देहरादून: उत्तराखंड में चार विवादित परीक्षाओं को लेकर UKSSSC ने बड़ा फैसला लिया है. एक तरफ सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा को क्लीनचिट दी गयी है, जबकि स्नातक स्तरीय परीक्षा, वन दरोगा और सचिवालय रक्षक में गड़बड़ी पाए जाने के कारण इनको फिर से कराए जाने का फैसला लिया है, जबकि कनिष्ठ सहायक, व्यक्तिगत सहायक, पुलिस रैंकर उपनिरीक्षक, कर्मशाला अनुदेशक, वाहन चालक, मत्स्य निरीक्षक और मुख्य आरक्षी दूरसंचार भर्ती पर निर्णय लेने के लिए विधिक राय ली जाएगी है.
स्नातक स्तरीय परीक्षा, वन दरोगा परीक्षा और सचिवालय रक्षक परीक्षा में गड़बड़ी होने की बात सामने आई है, जिसके बाद इन तीनों की परीक्षाओं को मार्च के दूसरे सप्ताह में दोबारा कराए जाने का निर्णय लिया गया है. खास बात यह है कि इन तीनों परीक्षाओं में पकड़े गए अभ्यर्थियों को शामिल नहीं होने दिया जाएगा, यही नहीं पूर्व में जिन अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरे थे वही परीक्षार्थी इसमें परीक्षा दे सकेंगे. आयोग के अध्यक्ष जीएस मार्तोलिया ने कहा कि करीब 200 से ज्यादा छात्र चयनित हुए हैं, जिन्होंने इन परीक्षाओं में नकल की थी.
सहायक अध्यापक एलटी भर्ती परीक्षा को क्लीन चिट: सहायक अध्यापक एलटी भर्ती परीक्षा- 2020 (पदकोड-481) के आगे की चयन प्रक्रिया के संबंध में अभिलेख सत्यापन आगामी 9 जनवरी से शुरू किया जायेगा. इस तरह सहायक परीक्षा को क्लीन चिट दे दी गई है और इसके लिए जल्द ही नियुक्ति देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
सात परीक्षाओं पर आयोग लेगा विधिक राय: बाकी 7 परीक्षाएं, जिनको कैबिनेट ने लोक सेवा आयोग को ट्रांसफर किया था, उन पर अभी निर्णय नहीं हुआ है. आयोग का मानना है कि इसके लिए शासन से निर्देश लिए जाएंगे, जिसके बाद कनिष्ठ सहायक, व्यक्तिक सहायक, पुलिस रैंकर्स, वाहन चालक, कार्यशाला अनुदेशक, मत्स्य निरीक्षक और मुख्य आरक्षी दूरसंचार के पद पर शासन के निर्देशों के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
ये भी पढ़ें- UKSSSC पेपर लीक: हाकम के बाद अब चंदन और अंकित की संपत्ति जब्त होगी, STF ने शुरू की कार्रवाई
फैसले के विरोध में उतरे चयनित छात्र: वहीं, आयोग के इस फैसले का तीन परीक्षाओं में चयनित अभ्यर्थियों ने विरोध किया है. चयनित अभ्यर्थियों ने रायपुर स्थित अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के बाहर मुंडन संस्कार कराया. इस दौरान अभ्यर्थियों ने यूकेएसएसएससी के निर्णय के खिलाफ जमकर हल्ला बोला. छात्रों का कहना है कि सरकार ने जो भर्तियां रद्द की हैं, उसमें उनका सलेक्शन हुआ था, इन परीक्षाओं को पास करने के लिए उन्होंने आपने कई संसाधन लगा दिए लेकिन सरकार ने उनकी मेहनत को एक ही झटके में खत्म कर दिया.
छात्रों ने कहा कि सरकार ने उनके तीन साल बर्बाद कर दिए गए हैं, इसकी जवाबदेही तय होनी जरूरी है. छात्रों का कहना है कि आयोग के निर्णय के बाद करीब हजार बच्चों का भविष्य चौपट कर दिया गया है. सरकार ने यह तुगलकी फरमान जारी कर दिया है. छात्रों ने सरकार से इस फैसले को वापस लिए जाने की मांग उठाई है.