देहरादून: कोविड महामारी के दौरान जरूरी कामों के लिये भी मुसाफिरों को एक जगह से दूसरी जगह जाना काफी मुश्किल भरा साबित हो रहा है. देहरादून की सीमा से सटे डाट काली मंदिर के समीप उत्तर प्रदेश बॉर्डर क्षेत्र में पब्लिक ट्रांसपोर्ट न होने के चलते यात्रियों को 10 किलोमीटर पैदल चलकर देहरादून आईएसबीटी पहुंचना पड़ रहा है. दरअसल, उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसें मुसाफिरों को डाटकाली मंदिर बॉर्डर क्षेत्र तक ही छोड़ रही हैं. वहां से किसी प्रकार का कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट न होने के कारण मजबूरन लोग पैदल ही सिर पर सामान उठाकर चल रहे हैं.
उत्तर प्रदेश बॉर्डर के समीप डाट काली मंदिर में अनलॉक के तीसरे चरण में भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट न होने के चलते यात्रियों को 8 से 10 किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय करना पड़ रहा है. इस दौरान यात्री अपनी जान जोखिम में डालकर पैदल जंगल क्षेत्र को पार कर देहरादून आईएसबीटी पहुंच रहे हैं. यात्रियों का कहना है कि कोरोना काल में सरकार द्वारा राहत देने के चलते भले ही अनलॉक-3 में आवाजाही की छूट मिल गई हो, लेकिन उत्तराखंड देहरादून आशारोड़ी क्षेत्र से प्रतिदिन भारी संख्या में लोग पैदल पहुंच रहे हैं.
वहीं, उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारियों का कहना है कि आशा रोड़ी डाट काली मंदिर बॉर्डर से उत्तराखंड जाने के लिए उन्हें इजाजत नहीं दी जा रही है. ऐसे में यात्री चोरी-छिपे टेंपो, टैक्सी वाले यात्रियों से चार गुना किराया वसूली कर देहरादून जा रहे हैं. डाट काली मंदिर से देहरादून का किराया मात्र ₹60 है लेकिन, डग्गामार वाहन 300 से 400 रुपये प्रति सवारी वसूल रहे हैं.
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उधर, इस मामले में उत्तर प्रदेश रोडवेज परिवहन कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने उत्तराखंड शासन-प्रशासन को लगातार यात्रियों की इस मामले में भारी परेशानियों को लेकर अवगत कराया, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई. दूसरे जिलों और राज्यों से यात्री, बीमार और बुजुर्ग डाट काली मंदिर बॉर्डर क्षेत्र में प्रतिदिन भारी संख्या में लोग आते हैं लेकिन उनकी समस्या का निदान नहीं किया जा रहा है.