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महेश वर्मा जिसने ऋषिकेश को बनाया था योगनगरी, ब्रिटेन के रॉक बैंड बीटल्स के सदस्य भी थे अनुयायी

ऋषिकेश में महर्षि महेश योगी की बसाई चौरासी कुटी वो जगह है, जिसने ऋषिकेश को मेडिटेशन और योग सेंटर के रूप में दुनियाभर में पहचान दिलाई. हालांकि आज यह आश्रम भुतहा निशानी भर रह गया है. यह आश्रम राजाजी नेशनल पार्क में स्थित है, जहां अब जंगली जानवर रहते हैं.

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Published : Jun 20, 2019, 6:16 PM IST

Updated : Jun 20, 2019, 7:05 PM IST

maharishi mahesh yogi

ऋषिकेश: 21 जून की पूरी दुनिया 5वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने जा रही है. योग की राजधानी के नाम से प्रसिद्ध ऋषिकेश में भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. लेकिन आज हम आपको उस संत के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने ऋषिकेश को योग की राजधानी के रूप में एक नई पहचान दिलाई थी.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: बाबा रामदेव बता रहे हैं कठिन आसनों के सरल तरीके

हम बात कर रहे हैं महर्षि महेश योगी की. वो महर्षि महेश योगी ही थे जिन्हें योग और ध्यान को दुनिया के कई देशों में पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है. पश्चिम में जब हिप्पी संस्कृति का बोलबाला था तो दुनिया भर में लाखों लोग महर्षि महेश योगी के दीवाने थे.

कौन है महर्षि महेश योगी?

महर्षि महेश योगी का असली नाम था महेश प्रसाद वर्मा. महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गांव में हुआ था. उन्होंने इलाहाबाद से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली थी. 40 और 50 के दशक में वे हिमालय में अपने गुरू से ध्यान और योग की शिक्षा लेते रहे. महर्षि महेश योगी ने ध्यान और योग से बेहतर स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ज्ञान का वादा किया और दुनिया के कई मशहूर लोग उनसे जुड़ गए. ब्रिटेन के रॉक बैंड बीटल्स के सदस्य उत्तरी वेल्स में उनके साथ सप्ताहांत बिताया करते थे.

महेश वर्मा जिसने ऋषिकेश को बनाया था योगनगरी

ऋषिकेश की चौरासी कुटिया
ऋषिकेश में महर्षि महेश योगी की बसाई चौरासी कुटी वो जगह है, जिसने ऋषिकेश को मेडिटेशन और योग सेंटर के रूप में दुनियाभर में पहचान दिलाई. हालांकि आज यह आश्रम भुतहा निशानी भर रह गया है. यह आश्रम राजाजी नेशनल पार्क में स्थित है, जहां अब जंगली जानवर रहते हैं.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: योग से मिलती है आत्मिक और मानसिक शांति

इस 84 कुटी में ब्रिटेन का मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के सदस्य भी योग सिखने आए थे, जो करीब तीन महीने तक यहीं रुके थे. अब हर साल बड़ी तादाद में विदेशी टूरिस्ट इसे देखने आते हैं. यहां आने वाले विदेशी पर्यटक इस आश्रम को बीटल्स आश्रम के नाम से भी जानते हैं.

क्यों कहा जाता है बीटल्स आश्रम
महर्षि महेश योगी बीटल्स आश्रम (84 कुटिया) आज भले ही खंडहर में तब्दील हो चुका हो, लेकिन आज भी ये खंडहर और वीरान जगह हजारों विदेशियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. इस जगह को बीटल्स आश्रम क्यों कहा जाता है, इसके पीछे की एक वजह है.

महर्षि महेश योगी ने 1962 में 84 कुटिया, एक भव्य आश्रम और एक ध्यान करने के लिए मेडिटेशन हॉल बनवाया था. ये जमीन उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें 20 साल के लिए लीज पर दी थी. महर्षि से ध्यान सीखने बीटल्स बंधु भी आए थे.

maharishi mahesh yogi
चौरासी कुटी

पढ़ें- त्रिवेंद्र सरकार पर हरदा का कटाक्ष, कहा- औली को स्कीइंग डेस्टिनेशन ही रहने दो

1968 में किया था अंतरराष्ट्रीय ध्यान शिक्षण शिविर का आयोजन
गंगा किनारे स्थित चौरासी कुटी और आश्रम के बारे में कहा जाता है कि महर्षि ने यहां 1968 में एक अंतरराष्ट्रीय ध्यान शिक्षण शिविर आयोजित कराया था. जिसमें दुनिया भर के तत्कालीन 60 मेडिटेशन एक्सपर्ट्स ने हिस्सा लिया था. इसके बाद ही विदेशी पर्यटकों के कदम ऋषिकेश की ओर बढ़े थे और पर्यटन को एक नई दिशा मिली.

