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पड़ताल: देहरादून में मेट्रो रेल के विकल्प LRTS प्रोजेक्ट पर भी लग सकता है ग्रहण

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Published : May 21, 2019, 11:02 PM IST

उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा DMRC से अंतिम डीपीआर तैयार कर शासन को सौंपने की तैयारी थी. लेकिन इसी बीच मौजूदा मुख्य सचिव द्वारा एलआरटीएस प्रोजेक्ट की जगह देहरादून में रोप-वे प्रोजेक्ट पर विचार करने का विषय सामने आया है. जिसके बाद LRTS प्रोजेक्ट एक बार फिर अधर पर लटक सकता है.

LRTS प्रोजेक्ट

देहरादून: सूबे की राजधानी देहरादून में पिछले तीन सालों से मेट्रो रेल प्रोजेक्ट पर ग्रहण लगा हुआ है. अब ऐसे में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के बाद अब उसके विकल्प तौर पर तैयार किया गया लाइट रेल ट्रांसपोर्ट सिस्टम (LRTS) प्रोजेक्ट भी काफी हद खटाई में पड़ता नजर आ रहा है. जबकि, LRTS प्रोजेक्ट की डीपीआर को कई संसोधन के बाद DMRC द्वारा अंतिम रूप में तैयार किया जा चुका था. लेकिन प्रदेश सरकार की हीलाहवाली के चलते ये प्रोजेक्ट भी अधर में लटकता नजर आ रहा है. क्योंकि सरकार इस प्रोजेक्ट को दरकिनार कर रोप-वे प्रोजेक्ट पर विचार कर रही है.

LRTS प्रोजेक्ट की डीपीआर को रखा होल्ड पर.

बता दें कि उत्तराखंड शासन द्वारा LRTS प्रोजेक्ट की डीपीआर पर उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा शासन को प्रस्तुत करने से पहले ही होल्ड पर रख दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, इन सभी रेल प्रोजेक्ट्स को दरकिनार कर अब सरकार रोप-वे जैसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर उत्तराखंड शासन की सुई अटक गई है. दरअसल, LRTS प्रोजेक्ट को लेकर अब गेंद मुख्यमंत्री के पाले में है कि मेट्रो और उससे मिलते-जुलते प्रोजेक्ट में किसे प्राथमिकता में रखा जाए.

उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के आला अधिकारियों की मानें तो 23 मई आचार संहिता हटने के बाद राज्य सरकार मेट्रो रेल के विकल्प के तौर पर एलआरटीएस पब्लिक ट्रांसपोर्ट या अन्य योजना पर कोई अंतिम फैसला ले सकती है. लाइट रेल ट्रांजिट सिस्टम के लिए 13 सदस्यों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में भरी थी. विकल्प के तौर पर काफी समय से चर्चा में आये लाइट रेल ट्रांजिट (LRT) प्रोजेक्ट को लेकर साल 2018 में मौजूद चार विधायकों व शासन आलाधिकारियों सहित उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन के 13 अफसरों ने यूरोप का दौरा किया था. जिसके बाद इस टीम ने एक रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री को सौंपी थी.

वहीं, इस रिपोर्ट में कई संसोधन होनी की कई बातें भी सामने आई थी. जिसके बाद उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा DMRC से अंतिम डीपीआर तैयार कर शासन को सौंपने की तैयारी थी. लेकिन इसी बीच मौजूदा मुख्य सचिव द्वारा एलआरटीएस प्रोजेक्ट की जगह देहरादून में रोप-वे प्रोजेक्ट पर विचार करने का विषय सामने आया है. जिसके बाद LRTS प्रोजेक्ट एक बार फिर अधर पर लटक सकता है.

उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन के एमडी जितेंद्र त्यागी की मानें तो फिलहाल शासन से किसी तरह का फैसला ना होने के कारण LRTS प्रोजेक्ट की डीपीआर को होल्ड पर रखा गया है. ऐसे में संभवत: चुनाव आचार संहिता हटने के बाद राज्य सरकार द्वारा ही इस मसले पर कोई फैसला ले लिया जाएगा. उनका कहना है कि भारत में रोप-वे प्रोजेक्ट को फिलहाल मास्क ट्रांसपोर्ट ट्रांजिट सिस्टम के तहत अभीतक उपयोग नहीं किया गया है. ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि यह योजना देहरादून में धरातल पर कैसी उतरेगी. एमडी जितेंद्र त्यागी के मुताबिक, उम्मीद है कि सरकार देहरादून में मेट्रो के विकल्प के तौर पर अन्य योजनाओं पर जल्द ही निर्णय लेगी.

