देहरादूनः मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) का 36वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान प्राधिकरण के अधिकारियों ने एमडीडीए के कामों और उपलब्धियों को गिनाया. जबकि, धरातल पर हालत एकदम जुदा हैं. प्राधिकरण को शहर के नियोजित विकास की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन प्राधिकरण अपने काम में पूरी तरह से फिसड्डी साबित हुआ है. आलम ये है कि अधिकारियों के लापरवाह रवैये के चलते अनियोजित विकास को खूब बल मिला है.
देहरादून में मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण को यूं तो कई जिम्मेदारियों से नवाजा गया है. प्राधिकरण की मुख्य जिम्मेदारी शहर के नियोजित विकास की है, लेकिन प्राधिकरण अपने काम में पूरी तरह से फेल नजर आ रहा है.
इतना ही नहीं दून में कई बड़े प्रोजेक्ट बिना मानकों के पूरे कर लिए गए हैं. साथ ही शहर में अनाधिकृत कंक्रीट के जंगल उग आए हैं, लेकिन एमडीडीए न तो शहर के इन हालातों पर नजर रख पाया और न ही राजधानी में किसी बड़े प्रोजेक्ट को समय से पूरा कर सका है.
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बावजूद इसके अपने 36वें स्थापना दिवस पर एमडीडीए ने प्राधिकरण के कागजी कामों को लेकर खूब पीठ थपथपाने का काम किया. इस दौरान सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. कार्यक्रम में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक समेत कई अधिकारी मौजूद रहे.
वहीं, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि आम से लेकर खास तक के लिए आवास नीति में बदलाव किया गया है. इसके लिए एफडी अभी लगातार प्रयास कर रहा है.