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डेंगू जैसे लक्षण लेकिन रिपोर्ट नेगेटिव, डरने का नहीं, लड़ने का...

देहरादून से डॉक्टरों के सामने डेंगू के मरीजों को लेकर बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. अमूमन 100 में से 70 मरीजों में डेंगू के लक्षण तो हैं लेकिन उनकी डेंगू जांच नेगेटिव आ रही है. फिजीशियन डॉ एनएस बिष्ट कहते है कि ऐसे मरीजों को डॉक्टर डेंगू का ही ट्रीटमेंट दे रहे हैं. उनका कहना है ये कोविड के साइड इफेक्ट हैं.

Dehradun
डेंगू
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Published : Sep 19, 2022, 8:19 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी डाक्टरों के आगे एक बड़ी समस्या आ गयी है. ये समस्या कोविड 19 के इफेक्ट की तरह देखी जा रही है. दरअसल देहरादून सहित अन्य अस्पतालों में आ रहे मरीजों में सभी लक्षण तो डेंगू के हैं. लेकिन उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ रही है, ऐसे में डॉक्टर परेशान भी हैं कि वो इलाज करें तो कैसे करें.

बता दें, प्रदेश में बीते कुछ दिनों से लगातार डेंगू के मरीजों का आंकड़ा बढ़ रहा है. राजधानी देहरादून सहित आसपास के इलाकों में लगातार डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ने से देहरादून सहित आसपास के सभी सरकारी अस्पताल मरीजों से पैक हैं. अमूमन 100 में से 70 मरीजों में डेंगू के लक्षण हैं, लेकिन उनकी डेंगू रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है. दून अस्पताल के सीनियर फिजिशियन डॉ एनएस बिष्ट कहते हैं कि अस्पताल आने वाला हर दूसरा व्यक्ति बुखार से पीड़ित है. 10 में से 9 मरीज डेंगू के लक्षणों वाले बुखार से पीड़ित हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि रिपोर्ट पॉजिटिव की जगह नेगेटिव आ रही है.

जानकारी देते फिजशियन डॉ एनएस बिष्ट.

फिजशियन डॉ एनएस बिष्ट (Physician Dr NS Bisht) का की मानें तो ये सब कोविड-19 की वजह से हो रहा है. जैसे-जैसे कोविड खत्म हो रहा है. उनके मुताबिक अन्य सभी वायरल के बुखार ज्यादा गंभीर नहीं होते, लेकिन रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद बुखार के गंभीर रोगियों को डेंगू की तरह ही ट्रीटमेंट दिया जा रहा है. साथ ही सभी अस्पतालों में भी कहा गया है कि आप किसी मरीज के इलाज में लापरवाही ना बरतें. अगर डेंगू के लक्षण हैं तो आप डेंगू का ही इलाज करें.

बढ़ सकती है डेंगू मरीजों की संख्या: डॉ बिष्ट के मुताबिक डेंगू की जांच सही न आ पाने का कारण डेंगू से दोबारा संक्रमण या फिर टाइप 2 और 4 से संक्रमण हो सकता है. ये बात सभी जानतें है कि साल 2019 में डेंगू का संक्रमण दुनिया में सबसे ज्यादा मामले लेकर आया अब तीन साल बाद यह दोबारा संक्रमण वाले मामलों की संख्या ज्यादा हो सकती है.

ऐसे में सभी डॉक्टर मरीजों को सलाह दे रहे हैं कि डेंगू दूसरी या तीसरी रिपोर्ट के बाद हो सकता है की रिपोर्ट पॉसिटिव आए. जैसे एस-1 टेस्ट शुरूआत में नहीं कराने या फिर बुखार छूटने के बाद दोबारा बुखार आने पर कराने से नेगेटिव ही आएगा. क्योंकि एंटीजन टेस्ट 7 दिन के बाद नेगेटिव हो जाता है. एंटीबॉडी टेस्ट 7 दिन से पहले नेगेटिव ही रहता है. बुखार की मियाद का सही से पता न चल पाना इसका एक कारण है.
पढ़ें- देहरादून में बढ़ रही डेंगू मरीजों की संख्या, मुख्य विकास अधिकारी ने किया कोरोनेशन अस्पताल का निरीक्षण

डेंगू के लक्षण: शरीर की मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, बेचौनी, निम्न रक्तचाप, उल्टी, मचली आना, शरीर निढाल हो जाना, त्वचा में हल्की लालिमा (रैशेज) और फीवर आउटब्रेक के मुख्य लक्षण हैं.