कैबिनेट बैठक के बाद होगा अंतिम निर्णय
देहरादून से लेकर हरिद्वार समेत ऋषिकेश क्षेत्र तक मेट्रो परियोजना का निर्माण होने की बात सामने आई थी, किन्हीं कारणों की वजह से फिलहाल पहले फेज में देहरादून में दो कोरिडोर निर्माण का ही सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है. ऐसे में लंबी जद्दोजहद के बाद LRTS को धरातल पर उतारने की बात हो रही है. लेकिन देहरादून शहर में लाइट मेट्रो या लाइट रेल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट सिस्टम को किन्हीं कारणवश मुफीद ना मानते हुए अब रोप-वे में या अन्य योजना पर सरकार के स्तर पर चर्चा होना बाकी हैं.

देहरादून: सूबे की राजधानी देहरादून में पिछले तीन सालों से मेट्रो रेल प्रोजेक्ट पर ग्रहण लगा हुआ है. अब ऐसे में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के बाद अब उसके विकल्प तौर पर तैयार किया गया लाइट रेल ट्रांसपोर्ट सिस्टम (LRTS) प्रोजेक्ट भी काफी हद खटाई में पड़ता नजर आ रहा है. जबकि, LRTS प्रोजेक्ट की डीपीआर को कई संसोधन के बाद DMRC द्वारा अंतिम रूप में तैयार किया जा चुका था. लेकिन प्रदेश सरकार की हीलाहवाली के चलते ये प्रोजेक्ट भी अधर में लटकता नजर आ रहा है. क्योंकि सरकार इस प्रोजेक्ट को दरकिनार कर रोप-वे प्रोजेक्ट पर विचार कर रही है.

LRTS प्रोजेक्ट की डीपीआर को रखा होल्ड पर.

बता दें कि उत्तराखंड शासन द्वारा LRTS प्रोजेक्ट की डीपीआर पर उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा शासन को प्रस्तुत करने से पहले ही होल्ड पर रख दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, इन सभी रेल प्रोजेक्ट्स को दरकिनार कर अब सरकार रोप-वे जैसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर उत्तराखंड शासन की सुई अटक गई है. दरअसल, LRTS प्रोजेक्ट को लेकर अब गेंद मुख्यमंत्री के पाले में है कि मेट्रो और उससे मिलते-जुलते प्रोजेक्ट में किसे प्राथमिकता में रखा जाए.

उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के आला अधिकारियों की मानें तो 23 मई आचार संहिता हटने के बाद राज्य सरकार मेट्रो रेल के विकल्प के तौर पर एलआरटीएस पब्लिक ट्रांसपोर्ट या अन्य योजना पर कोई अंतिम फैसला ले सकती है. लाइट रेल ट्रांजिट सिस्टम के लिए 13 सदस्यों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में भरी थी. विकल्प के तौर पर काफी समय से चर्चा में आये लाइट रेल ट्रांजिट (LRT) प्रोजेक्ट को लेकर साल 2018 में मौजूद चार विधायकों व शासन आलाधिकारियों सहित उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन के 13 अफसरों ने यूरोप का दौरा किया था. जिसके बाद इस टीम ने एक रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री को सौंपी थी.

वहीं, इस रिपोर्ट में कई संसोधन होनी की कई बातें भी सामने आई थी. जिसके बाद उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा DMRC से अंतिम डीपीआर तैयार कर शासन को सौंपने की तैयारी थी. लेकिन इसी बीच मौजूदा मुख्य सचिव द्वारा एलआरटीएस प्रोजेक्ट की जगह देहरादून में रोप-वे प्रोजेक्ट पर विचार करने का विषय सामने आया है. जिसके बाद LRTS प्रोजेक्ट एक बार फिर अधर पर लटक सकता है.

उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन के एमडी जितेंद्र त्यागी की मानें तो फिलहाल शासन से किसी तरह का फैसला ना होने के कारण LRTS प्रोजेक्ट की डीपीआर को होल्ड पर रखा गया है. ऐसे में संभवत: चुनाव आचार संहिता हटने के बाद राज्य सरकार द्वारा ही इस मसले पर कोई फैसला ले लिया जाएगा. उनका कहना है कि भारत में रोप-वे प्रोजेक्ट को फिलहाल मास्क ट्रांसपोर्ट ट्रांजिट सिस्टम के तहत अभीतक उपयोग नहीं किया गया है. ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि यह योजना देहरादून में धरातल पर कैसी उतरेगी. एमडी जितेंद्र त्यागी के मुताबिक, उम्मीद है कि सरकार देहरादून में मेट्रो के विकल्प के तौर पर अन्य योजनाओं पर जल्द ही निर्णय लेगी.

कैबिनेट बैठक के बाद होगा अंतिम निर्णय
देहरादून से लेकर हरिद्वार समेत ऋषिकेश क्षेत्र तक मेट्रो परियोजना का निर्माण होने की बात सामने आई थी, किन्हीं कारणों की वजह से फिलहाल पहले फेज में देहरादून में दो कोरिडोर निर्माण का ही सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है. ऐसे में लंबी जद्दोजहद के बाद LRTS को धरातल पर उतारने की बात हो रही है. लेकिन देहरादून शहर में लाइट मेट्रो या लाइट रेल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट सिस्टम को किन्हीं कारणवश मुफीद ना मानते हुए अब रोप-वे में या अन्य योजना पर सरकार के स्तर पर चर्चा होना बाकी हैं.

Intro:pls नोट-डेस्क महोदय इस Spl स्टोरी में PTC को अपडेट करने का कष्ट करें। देहरादून- उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पिछले तीन वर्षों से मैट्रो रेल प्रोजेक्ट पर ग्रहण लगा हुआ हैं। पहले "मैट्रो रेल" फिर उसके दूसरे विकल्प "लाइट रेल ट्रांसपोर्ट" (मिनी मैट्रो) और अब तीसरे विकल्प के तौर पर काफी दिनों से चर्चा में रहे "लाइट रेल ट्रांसिट" (LRT)जैसे पब्लिक ट्रासपोर्ट सिस्टम प्रोजेक्ट भी काफी हद तक खटाई में पड़ता नजर आ रहा हैं। जबकि "लाइट रेल ट्रांसिट" प्रोजेक्ट की DPR को कई संसोधन के बाद दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन द्वारा अंतिम रूप में तैयार किया जा चुका हैं। लेकिन उत्तराखंड शासन द्वारा इस प्रोजेक्ट पर भी कोई अंतिम फैसला ना लेने के चलते फाइनल LRT प्रोजेक्ट की DPR को उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन द्वारा शासन को प्रस्तुत करने से पहले ही अब होल्ड पर रख दिया गया है। जानकारी के मुताबिक दरसल इन सभी रेल प्रोजेक्ट्स को दरकिनार कर अब "रोपवे" जैसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर उत्तराखंड शासन की सुई अटक गई हैं।


Body:"लाइट रेल ट्रांसिट" प्रोजेक्ट को लेकर मुख्यमंत्री के पाले में गेंद मेट्रो से मिलते जुलते प्रोजेक्ट की जगह कौन सा पब्लिक ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट देहरादून शहर की जमीन पर उतारा जाए इसके लिए अंतिम फैसले की गेंद अब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के पाले में है। उत्तराखंड मेट्रो कारपोरेशन आला अधिकारियों की मानें तो 23 मई आचार संहिता हटने के बाद लगभग एक महीने के दरमियान ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य सरकार मेट्रो रेल के विकल्प के तौर पर एलआरटी पब्लिक ट्रांसपोर्ट या अन्य योजना पर कोई अंतिम फैसला ले सकती है। "लाइट रेल ट्रांसिट" ट्रांसपोर्ट पर 13 सदस्यों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में भरी थी हामी मेट्रो रेल प्रोजेक्ट पर तीसरे विकल्प के तौर पर काफी समय से चर्चा में आये "लाइट रेल ट्रांजिट" ( LRT)प्रोजेक्ट को लेकर वर्ष 2018 में मौजूद चार विधायकों व शासन आलाधिकारियों सहित उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन के 13 अफसरों द्वारा यूरोप के विदेशों का दौरा किया गया जिसमें एलआरटी प्रोजेक्ट में तमाम जानकारी हासिल की। छोटे शहरों में "लाइट रेल ट्रांजिट" योजना को मुफीद मानते हुए विदेश दौरे से वापस आने के बाद प्रदेश सरकार द्वारा चुनी हुई सभी 13 सदस्यों की टीम ने एक रिपोर्ट तैयार कर एलआरटी प्रोजेक्ट पर हामी भरते हुए उत्तराखंड मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। सरकार को रिपोर्ट सौंपने के बाद एलआरटी प्रोजेक्ट पर कई तरह के संशोधन की बात भी सामने आई, जिसके बाद उन सभी संशोधन पर कार्यवाही करते हुए उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन द्वारा डीएमआरसी से अंतिम डीपीआर तैयार कर शासन को सौंपने की तैयारी थी लेकिन इसी बीच मौजूदा मुख्य सचिव द्वारा LRT प्रोजेक्ट की जगह देहरादून में रोपवे प्रोजेक्ट पर विचार करने का विषय सामने आया और एक बार मैट्रो रेल की जगह तीसरे विकल्प के तौर पर "लाइट रेल ट्रांसिट" पब्लिक ट्रांसपोर्ट अधर पर लटक गया हैं।


