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देहरादून: 9 साल बाद भी नहीं मिला गरीबों को आशियाना, अधर में लटका निर्माण

रिस्पना नदी के किनारे बसे लोगों के लिए 2011 में देहरादून के काठबंगला में जेएनयूआरएम योजना के तहत करीब 148 फ्लैट्स बनाये जाने थे, लेकिन 9 साल बीत जाने के बाद भी गरीबों को घर नहीं मिल सका है. यूपी निर्माण निगम 80 प्रतिशत पैसा खर्च करने के बाद फ्लैट्स को अधर में छोड़ गया था, लेकिन अब प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी एमडीडीए को सौंपने की बात की जा रही है.

देहरादून
अधर में लटका गरीबों का आशियान
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Published : Aug 25, 2020, 8:05 PM IST

Updated : Aug 25, 2020, 9:13 PM IST

देहरादून: 2011 में जेएनयूआरएम योजना के तहत रिस्पना नदी के किनारे बसे लोगों के लिए फ्लैट्स बनाने का काम शुरू हुआ था. करीब 6 करोड़ रूपये के इस प्रोजेक्ट के लिए स्वीकृत हुए और काम यूपी निर्माण निगम को दे दिया गया. प्रोजेक्ट का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूड़ी ने किया था, लेकिन 9 साल से अधूरे पड़े इस प्रोजेक्ट पर क्यों किसी की नजर नहीं गई.

अधर में लटका निर्माण.

अब एक बार फिर भूतिया बने इन गरीबों के आशियाने की बसने की उम्मीद जगी है. एमडीडीए इन फ्लैट्स को बनाएगा और आवास को पूरा करके फिर प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को दिया जाएगा. नगर आयुक्त विनय शंकर पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि यह 148 फ्लैट्स है और यूपी निर्माण निगम संस्था द्वारा इनका काफी समय पहले से निर्माण कार्य चल रहा था. इनमें काफी काम भी हो चुका है. इस पर शासन स्तर पर भी काफी गंभीर विचार विमर्श भी किया गया था.

ये भी पढ़े: गजब! खेल मंत्री अरविंद पांडेय की विभागीय बैठक, पदाधिकारी 'खेल' रहे थे सेल्फी-सेल्फी

नगर आयुक्त ने कहा कि इसमें हम लोगों ने यह निर्णय लिया था कि दोबारा इन फ्लैट्स को पूरा करने के लिए 7 से 8 करोड़ का खर्चा आएगा. इसके लिए एमडीडीए से भी वार्ता हुई है, लेकिन इससे पहले हमने एक कमेटी गठित कर दी है. जितना पैसा यूपी निर्माण निगम को रिलीज हुआ था. उन पैसों की जांच की जाएगी कि इतना पैसा लगा है या नहीं. जब यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी तो एक रिपोर्ट सचिव को दी जाएगी. उसके बाद हम उम्मीद करते है कि एमडीडीए इन फ्लैट्स को बनाएगा और आवास को पूरा करके फिर प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को दिया जाएगा.

देहरादून: 2011 में जेएनयूआरएम योजना के तहत रिस्पना नदी के किनारे बसे लोगों के लिए फ्लैट्स बनाने का काम शुरू हुआ था. करीब 6 करोड़ रूपये के इस प्रोजेक्ट के लिए स्वीकृत हुए और काम यूपी निर्माण निगम को दे दिया गया. प्रोजेक्ट का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूड़ी ने किया था, लेकिन 9 साल से अधूरे पड़े इस प्रोजेक्ट पर क्यों किसी की नजर नहीं गई.

अधर में लटका निर्माण.

अब एक बार फिर भूतिया बने इन गरीबों के आशियाने की बसने की उम्मीद जगी है. एमडीडीए इन फ्लैट्स को बनाएगा और आवास को पूरा करके फिर प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को दिया जाएगा. नगर आयुक्त विनय शंकर पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि यह 148 फ्लैट्स है और यूपी निर्माण निगम संस्था द्वारा इनका काफी समय पहले से निर्माण कार्य चल रहा था. इनमें काफी काम भी हो चुका है. इस पर शासन स्तर पर भी काफी गंभीर विचार विमर्श भी किया गया था.

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नगर आयुक्त ने कहा कि इसमें हम लोगों ने यह निर्णय लिया था कि दोबारा इन फ्लैट्स को पूरा करने के लिए 7 से 8 करोड़ का खर्चा आएगा. इसके लिए एमडीडीए से भी वार्ता हुई है, लेकिन इससे पहले हमने एक कमेटी गठित कर दी है. जितना पैसा यूपी निर्माण निगम को रिलीज हुआ था. उन पैसों की जांच की जाएगी कि इतना पैसा लगा है या नहीं. जब यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी तो एक रिपोर्ट सचिव को दी जाएगी. उसके बाद हम उम्मीद करते है कि एमडीडीए इन फ्लैट्स को बनाएगा और आवास को पूरा करके फिर प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को दिया जाएगा.

Last Updated : Aug 25, 2020, 9:13 PM IST
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