डेंगू फैलने से ऐसे रोकेंः बरसात के दौरान घरों में पानी जमा न होने दें. कूलर से समय-समय पर पानी निकालते रहें. गमलों में पानी इकट्ठा न होने दें. टायर में पानी जमा न होने दें. साफ-सफाई का विशेष ध्यान दें. पूरे बाजू वाले कपड़े पहनें. सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें.

देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी डाक्टरों के आगे एक बड़ी समस्या आ गयी है. ये समस्या कोविड 19 के इफेक्ट की तरह देखी जा रही है. दरअसल देहरादून सहित अन्य अस्पतालों में आ रहे मरीजों में सभी लक्षण तो डेंगू के हैं. लेकिन उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ रही है, ऐसे में डॉक्टर परेशान भी हैं कि वो इलाज करें तो कैसे करें.

बता दें, प्रदेश में बीते कुछ दिनों से लगातार डेंगू के मरीजों का आंकड़ा बढ़ रहा है. राजधानी देहरादून सहित आसपास के इलाकों में लगातार डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ने से देहरादून सहित आसपास के सभी सरकारी अस्पताल मरीजों से पैक हैं. अमूमन 100 में से 70 मरीजों में डेंगू के लक्षण हैं, लेकिन उनकी डेंगू रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है. दून अस्पताल के सीनियर फिजिशियन डॉ एनएस बिष्ट कहते हैं कि अस्पताल आने वाला हर दूसरा व्यक्ति बुखार से पीड़ित है. 10 में से 9 मरीज डेंगू के लक्षणों वाले बुखार से पीड़ित हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि रिपोर्ट पॉजिटिव की जगह नेगेटिव आ रही है.

जानकारी देते फिजशियन डॉ एनएस बिष्ट.

फिजशियन डॉ एनएस बिष्ट (Physician Dr NS Bisht) का की मानें तो ये सब कोविड-19 की वजह से हो रहा है. जैसे-जैसे कोविड खत्म हो रहा है. उनके मुताबिक अन्य सभी वायरल के बुखार ज्यादा गंभीर नहीं होते, लेकिन रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद बुखार के गंभीर रोगियों को डेंगू की तरह ही ट्रीटमेंट दिया जा रहा है. साथ ही सभी अस्पतालों में भी कहा गया है कि आप किसी मरीज के इलाज में लापरवाही ना बरतें. अगर डेंगू के लक्षण हैं तो आप डेंगू का ही इलाज करें.

बढ़ सकती है डेंगू मरीजों की संख्या: डॉ बिष्ट के मुताबिक डेंगू की जांच सही न आ पाने का कारण डेंगू से दोबारा संक्रमण या फिर टाइप 2 और 4 से संक्रमण हो सकता है. ये बात सभी जानतें है कि साल 2019 में डेंगू का संक्रमण दुनिया में सबसे ज्यादा मामले लेकर आया अब तीन साल बाद यह दोबारा संक्रमण वाले मामलों की संख्या ज्यादा हो सकती है.

ऐसे में सभी डॉक्टर मरीजों को सलाह दे रहे हैं कि डेंगू दूसरी या तीसरी रिपोर्ट के बाद हो सकता है की रिपोर्ट पॉसिटिव आए. जैसे एस-1 टेस्ट शुरूआत में नहीं कराने या फिर बुखार छूटने के बाद दोबारा बुखार आने पर कराने से नेगेटिव ही आएगा. क्योंकि एंटीजन टेस्ट 7 दिन के बाद नेगेटिव हो जाता है. एंटीबॉडी टेस्ट 7 दिन से पहले नेगेटिव ही रहता है. बुखार की मियाद का सही से पता न चल पाना इसका एक कारण है.
पढ़ें- देहरादून में बढ़ रही डेंगू मरीजों की संख्या, मुख्य विकास अधिकारी ने किया कोरोनेशन अस्पताल का निरीक्षण

डेंगू के लक्षण: शरीर की मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, बेचौनी, निम्न रक्तचाप, उल्टी, मचली आना, शरीर निढाल हो जाना, त्वचा में हल्की लालिमा (रैशेज) और फीवर आउटब्रेक के मुख्य लक्षण हैं.

डेंगू फैलने से ऐसे रोकेंः बरसात के दौरान घरों में पानी जमा न होने दें. कूलर से समय-समय पर पानी निकालते रहें. गमलों में पानी इकट्ठा न होने दें. टायर में पानी जमा न होने दें. साफ-सफाई का विशेष ध्यान दें. पूरे बाजू वाले कपड़े पहनें. सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें.

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