देहरादून: उत्तराखंड में आचार संहिता लगने के बाद भी यहां अवैध खनन का खेल जारी है. हिमाचल से आने वाली खनन सामाग्री की बात करें तो खनन वाहनों द्वारा ओवरलोडिंग का खेल धड़ल्ले से चल रहा है. जिसकी पड़ताल में हमने पाया कि हिमाचल के पांवटा साहिब से आने वाले वाहन उत्तराखंड की सीमा कुलहान चौकी से लेकर देहरादून तक जो खनन सामाग्री लेकर आते हैं, उनमें ज्यादातर वाहन ओवरलोड होते हैं. जो सीधे तौर से प्रदेश के राजस्व को नुकसान है.
वहीं, अवैध खनन और ओवरलोडिंग को लेकर न तो खनन विभाग की नजर इस पर है, नहीं प्रशासन और पुलिस और वन विभाग की. क्योंकि हिमाचल बॉडर से देहरादून पहुंचने तक उत्तराखंड पुलिस की 5 चौकी और 2 थाने पड़ते हैं. साथ ही वन विभाग का भी चेक पोस्ट पड़ता है, जहां पर न तो चेकिंग होती है और नहीं ओवरलोडिंग वाहनों की जांच होती है.
ऐसे में यह सवाल है कि आखिर ओवरलोड वाहन सड़क पर कैसे दौड़ रहे हैं? ओवरलोड वाहन के चलने से सड़क को भी काफी नुकसान होता है. जिससे आम जनता को गड्ढों से भरी सड़कों पर चलने को मजबूर होना पड़ रहा है. सड़क के नुकसान के साथ क्या कुछ नुकसान ओवर लोडिंग से हो रहा है वह भी समझिए.
- उत्तराखंड के राजस्व को ओवरलोडिंग से सीधा नुकसान हो रहा है. क्योंकि जो वाहन 28 या 30 टन तक के लिए पास है. वह 50 टन के करीब खनन सामग्री लेकर आ रहा है. जबकि उत्तराखंड को मिलने वाले राजस्व को 28 पर ही वसूला जाता है. जबकि जो ओवरलोड सामाग्री आ रही है, उसका न तो जीएटी के रूप में उत्तराखंड को फायदा हो रहा है और न ही राजस्व के रूप में.
- ओवर लोड वाहनों से सड़कों की स्थिति खराब हो रही है, जिससे सड़कों पर गड्डे साफ देखे जा सकते हैं.
- जितने वाहन पांवटा साहिब से होते हुए खनन सामाग्री लेकर देहरादून पहुंच रहे हैं, उनमें अधिकतर वाहन ओवर हाईट बाॅडी के बने हुए हैं, जो परिहवन विभाग के नियमों की अनदेखी है, लेकिन परिवहन विभाग खामोशी बरते हुए है.
- ओवर हाईट बाॅडी का इस्तेमाल इसलिए होता है, ताकि मनमाफिक ओवरलोड सामाग्री से अवैध खनन के खेल को अंजाम दिया जाएं.
ओवरलोडिंग खेल पर देहरादून जिला अधिकारी आर राजेश कुमार का कहना है कि अवैध खनन पर प्रशासन सख्त है. हिमाचल से देहरादून रूट पर आने वाले कई वाहनों को चेकिंग में सीज भी किए जा रहे हैं. जहां तक कोई शिकायत इस तरह की मिलती है तो उस पर फिर से कार्रवाई की जाएगी. जल्द ही चेकिंग अभियान इसको लेकर चलाया जाएगा.वहीं देहरादून एसएसपी जमेन्जय खंडूड़ी ने कहा खनन विभाग के साथ रेवेन्यू विभाग साथ मिलकर समय-समय पर अवैध खनन से भरे वाहनों पर कार्रवाई करता है. अगर कोई शिकायत मिलती है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी.
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देहरादून डीएम और एसएसपी का बयान आपने सुन लिया, लेकिन अब जानिए मामले क्या और कैसे कार्रवाई होती है ? एक शिकायत की काफी आप नीचे पढ़ सकते हैं, जिसमें शिकायतकर्ता ने एसएसपी कार्यालय और जिलाधिकारी कार्यालय में इसकी शिकायत की. जिसका न तो कोई जवाब शिकायतकर्ता को प्राप्त हुआ और नहीं कार्रवाई की जानकारी उसे दी गई. जिससे सवाल उठाता है कि आखिर अवैध खनन को लेकर कार्रवाई हो कहां और क्या हो रही है.
देहरादून जिला खनन अधिकारी से भी जब हमने इस संबंध में बात की तो, उन्होंने भी कार्रवाई किए जाने की बात कही और कहा जल्द ही फिर से अवैध खनन सामाग्री में लिप्त वाहनों पर कार्रवाई की जाएगी.
वहीं, उत्तराखंड में सरकार किसी की भी रही हो, कम ही सरकारें ऐसी थी जिन पर अवैध खनन के आरोप न लगे हो. यहां तक हरीश रावत सरकार हो या फिर वर्तमान की धामी सरकार खनन पर रोक नहीं लगा पाई है. हरीश रावत ने धामी सरकार पर खनन प्रेमी सरकार होने का आरोप लगाया है. वहीं, हरीश रावत सरकार में अवैध खनन को लेकर मुख्यमंत्री धामी ने भी आरोप लगाते हुए कहा ये सबको पता है कि डीएफओ पर किस की सरकार में डंपर चढ़ाने की कोशिश की गई थी.
कुल मिलाकर सरकार किसी की भी रही हो, अवैध खनन में सरकार का सीधा हस्तक्षेप रहा है. ये तमाम जवाब आपने पढ़ लिए होंगे, लेकिन असल सवाल अभी भी खड़ा होता है कि अवैध खनन का जो खेल ओवरलोडिंग वाहनों से खेला जा रहा है. वहीं किसके इशारे पर किया जा रहा है? आखिर सरकार को जो राजस्व का नुकसान हो रहा है, उसके पीछे की वजह क्या है?