Conclusion: मैट्रो के विकल्पों पर उम्मीद हैं महीने भर में कोई फैसला हो सके- एमडी -उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन इधर देहरादून शहर के लिए एलआरटी प्रोजेक्ट के संबंध में जानकारी देते हुए उत्तराखंड मेट्रो कारपोरेशन के एमडी जितेंद्र त्यागी की मानें तो फिलहाल शासन से किसी तरह का फैसला ना होने के कारण "लाइट रेल ट्रांसिट" प्रोजेक्ट की अंतिम रूप में तैयार हुई डीपीआर को होल्ड पर रखा गया है। ऐसे में संभवत चुनाव आचार संहिता हटने के उपरांत लगभग एक महीने के अंतराल तक उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य सरकार द्वारा यह फैसला ले लिया जाएगा कि देहरादून में मेट्रो के विकल्प में LRT प्रोजेक्ट या अन्य किसी योजना पर कार्य होना है। बाइट- जितेंद्र त्यागी, एमडी, उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन एलआरटी प्रोजेक्ट को लेकर कॉरिडोर मोबिलिटी जैसे जरूरी प्लान तैयार हैं:एमडी -उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन के एमडी जितेंद्र त्यागी की मानें तो एलआरटी प्रोजेक्ट के तहत कम्परेन्सी मोबिलिटी प्लान को पूरी तरह तैयार कर लिया गया है इसके तहत उन कॉरिडोर को भी चिन्हित कर लिया गया है जिन कॉरिडोर मे मोबिलिटी या मास्क ट्रांसिट सिस्टम की आवश्यकता है। लेकिन सिस्टम टेक्नोलॉजी के ऊपर विचार चल रहा है कि देहरादून के लिए कौन सी तकनीकी योजना को धरातल पर उतारा जाए। हालांकि देहरादून को हरिद्वार से जोड़ने वाले कॉरिडोर में लाइट रेल ट्रांजिट प्रोजेक्ट को ही हरी झंडी मिलने की उम्मीद। लेकिन देहरादून शहर में लाइट मेट्रो या लाइट रेल ट्रांजिट ट्रान्सपोर्ट सिस्टम को फ़िलहाल किन्ही कारणवश मुफीद ना मानते हुए अब रोपवे में या अन्य योजना पर राज्य सरकार स्तर पर चर्चा होना बाकी हैं। ऐसे में फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि देहरादून में कौन सी योजना आने वाले दिनों पर धरातल पर उतरेगी। बाइट- जितेंद्र त्यागी, एमडी, उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन इंडिया में रोपवे ट्रांसपोर्ट सिस्टम को लेकर अभी संशय बरकरार-एमडी -उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के एमडी जितेंद्र त्यागी की मानें तो इंडिया में रोपवे प्रोजेक्ट को फ़िलहाल मास्क ट्रांसपोर्ट ट्रांसिट सिस्टम के तहत अभी तक खासतौर पर उपयोग में नहीं गया है ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि यह योजना देहरादून के लिए कैसी रहेगी। एमडी जितेंद्र के मुताबिक वह देश-विदेश में मेट्रो एलआरटी जैसे योजनाओं के बारे में ही जानकारी रखते हैं। पूरी उम्मीद है कि जल्दी देहरादून में मेट्रो के विकल्प के तौर पर अन्य योजनाओं को लेकर जल्दी निर्णय लिया जाएगा। बाइट- जितेंद्र त्यागी, एमडी, उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन PTC
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