देहरादूनः राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल से निकाले गए आउटसोर्स कर्मचारी आंदोलन की राह पर है. अस्पताल प्रबंधन ने कोरोना काल में तैनात किए गए इन कर्मचारियों की सेवाएं 31 मार्च को समाप्त कर दी है. जिसके बाद से आउटसोर्सिंग कर्मचारी पुनः बहाली की मांग को लेकर अड़े हैं. इसी कड़ी में सैकड़ों कर्मचारी दून अस्पताल की न्यू ओपीडी भवन परिसर के निकट एकत्रित हुए और सेवा विस्तार की मांग को लेकर कैंडल मार्च निकाला.
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार ने कोरोनाकाल में उनसे सेवाएं लेने के बाद घर का रास्ता दिखा दिया है. कैंडल मार्च में शामिल स्टाफ नर्स पूनम चौहान का कहना है कि यह लड़ाई सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि अपने हक की लड़ाई है. उन्होंने कहा कि उन्हें कोरोना काल में दून अस्पताल में तैनात किया गया था. जहां उन्होंने पूर्ण समर्पण भाव के साथ कोविड लहर में भी मरीजों को अपनी सेवाएं दी. जिसमें नर्सिंग स्टाफ, वार्ड ब्वॉय, वार्ड आया, लैब टेक्नीशियन, डाटा कंप्यूटर ऑपरेटर, वाहन चालक, सफाई कर्मचारी शामिल थे.
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उन्होंने कहा कि उस समय सरकार ने उन्हें कोरोना वॉरियर्स का दर्जा देते हुए उनके कार्य को सराहा और सम्मानित भी किया, लेकिन जब काम निकल गया, तब सरकार ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है. वहीं, पूनम चौहान का कहना है कि जब सरकार ने हमको धक्के मार कर निकालना ही था तो फिर हमसे काम क्यों लिया गया?
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बता दें कि दून अस्पताल में उपनल और पीआरडी के माध्यम से कोरोनाकाल में लगाए गए करीब 610 कर्मचारियों की 31 मार्च को सेवा समाप्त कर दी गई. अब कर्मचारी सरकार से सेवा विस्तार की मांग कर रहे हैं. आंदोलनरत कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उन्हें अस्पताल में दोबारा तैनात नहीं किया जाता है, तब तक उनका ही आंदोलन जारी रहेगा.