ऋषिकेशः पंचायतराज विभाग ने गढ़ी मयचक ग्रामसभा के पूर्व प्रधान जयेंद्रपाल सिंह रावत को सरकारी धन के दुरुपयोग का दोषी पाया है. उनपर करीब 24 लाख रुपये की सरकारी धनराशि के दुरुपयोग का आरोप है. रकम की रिकवरी के लिए अब जिला पंचायत राज अधिकारी ने नोटिस जारी कर 15 दिन में जवाब दाखिल करने का आदेश जारी किया है. ऐसा न करने पर पंचायतराज अधिनियम के तहत कार्रवाई की चेतावनी भी दी है.
दरअसल, गढ़ी मयचक ग्रामसभा के दो लोगों ने देहरादून डीएम से ग्रामसभा में निर्माण कार्यों व स्ट्रीट लाइट लगाने में वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी. मामले का संज्ञान लेकर जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दिए, जिस पर पंचायती राज विभाग की टीम ने साल 2020 में मामले की विस्तृत जांच की.
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जिला पंचायत राज अधिकारी के मुताबिक ग्रामसभा में सााल 2017-19 के बीच लगी स्ट्रीट लाइट की खरीद की जांच में यह पता चला कि खरीद में उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली 2008 और संशोधित 2015 व 2017 का अनुपालन नहीं किया गया. आरोप है कि इस मामले करीब सात लाख रुपये की सरकारी धनराशि का दुरुपयोग किया गया.
गढ़ी मयचक ग्रामसभा में निर्माण कार्यों के लिए खरीदी गई सामग्री के बिलों पर टिन नंबर भी टीम को नहीं मिले. जांच में संबंधित कार्यदायी संस्थाओं का पंजीकरण भी वैध नहीं पाया गया. इस मामले में पूर्व प्रधान पर करीब 16 लाख रुपये की सरकारी रकम के दुरुपयोग का आरोप है.
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दोनों मामलों में जिला पंचायत राज अधिकारी ने पूर्व प्रधान चंद्रपाल सिंह रावत को नोटिस जारी किया है, जिसमें साफतौर पर अंकित है कि उक्त धनराशि वसूल की जाएगी. 15 दिनों के भीतर नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर पंचायती राज अधिनियम 2016 के तहत पूर्व प्रधान पर कार्रवाई भी की जा सकती है.
एक रुपये नहीं दूंगा, जाऊंगा जेल
वहीं, नोटिस और रिकवरी को लेकर पूर्व प्रधान विजेंद्र पाल सिंह रावत ने पक्ष रखा है. उनका कहना है कि यह कार्रवाई बदले की भावना से की जा रही है. उन्होंने सीधे तौर पर इसके लिए स्थानीय विधायक को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि मुझे जानबूझकर फंसाया जा रहा है. यह भी कहा कि 'मैं एक रुपये नहीं दूंगा, भले ही जेल चला जाऊं.'