहे थे. फिलहाल मंगू का पूरा परिवार शिवानी के स्वस्थ होने की कामना कर रहा है.
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प्रतिबंधित है म्यूजिक सिस्टम: इस पूरे मामले में जिलाधिकारी देहरादून सोनिका सिंह ने जांच के आदेश दे दिए हैं. जिलाधिकारी ने कहा है कि फिलहाल इस पूरी घटना की मजिस्ट्रेट जांच की जा रही है. इतना ही नहीं, परिवहन निगम ने भी इस मामले की जांच बैठा दी है. निगम के महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया है कि बस बिल्कुल नई और फिट थी और 2019 मॉडल की थी. सभी कागजात भी पूरे थे, बावजूद इसके यह दुर्घटना कैसे हुई फिलहाल जांच की जा रही है. लेकिन प्रथम दृश्य जो बात सामने आ रही है वो यही है कि चालक की गलती से इतना बड़ा सड़क हादसा हुआ है.
परिवहन निगम के महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि ये बात भी सामने आई है कि ड्राइवर रोबिन सिंह बस में तेज वॉल्यूम में गाने बजा रहा था जबकि रोडवेज की बसों में म्यूजिक सिस्टम लगाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है, खासकर पहाड़ों पर चलने वाली बसों में किसी भी तरह का म्यूजिक सिस्टम नहीं लगाया जा सकता. इस बात की भी जांच की जा रही है कि ऐसी कितनी बसे हैं जो इस तरह की लापरवाही कर रही हैं.
सुधाकर को छोड़ गई मां-बेटी: हादसे में पत्नी सुधा (40) और बेटी महक (15) को खोने वाले सुधाकर लखेड़ा कहते हैं कि पता नहीं था कि यहां पर ही उनका अंतिम संस्कार होगा और यह उनकी जिंदगी का आखिरी सफर होगा. सुधाकर कहते हैं कि उनकी पत्नी बेटी के साथ अपने मायके जा रही थी. एक घंटे बाद उन्हें सूचना मिली कि जिस बस में बेटी और पत्नी सवार थीं वो दुर्घटनाग्रस्त हो गई है. वो तुरंत देहरादून अस्पताल पहुंचे लेकिन वहां उन्हें उनके जीवन की सबसे मनहूस खबर सुनने को मिली.
आंखों में आंसू लिए बराकैंची मसूरी निवासी सुधाकर लखेड़ा कहते हैं कि, उनसे बड़ा अभागा कौन होगा कि एक हादसे में उनकी बेटी और पत्नी उनको छोड़कर चली गईं. बेटी ने अभी हाई स्कूल की परीक्षाएं दी थीं. अब सुधाकर के जीने का सहारा उनकी 8 साल की दूसरी बेटी है. सुधाकर एक होटल में नौकरी करते हैं.
8 महीने में तीन हादसे: उधर, राज्य सरकार ने मृतकों को ₹4-4 लाख का मुआवजा देने का ऐलान किया है. बता दें कि मसूरी में 8 महीने में यह तीसरा बस हादसा है. साल 2022 में आइटीबीपी एकेडमी के पास एक बस के ब्रेक फेल होने की वजह से बस खाई में जा गिरी थी, जिसमें 31 लोगों को चोटें आई थीं. वहीं, 16 मार्च 2023 को भी रोडवेज की बस दुर्घटना हुई थी. अब सवाल खड़ा होता है कि रोडवेज के ड्राइवर इस तरह की लापरवाही करते हैं या फिर यह बस यही खटारा हो चुकी हैं, जो पहाड़ों पर दौड़ाई जा रही हैं.