कभी हुआ करती थी यहां चहल-पहल
84 कुटिया में कभी काफी चहल-पहल हुआ करती थी. यहां कभी पूरा एक नगर बसा था. महर्षि से ध्यान और योग की शिक्षा लेने कई हॉलीवुड हस्तियां यहां आया करती थी. साथ ही बीटल्स बैंड के रिंगो स्टार, जॉर्ज हैरिसन, पॉल मैककर्टनी और जॉन लेनन भी योग और ध्यान लगाने आया करते थे. बीटल्स ने यहीं रहकर 48 गाने भी तैयार किया थे, जो दुनिया भर में फेमस हुए थे.

पढ़ें- International Yoga Day: प्रदेश की योग एंबेसडर दिलराज प्रीत की सुध तो लो सरकार, एक साल नहीं मिल रहा वेतन

लेकिन 1981 में इस आश्रम की लीज खत्म हो जाने पर सरकार ने इसकी लीज को आगे नहीं बढ़ाया. जिससे इस बसी बसाई ध्यान योग नगरी पर संकट के बादल छाने लगे. सरकार ने इसे राजाजी नेशनल पार्क में शामिल करते हुए यहां किसी भी तरह की आवाजाही पर रोक लगा दी थी. महर्षि महेश योगी भी 1983 में हॉलैंड चले गए थे. उसके बाद वों कभी इस आश्रम में वापस नहीं आये. धीरे-धीरे आश्रम में रहने वाले कर्मचारियों को भी यंहा से जाना पड़ा. उसके बाद ये साढ़े सात एकड़ में फैली 84 कुटिया खंडहर में तब्दील होने लगी.

राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बने 84 कुटिया का दीदार करने के लिए बीटल्स के फैन और महर्षि के अनुयायी आज भी इस आश्रम को देखने के लिए पंहुचते हैं. 84 कुटिया में प्रवेश कर ध्यान योग नगरी से रूबरू होने का मौका मिलेगा, जंहा कभी महर्षि ने बीटल्स को ध्यान योग का अभ्यास कराया था. आज महर्षि महेश योगी के कारण ही विश्व पटल पर भारत योग के रूप में जाना जाता है. भारत को योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी के रूप में जाना जाता है.

ऋषिकेश: 21 जून की पूरी दुनिया 5वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने जा रही है. योग की राजधानी के नाम से प्रसिद्ध ऋषिकेश में भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. लेकिन आज हम आपको उस संत के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने ऋषिकेश को योग की राजधानी के रूप में एक नई पहचान दिलाई थी.

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हम बात कर रहे हैं महर्षि महेश योगी की. वो महर्षि महेश योगी ही थे जिन्हें योग और ध्यान को दुनिया के कई देशों में पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है. पश्चिम में जब हिप्पी संस्कृति का बोलबाला था तो दुनिया भर में लाखों लोग महर्षि महेश योगी के दीवाने थे.

कौन है महर्षि महेश योगी?

महर्षि महेश योगी का असली नाम था महेश प्रसाद वर्मा. महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गांव में हुआ था. उन्होंने इलाहाबाद से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली थी. 40 और 50 के दशक में वे हिमालय में अपने गुरू से ध्यान और योग की शिक्षा लेते रहे. महर्षि महेश योगी ने ध्यान और योग से बेहतर स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ज्ञान का वादा किया और दुनिया के कई मशहूर लोग उनसे जुड़ गए. ब्रिटेन के रॉक बैंड बीटल्स के सदस्य उत्तरी वेल्स में उनके साथ सप्ताहांत बिताया करते थे.

महेश वर्मा जिसने ऋषिकेश को बनाया था योगनगरी

ऋषिकेश की चौरासी कुटिया
ऋषिकेश में महर्षि महेश योगी की बसाई चौरासी कुटी वो जगह है, जिसने ऋषिकेश को मेडिटेशन और योग सेंटर के रूप में दुनियाभर में पहचान दिलाई. हालांकि आज यह आश्रम भुतहा निशानी भर रह गया है. यह आश्रम राजाजी नेशनल पार्क में स्थित है, जहां अब जंगली जानवर रहते हैं.

