देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना वायरस के महामारी घोषित होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग आने वाले खतरे पर आंखें मूंद रहा है. अधूरे संसाधनों के बीच स्वास्थ्य महकमे की मुखिया हड़ताली कर्मियों के अल्टीमेटम को लेकर जानकर भी बेखबर बन रही है. देखिये रिपोर्ट...
पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ कर्मियों का विरोध अब अनिश्चितकालीन हड़ताल की तरफ बढ़ रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग से जुड़े फार्मेसिस्ट इस आंदोलन में कूदने की चेतावनी के साथ सोमवार से काम को ठप करने का अल्टीमेटम दे चुके हैं. खास बात यह है कि इमरजेंसी सेवाएं भी कार्य बहिष्कार में शामिल की गई है यानी कोरोना वायरस के खौफ के बीच इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाएं बाधित होने जा रही हैं. हालांकि कर्मियों ने कोरोना वायरस के पॉजिटिव के साले के बाद कुछ कर्मियों द्वारा सेवाएं देने का वादा किया है, लेकिन मौजूदा हालातों में इमरजेंसी सेवा को भी ठप करने का अंतिम निर्णय ले चुके हैं. ऐसा होता है तो कोरोना वायरस के खतरे पर स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां पूरी तरह धराशाई हो जाएगी.
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स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों का इस तरह इमरजेंसी सेवाओं को भी बाधित करना एक बड़े खतरे की घंटी दिखाई दे रहा है. इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी इसकी जानकारी होने से ही इंकार कर रहे हैं. साफ है कि महकमे की मुखिया आने वाले खतरे से आंख मूंदकर बचने की कोशिश कर रही हैं. हकीकत यह है कि मुखिया के पास न तो महकमे में कोरोना वायरस को लेकर वैकल्पिक व्यवस्था की कोई जानकारी है और न ही इसके बचाव का कोई रास्ता.
राज्य सरकार कोरोना वायरस को लेकर एहतियात बरते जाने का संदेश अपने तमाम निर्णयों के जरिए लोगों तक दे रही हैं लेकिन स्वास्थ्य महकमा बिगड़ते हालातों को सिर्फ देख कर उसके खुद-ब-खुद सुधरने का इंतजार कर रहा है.