देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) फिर चर्चाओं में हैं. इस बार सुर्खियों की वजह उनका दिल्ली दौरा और एक बयान है. ये बयान उनका मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने को लेकर है. उन्होंने खुद कहा है कि मुख्यमंत्री के पद से हटाया जाना उनकी उम्मीदों से परे था, क्योंकि उस समय विधानसभा का सत्र चल रहा था. अगर ये फैसला थोड़े समय बाद लिया जाता तो कोई आश्चर्य नहीं होता. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने (Trivendra Singh Rawat interview) ईटीवी भारत (ETV bharat) से साथ खास बातचीत में कई बातों पर प्रकाश डाला.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने का निर्णय यदि दो-तीन दिन बाद लिया जाता तो अच्छा होता, क्योंकि ये निर्णय विधानसभा सत्र के बीच में हुआ तो मुख्यमंत्री, पार्टी कार्यकर्ता और इंसान होने के नाते स्वाभाविक तौर पर उन्हें उम्मीद थी कि ये फैसला विधानसभा सत्र खत्म होने के बाद लिया जाएगा. लेकिन पार्टी का एक अनुशासित कार्यकर्ता होने के नाते उन्होंने बीजेपी हाईकमान के आदेश का पालन किया. हालांकि, उनका जो बयान मीडिया में चल रहा है, वो तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है.
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दिल्ली दौरे पर दिया जवाब: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हाल ही में दिल्ली दौरे से देहरादून लौटे हैं. अपने दिल्ली दौरे के लेकर रावत ने बताया कि मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद वे दिल्ली नहीं जा पाए थे. इसलिए अब वे दिल्ली गए और अपने चार साल के कार्यकाल में उन्हें केंद्र से जो सहयोग मिला, इसको लेकर उन्हें केंद्रीय नेतृत्व का धन्यवाद किया.
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चुनाव पर हुई चर्चा: इसके अलावा पार्टी हाईकमान से उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 की रणनीति को लेकर भी चर्चा हुई. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीजेपी हाईकमान को उत्तराखंड में संगठन और सरकार के हालात की जानकारी दी. इस पर दोनों के बीच विस्तृत चर्चा हुई.
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जिम्मेदारी हाईकमान तय करेगा: मुख्यमंत्री के पद से हटाए जाने के बाद से ही इस तरह की चर्चाएं की जा रही हैं कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को केंद्र में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. इस सवाल पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि एक कार्यकर्ता होने के नाते हाईकमान उन्हें जो भी जिम्मेदारी देगा, उसे वे स्वीकार करेंगे. उन्हें क्या जिम्मेदारी देनी है, ये आलाकमान तय करेगा और वो ही उस पर विचार करेगा.
साढ़े चार साल में तीन सीएम बदलना क्या सही है? इस सवाल पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि यदि कोई निर्णय जनहित को ध्यान में रखते हुए लिया जाता है तो परिवर्तन कोई बुरी बात नहीं है. वहीं, आगामी 23 अगस्त से विधानसभा का मॉनसून सत्र शुरू होने जा रहा है और मुख्यमंत्री से लेकर नेता प्रतिपक्ष तक सब नए हैं. इस पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि चेहरे पुराने ही हैं, बस लेबल नया है. दायित्व का परिवर्तन हुआ है. सभी अनुभवी लोग हैं, इसलिए बढ़िया सत्र चलेगा.
नेतृत्व परिवर्तन के बाद क्या कांग्रेस पहले से ज्यादा सक्रिय हुई? इस पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जब परिवर्तन होता है तो इसी सोच के साथ होता है कि नया व्यक्ति आएगा और उसके साथ कुछ नयापन भी आएगा. गणेश गोदियाल नए आए हैं. हरीश रावत तो पुराने ही हैं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर गणेश गोदियाल को जो जिम्मेदारी मिली है, वो बहुत बड़ी है. इस भार को गणेश गोदियाल कितना वहन कर पाते हैं, ये उनके लिए भी एक परीक्षा की घड़ी है, लेकिन बीजेपी संगठन बहुत मजबूत है. कांग्रेस ने जिस तरह का संगठन तंत्र बनाया है, उसमें साफ-साफ फूट नजर आती है. गणेश गोदियाल अपने चार कार्यकारी अध्यक्षों को कैसे साथ लेकर चलेंगे ये बड़ा सोचनीय विषय है. उनके लिए शुभकामनाएं हैं.
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हरीश रावत का 2002 वाला जादू अभी भी बरकरार है? हरीश रावत को लेकर किए गए इस सवाल पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि 2017 के चुनाव में पता चल गया था कि हरीश रावत कितने सक्षम हैं और वो किस तरह का अनुभव रखते हैं. उससे पहले भी वो और उनके परिवारजन लोकसभा का चुनाव लड़े हैं. हरीश रावत की ताकत कितनी है ये सब जान गए हैं. हरीश रावत से ये उम्मीद की जाए कि उनमें कहीं से हनुमान की शक्ति आ जाएगी तो ये कठिन है.
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उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी को किस तरह देखते हैं? आम आदमी पार्टी सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तो प्रदेश की जनता से फ्री बिजली का वादा भी करके गए हैं और वो फिर से देहरादून आ रहे हैं? इस सवाल पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ये चर्चा सिर्फ सोशल मीडिया पर है और सोशल मीडिया की चर्चा में कैसा आया जाता है कि ये सिर्फ दो ही कलाकारों से सीखा जा सकता है. एक बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, जो बीते दिनों की बात हो गए हैं और एक बीते दिनों की बात होने वाले हैं और वो हैं अरविंद केजरीवाल. उत्तराखंड में कभी आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं बन सकती है.