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इस 84 कुटी में ब्रिटेन का मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के सदस्य भी योग सिखने आए थे, जो करीब तीन महीने तक यहीं रुके थे. अब हर साल बड़ी तादाद में विदेशी टूरिस्ट इसे देखने आते हैं. यहां आने वाले विदेशी पर्यटक इस आश्रम को बीटल्स आश्रम के नाम से भी जानते हैं.

क्यों कहा जाता है बीटल्स आश्रम
महर्षि महेश योगी बीटल्स आश्रम (84 कुटिया) आज भले ही खंडहर में तब्दील हो चुका हो, लेकिन आज भी ये खंडहर और वीरान जगह हजारों विदेशियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. इस जगह को बीटल्स आश्रम क्यों कहा जाता है, इसके पीछे की एक वजह है.

महर्षि महेश योगी ने 1962 में 84 कुटिया, एक भव्य आश्रम और एक ध्यान करने के लिए मेडिटेशन हॉल बनवाया था. ये जमीन उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें 20 साल के लिए लीज पर दी थी. महर्षि से ध्यान सीखने बीटल्स बंधु भी आए थे.

maharishi mahesh yogi
चौरासी कुटी

पढ़ें- त्रिवेंद्र सरकार पर हरदा का कटाक्ष, कहा- औली को स्कीइंग डेस्टिनेशन ही रहने दो

1968 में किया था अंतरराष्ट्रीय ध्यान शिक्षण शिविर का आयोजन
गंगा किनारे स्थित चौरासी कुटी और आश्रम के बारे में कहा जाता है कि महर्षि ने यहां 1968 में एक अंतरराष्ट्रीय ध्यान शिक्षण शिविर आयोजित कराया था. जिसमें दुनिया भर के तत्कालीन 60 मेडिटेशन एक्सपर्ट्स ने हिस्सा लिया था. इसके बाद ही विदेशी पर्यटकों के कदम ऋषिकेश की ओर बढ़े थे और पर्यटन को एक नई दिशा मिली.

कभी हुआ करती थी यहां चहल-पहल
84 कुटिया में कभी काफी चहल-पहल हुआ करती थी. यहां कभी पूरा एक नगर बसा था. महर्षि से ध्यान और योग की शिक्षा लेने कई हॉलीवुड हस्तियां यहां आया करती थी. साथ ही बीटल्स बैंड के रिंगो स्टार, जॉर्ज हैरिसन, पॉल मैककर्टनी और जॉन लेनन भी योग और ध्यान लगाने आया करते थे. बीटल्स ने यहीं रहकर 48 गाने भी तैयार किया थे, जो दुनिया भर में फेमस हुए थे.

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लेकिन 1981 में इस आश्रम की लीज खत्म हो जाने पर सरकार ने इसकी लीज को आगे नहीं बढ़ाया. जिससे इस बसी बसाई ध्यान योग नगरी पर संकट के बादल छाने लगे. सरकार ने इसे राजाजी नेशनल पार्क में शामिल करते हुए यहां किसी भी तरह की आवाजाही पर रोक लगा दी थी. महर्षि महेश योगी भी 1983 में हॉलैंड चले गए थे. उसके बाद वों कभी इस आश्रम में वापस नहीं आये. धीरे-धीरे आश्रम में रहने वाले कर्मचारियों को भी यंहा से जाना पड़ा. उसके बाद ये साढ़े सात एकड़ में फैली 84 कुटिया खंडहर में तब्दील होने लगी.

राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बने 84 कुटिया का दीदार करने के लिए बीटल्स के फैन और महर्षि के अनुयायी आज भी इस आश्रम को देखने के लिए पंहुचते हैं. 84 कुटिया में प्रवेश कर ध्यान योग नगरी से रूबरू होने का मौका मिलेगा, जंहा कभी महर्षि ने बीटल्स को ध्यान योग का अभ्यास कराया था. आज महर्षि महेश योगी के कारण ही विश्व पटल पर भारत योग के रूप में जाना जाता है. भारत को योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी के रूप में जाना जाता है.

Intro:Special

summary--ऋषिकेश को योग की राजधानी के रूप में जाना जाता है,इसका सबसे बड़ा श्रेय महर्षि महेश योगी को जाता है,महेश योगी ने ही योग को विदेशों में पहचान दिलाई जिसके बाद से बड़ी संख्या में विदेशी योग सीखने के ऋषिकेश पंहुचने लगे।

ऋषिकेश--कभी दुनिया भर में योग-ध्यान का केंद्र रही ऋषिकेश के घने जंगलों में बनी 84 कुटी जो अब वीरान और खंडहर बन चुकी है। महर्षि महेश योगी की बसाई चौरासी कुटी वो जगह है जिसने ऋषिकेश को मेडिटेशन और योग सेंटर के रूप में दुनियाभर में पहचान दिलाई।यही वह जगह है जहां मशहूर बीटल्स बैंड तीन महीने का कोर्स करने आया और अब हर साल बड़ी तादाद में विदेशी टूरिस्ट इसे देखने आते हैं। यहाँ आने वाले विदेशी इस आश्रम को बीटल्स आश्रम के नाम से भी जानते हैं,










Body:वी/ओ---महर्षि महेश योगी की 84 कुटिया वीरान और खंडहर में भले ही तब्दील हो चुकी हो लेकिन ये वीरानी आज भी हजारों विदेशियों को अपनी ओर आकर्षित करती है ईटीवी भारत बताएगा आपको इन खंडहरों की कहानी और बताएँगे की इस जगह को बीटल्स आश्रम भी क्यों कहा जाता है।महर्षि महेश योगी ने 1962 में 84 कुटियाएं, एक भव्य आश्रम और एक ध्यान करने के लिए मेडिटेशन हॉल बनवाया था। जिसमे वों लोगो को देते थे ध्यान योग की शिक्षा इसके लिए तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने 20 साल की लीज भी दी थी। महर्षि से ध्यान सीखने बीटल्स बंधु भी आए थे। गंगा किनारे स्थित चौरासी कुटी और आश्रम के बारे में कहा जाता है कि महर्षि ने यहां 1968 में ही एक अंतरराष्ट्रीय ध्यान शिक्षण शिविर आयोजित कराया था। जिसमे दुनिया भर के तत्कालीन 60 मेडिटेशन एक्सपर्ट्स ने हिस्सा लिया था। इसके बाद ही विदेशी पर्यटकों के कदम ऋषिकेश की ओर बढे थे और पर्यटन को एक नई दिशा मिली।

वी/ओ---84 कुटिया में कभी काफी चहल पहल हुआ करती थी यंहा कभी पूरा एक नगर बसा था महर्षि से ध्यान योग की शिक्षा लेने यंहा कई हालीवुड हस्तिय भी आई थी साथ ही बीटल्स के रिंगो स्टार, जॉर्ज हैरिसन, पॉल मैककर्टनी और जॉन लेनन कलाकारों ने भी यहां आकर समय-समय पर ध्यान-योग सीखा। खासबात यह रही कि बीटल्स ने यहीं रहकर 48 गानों को भी तैयार किया, और दुनिया भर में प्रसिद्धि पाई थी  ।


वी/ओ ---लेकिन 1981 में इस आश्रम की लीज खत्म हो जाने पर सरकार ने इसकी लीज को आगे नहीं बढ़ाया जिससे इस बसी बसाई ध्यान योग नगरी पर संकट के बादल छाने लगे  सरकार ने इसे राजाजी नेशनल पार्क में शामिल करते हुए यहां किसी तरह की आवाजाही रोककर इसे प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया। महर्षि महेश योगी भी 1983 में हॉलैंड चले गए उसके बाद वों कभी इस आश्रम में वापस नहीं आये धीरे धीरे आश्रम में रहने वाले कर्मचारियों को भी यंहा से जाना पड़ा उसके बाद ये साड़े सात एकड़ में फैली 84 कुटिया खँडहर में तब्दील होने लगी





Conclusion:
वी/ओ—राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बने 84 कुटिया का दीदार करने के लिए बीटल्स के फैन और महर्षि के अनुयायी आज भी इस आश्रम को देखने के लिए पंहुचते हैं, 84 कुटिया में प्रवेश कर ध्यान योग नगरी से रु ब रु होने का मौका मिलेगा जंहा कभी महर्षि ने बीटल्स को ध्यान योग का अभ्यास कराया था,आज महर्षि महेश योगी के कारण ही विश्व पटल पर भारत योग के रूप में जाना जाता है और भारत को योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी के रूप में जाना जाता है।

बाईट--संजय नौटियाल(योगाचार्य
बाईट--प्रदीप शर्मा(स्थानीय निवासी)

पीटीसी--विनय पाण्डेय

Last Updated : Jun 20, 2019, 7:05 PM IST
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